महासमुंद: लॉकडाउन के इस दौर में एक तरफ रोटी की खातिर लोगों की जान जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों की खून-पसीने की कमाई बर्बाद हो रही है. महासमुंद जिले में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है जहां 10 लाख क्विंटल से भी ज्यादा धान बारिश में भीग कर सड़ने की कगार पर पहुंच गया है.
जिले में इस साल 127 धान खरीदी केंद्रों के माध्यम से 1 दिसंबर 2019 से 15 फरवरी 2020 तक धान की खरीदी की गई. इसके अंतर्गत 1 लाख 28 हजार किसानों से मार्कफेड ने 7 लाख 26 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा, जिसका 13 अरब रुपए से ज्यादा का भुगतान किसानों को किया गया.
धान खरीदी के 2 माह बाद भी नहीं हुआ परिवहन
नियमानुसार खरीदी के तत्काल बाद या अधिकतम 7 दिनों के अंदर धान का परिवहन संग्रहण केंद्रों या राइस मिलर्स की तरफ से हो जाना चाहिए था, लेकिन 127 समितियों में से 118 समितियों ने खरीदी बंद होने के दो माह बाद भी धान का परिवहन नहीं कराया.जिला विपणन अधिकारी ने राइस मिलर्स को 18 दिनों तक धान उठाने का आदेश ही नहीं दिया, और ना ही संग्रहण केंद्रों के लिए धान का परिवहन किया गया. जिसका नतीजा ये हुआ कि 10 लाख क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में जाम हो गया.
बेमौसम बारिश से सड़ गया अरबों का धान
पिछले दो महीने से बेमौसम बारिश के कारण खुले में पड़ा अरबों का धान भीग कर बारदाने सहित सड़ने लगा है. कई जगहों पर धान में अंकुरित भी निकलने लगा है, जिसके बाद अब आनन-फानन में अधिकारी इसी खराब हो चुके धान को जिले भर के राइस मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए उठाने को कह रहे हैं, लेकिन खराब हो चुके धान में भारी आर्थिक क्षति होने के डर से राइस मिलर्स में हाहाकार मच गया है.
एक तरफ किसान दिन-रात एक कर मेहनत कर धरती से सोना उगा रहा है, दूसरी तरफ आम आदमी ऊंचे-ऊंचे दाम देकर इस अनाज को खरीद रहा है, तो वहीं ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी जनता की गाढ़ी कमाई को मिट्टी में मिलाने में लगे हुए हैं.