कोरिया: अंबिकापुर और बैकुंठपुर के बीच सांवारांवा गांव है. यहां करीब 37 साल पहले मालगाड़ी और सवारी ट्रेन के बीच टक्कर हुई थी. कोरिया तब सरगुजा जिले का हिस्सा हुआ करता था. बैकुंठपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सांवारांवा के जामपारा से गुजरने वाले रेलवे लाइन पर अंबिकापुर की ओर से आ रही सवारी ट्रेन की भिड़ंत बैकुंठपुर की ओर से आ रही मालगाडी से हुई. हादसा जब हुआ तो काफी जोर की आवाज आई, जिसके बाद संवारांवा के जामपारा के ग्रामीण घटना स्थल की ओर दौड़े.
मालगाड़ी का इंजन गिर गया था: जहां यह हादसा हुआ वहां मालगाड़ी का इंजन क्षतिग्रस्त होकर नीचे गिर गया था. गोबरी पुल में मालगाडी का डिब्बा गिर गया था. भोपाल और बिलासपुर की रेस्क्यु टीम ने हादसे में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए अंबिकापुर और बिलासपुर पहुंचाया था. 37 साल से रेलवे के गोबरी पुल के नीचे मालगाड़ी के डिब्बे के कलपुर्जे बिखरे पड़े हैं. कुछ जमीन में धंस चुके है, लोहे के पहिए जमीन के उपर नजर आ रहे हैं. इसके 200 मीटर की दूरी पर मुख्य दुर्घटना स्थल पर मालगाड़ी के इंजन के कलपुर्जे जमीन पर पड़े हुए हैं, जिन्हें बड़ी बड़ी झाड़ियों ने ढंक रखा है. हादसे के कई सालों तक इसके कलपुर्जों को रेलवे के साथ ठेकेदार भी ले गए लेकिन लोहे का काफी बड़ा हिस्सा आज भी यहां पड़ा हुआ है.
रामशंकर कुशवाहा बताते हैं ''साल 1984 के आसपास यहां एक्सीडेंट हुआ था. लोग डीजल इंजन के नीचे दब गए थे. हम लोग अपना खेत में मवेशी चरा रहे थे, उसी दौरान यह हादसा हुआ था.
ललन सिंह बताते हैं ''उस समय मैं बहुत छोटा था. अब बड़ा अचंभा होता है. अर्जुन सिंह बताते हैं कि ''यह दुर्घटना देखकर हम हैरान हो गए थे.''
गुलाब सिंह बताते हैं कि ''मालगाड़ी और सवारी गाड़ी के बीच हादसा हुआ था. कई लोग जल गए, कई लोगों को पता नहीं चला.''बैकुंठपुर रोड स्टेशन मैनेजर जेके जेना बताते हैं कि ''1986 के आसपास यह हादसा हुआ था. कुछ लोगों की मौत हुई थी. हमारे स्टाफ के लोग भी बता रहे थे कि उनके भी कुछ रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. अब स्टाफ के लोग भी रिटायर होकर चले गए.''