महासमुंद: सामाजिक बैठक की आड़ में बहिष्कार और अर्थ दंड लगाए जाने की प्रवृति बढ़ती जा रही है. जिले के भावा थाना क्षेत्र के पटेवा में रहने वाले हेमलाल यादव ने सामाजिक बहिष्कार किए जाने की शिकायत की है. हेमलाल ने प्रशाससन से मदद की गुहार लगाई है.
हेमलाल ने बताया कि वे वन विभाग में चौकीदार का काम करते हैं. जिस वजह से उनका रायपुर आना-जाना लगा रहता है. राज्य शासन के निर्देशानुसार रायपुर से आने के पूर्व ग्राम सरपंच में इसकी जानकारी भी दी गई थी. साथ ही क्वॉरेंटाइन पूरा करने के बाद स्वास्थ्य केंद्र तुमगांव के बीएमओ से स्वास्थ्य परीक्षण कर मेडिकल भी बनाया था. बावजूद इसके गांव के प्रमुख सदस्यों ने शासकीय पत्रों को अमान्य बताकर और गांव के नियम का उल्लंघन करने के नाम पर उसे 27 हजार रुपये का अर्थ दंड दिया. पीड़ित ने बताया कि राशि जमा नहीं करने पर मुझे और मेरे पूरे परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया. पीड़ित ने बताया कि गांव का कोई भी व्यक्ति उनसे बात नहीं करता है. राशन दुकान से भी लेन देन बंद करवा दिया है.
पढे़ं: धमतरी: दंबगों ने महिला का किया समाजिक बहिष्कार, 10 साल से खा रही दर-दर की ठोकरें
पुरानी रंजिश के कारण किया बहिष्कार
हेमलाल ने बताया कि उसके पिता शिव शंकर का गांव के समिति अध्यक्ष के साथ जमीन को लेकर पुरान विवाद है. इसलिए उन्होंने साजिश के तहत गांव में सामाजिक बैठक का आयोजन कर बिना उसका पक्ष जाने उसे गांव के बाहर कर दिया. साथ ही ये नियम भी लागू कर दिया कि अगर गांव का कोई भी व्यक्ति हमसे बात करता है तो उन्हें भी हजारों रुपये जुर्माना देना होगा. जुर्माने के डर से कोई उससे बात नहीं करता है.
सरपंच के तानाशाही रवैया खराब
झेरिया यादव समाज प्रमुख जगनिक यादव ने घोर निंदा करते हुए पीड़ित परिवार को नया दिलाने के लिए हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है. उनका कहना है कि सरपंच के तानाशाही रवैये पीड़ित परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.