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पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण, कहा - 'मूलभूत सुविधाओं के लिए आए रुपए को गौठान में लगा रहे अधिकारी' - छत्तीसगढ़

अब तक झेली हाथीयों की मार, अब पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण.

ग्रामीण समस्या लेकर पहुंचे प्रशासन के पास
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Published : Jul 28, 2019, 6:40 PM IST

महासमुंद : बांसमुड़ा गांव के ग्रामीण हाथी की समस्या से पूरी तरह उबरे ही नहीं थे कि, एक और दिक्कत उनके गले पड़ गई है. ग्रामीण पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. एक हजार की आबादी वाले आदिवासी बाहुल गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण

पंप से आ रहा लाल पानी

ग्रामीणों ने बताया कि 'गर्मी में वे हाथी और पानी का समस्या से परेशान थे अब बारिश में भी उन्हें पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. 6 पंप होने के बावजूद दो ही पंप चालू हैं, जिनसे लाल पानी आ रहा है'.

अधिकारियों से की शिकायत

ग्रामवासी शिकायत लेकर अधिकारियों से मिलने महासमुंद जिला मुख्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने बताया कि, 'शिकायत करते-करते हम थक गए हैं और पीने का पानी नहीं मिलने से जीना मुश्किल हो गया हैं'.

मूलभूत सुविधाएं अटकी

जनपद पंचायत सदस्य योगेश्वर चंद्राकर का कहना है कि, 'पंचायत के लिए बजट आया था, लेकिन प्रशासन ने उन रुपयों को गौठान में लगा दिया, जिसके कारण पाइपलाइन और मूलभूत सुविधाएं अटक गई हैं'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'गौठान के लिए अलग फंड होना चाहिए न कि मूलभूत सुविधाओं के फंड को उसमें लगाना चाहिए'.

महासमुंद : बांसमुड़ा गांव के ग्रामीण हाथी की समस्या से पूरी तरह उबरे ही नहीं थे कि, एक और दिक्कत उनके गले पड़ गई है. ग्रामीण पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. एक हजार की आबादी वाले आदिवासी बाहुल गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण

पंप से आ रहा लाल पानी

ग्रामीणों ने बताया कि 'गर्मी में वे हाथी और पानी का समस्या से परेशान थे अब बारिश में भी उन्हें पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. 6 पंप होने के बावजूद दो ही पंप चालू हैं, जिनसे लाल पानी आ रहा है'.

अधिकारियों से की शिकायत

ग्रामवासी शिकायत लेकर अधिकारियों से मिलने महासमुंद जिला मुख्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने बताया कि, 'शिकायत करते-करते हम थक गए हैं और पीने का पानी नहीं मिलने से जीना मुश्किल हो गया हैं'.

मूलभूत सुविधाएं अटकी

जनपद पंचायत सदस्य योगेश्वर चंद्राकर का कहना है कि, 'पंचायत के लिए बजट आया था, लेकिन प्रशासन ने उन रुपयों को गौठान में लगा दिया, जिसके कारण पाइपलाइन और मूलभूत सुविधाएं अटक गई हैं'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'गौठान के लिए अलग फंड होना चाहिए न कि मूलभूत सुविधाओं के फंड को उसमें लगाना चाहिए'.

Intro:एंकर - महासमुंद से 40 किलोमीटर दूर बांसमुड़ा गांव में आज भी ग्रामीणों को पानी की दिक्कतें उठानी पड़ रही है यह पूरा गांव आदिवासी बाहुल्य एरिया है लगभग 1000 की जनसंख्या है वही हाथी प्रभावित गांव भी है ग्रामीणों को परेशानियों से निजात नहीं मिल पा रहा है।


Body:वीओ 1 - जहां वह हाथी और पानी से परेशान थे अब बरसात के दिनों में भी उन्हें पानी नसीब नहीं हो रहा है 6 पंप होने के बाद भी दो ही पंप चालू है उसमें भी लाल पानी आ रहा है इन्हीं मुद्दों को लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारी से मिलने महासमुंद कलक्ट्रेट मुख्यालय आए जहां पर उन्होंने बताया कि उनके गांव में 6 हैंडपंप है जिसमें से दो पंपो गर्मी से शिकायत करते-करते हम थक गए और दो ही पंपो में पानी मिल रहा था अब उन पंपों से भी पानी खराब आ रहा है।


Conclusion:वीओ 2 - बरसात के मौसम में बीमारियों का डर बना रहता है वही जनपद पंचायत सदस्य योगेश्वर चंद्राकर का कहना है की चौधरी वित्त का पैसा पंचायत के लिए आया था उस पैसे को प्रशासन ने गठान में लगा दिया जिसके कारण पाइपलाइन व अन्य मूलभूत सुविधाएं अटक गई हैं ₹400000 में यह कार्य करने के लिए ग्रामीणों ने बैठक कर तय किया था उनका कहना है गठान बन्ना सही है पर इसके लिए अलग फंड होना चाहिए ना की मूलभूत सुविधाओं के मदों के पैसों को उसमें लगाना चाहिए।

बाइट 1 - बसंती बाई ग्राम बसकुड़ा पहचान - लाल साड़ी सर में सिंदूर और पीला बिलाऊज।

बाइट 2 - योगेश्वर चंद्राकर जनपद सदस्य पहचान - संतरा कलर का कुड़ता और सर में टीका।

बाइट 3 - आर. के. उरांव कार्यपालन अभियंता महासमुंद पहचान - लाइनिंग शर्ट

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्ट ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
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