महासमुंद: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. लगभग 10 लाख की आबादी वाले महासमुंद का बिजली विभाग भी इससे अछूता नहीं है. महासमुंद जिले में घरेलू, कृषि उद्योग और शासकीय उपभोक्ताओं को मिलाकर कुल एक लाख 91 हजार बिजली उपभोक्ता हैं. इन सभी उपभोक्ताओं को छत्तीसगढ़ राज्य वितरण कंपनी CSPDL (सीएसपीडीसीएल) के 450 नियमित अधिकारी कर्मचारियों और 400 अनियमित ठेका कर्मचारियों के जरिए सेवा दी जा रही है.
महासमुंद के लिए बनाए गए तीन डिवीजन
कोरबा से मिलने वाली बिजली रायगढ़ और खेदामारा के 400 किलोवाट के मेन लोड डिस्पैच सेंटर के जरिए से जिले में पहुंचती है. कई दशकों तक लो वोल्टेज और बिजली कटौती की समस्या झेलने वाले महासमुंद जिले में अब निरंतर सुधार किया जा रहा है. जिले में बेहतर बिजली सुविधा के लिए तीन डिवीजन (महासमुंद ,पिथौरा, सरायपाली) बनाकर 220 किलोवाट के 2 सबस्टेशन, 132 किलोवाट के 4 सबस्टेशन और 33 /11 किलोवाट के 99 सब स्टेशन स्थापित कर बिजली आपूर्ति की जा रही है. महासमुंद में हर महीने लगभग 33 करोड़ रुपए की बिजली खपत होती है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि कोरोना काल के दौरान बिजली बिल की वसूली आधी ही हो पा रही है.
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गौरतलब है कि 320 मेगावाट की पूर्ति क्षमता रखने वाले महासमुंद में गर्मी के दिनों में 150 मेगावाट सामान्य स्थिति में 110 मेगावाट और बारिश के मौसम में 70 मेगावाट बिजली की मांग होती है.
हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम योजना
छत्तीसगढ़ में पहली बार महासमुंद जिले में HVDS (हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम योजना ) के तहत 16 किलोवाट और 25 किलोवाट के छोटे ट्रांसफार्मर के साथ चार-पांच किसानों का ग्रुप बना कर विभाग से बिजली वितरण कर रहा है. जिसके कारण लो वोल्टेज और कटौती की समस्या न्यूनतम हो गई है. बावजूद इसके बिजली बिल की कम वसूली भी विभाग के लिए चिंता का सबब बन गई है..