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जानिए क्यों छीन सकता है इस शहर से निगम का दर्जा ?

छत्तीसगढ़ में एक नगर निगम ऐसा है जो अपनी पहचान खोता जा रहा है. इस निगम में पहले एक लाख से ज्यादा की आबादी थी.लेकिन अब हालात बदल गए (declining population of Chirmiri Municipality) हैं.

status of Chirmiri Corporation can be snatched
घटती आबादी के कारण छीन सकता है निगम का दर्जा
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Published : Jul 12, 2022, 11:50 AM IST

Updated : Jul 12, 2022, 12:36 PM IST

कोरिया : कभी लोगों से आबाद रहने वाला चिरमिरी क्षेत्र धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा (Chirmiri Municipal Corporation) है. इस क्षेत्र में कभी 2 लाख से ज्यादा की आबादी रहती थी. कई कोल माइन्स से लोगों की जीविका चलती थी.लेकिन जैसे-जैसे धरती से कोयला निकलता गया वैसे-वैसे यहां की आबादी भी कम होती गई. चिरमिरी नगरपालिक निगम की जनसंख्या लगातार घट रही है. चिरमिरी पूरी तरह कोयलांचल क्षेत्र है. जहां कोयले के अलावा कोई दूसरा उद्योग नहीं है. इस क्षेत्र में यूपी, पश्चिम बंगाल और एमपी से लोग आकर बसे और कोल खदानों में काम किया. अब जैसे-जैसे लोग रिटायर हो रहे हैं.वैसे-वैसे ये इलाका खाली होता जा रहा है. वहीं दूसरी ओर राजस्व भूमि का पट्टा न मिलने के कारण भी लोग पलायन के लिये मजबूर (declining population of Chirmiri Municipality) है.

खतरे में चिरमिरी के निगम का दर्जा



साल दर साल घटते गए लोग : चिरमिरी जो कभी बड़ा क्षेत्र हुआ करता था. इसमें एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतें शामिल थी. लेकिन दो हजार चार में नगरपालिक निगम बनने के बाद ये सभी पंचायतें अलग हो गई. निगम बनने के समय यहां की जनसंख्या एक लाख पंद्रह हजार थी. जो दो हजार ग्यारह में हुई जनसंख्या में अस्सी हजार एक सौ तिहत्तर रह गई. पैंतीस हजार की बड़ी जनसंख्या उस समय कम हुई जो वर्तमान में पैसठ से सत्तर हजार रह गई है.

क्यों हुई आबादी कम : इस तरह चिरमिरी की जनसंख्या अनुमानित पचास हजार कम हो गई है. चिरमिरी के पूर्व मेयर डोमरु रेड्डी ने अपने कार्यकाल में ग्यारह सौ उनसठ लोगों को पट्टा देने का काम किया था. जिससे शहर को बचाया जा सके. उनका कहना है कि ''राजस्व भूमि का पट्टा मिलना बंद हो गया है, जिसके कारण लोग पलायन को मजबूर हैं. नई कोयला खदानों के न खुलने और रोजगार के अवसर न होने के कारण युवा पलायन को मजबूर हैं.''

सरकार पलायन कम करने की कर रही कोशिश :हालांकि सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh gift to Chirmiri Municipality) की सौगातों और सुविधाओं के बाद लोग कम पलायन कर रहे हैं. विधायक विनय जायसवाल चार नई कोयला खदानों को खुलवाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि ''नई खदानें खुलने से युवाओं को रोजगार मिलेगा. साथ ही चिरमिरी को स्थायित्व मिलेगा.'' आयुक्त विजेंद्र सिंह सारथी भी मान रहे हैं कि चिरमिरी की जनसंख्या घट रही है.

status of Chirmiri Corporation can be snatched
घटती आबादी के कारण छीन सकता है निगम का दर्जा

ये भी पढ़ें- मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर को जिला बनाने पर झूमे चिरमिरी और भरतपुर के लोग

छीन सकता है निगम का दर्जा : देखा जाए तो चिरमिरी नगरपालिक निगम जनसंख्या के अनुसार निगम का अपना दर्जा खो चुका (status of Chirmiri Corporation can be snatched) है. उसके लिये एक लाख से ज्यादा की जनसंख्या का होना जरूरी है. ऐसे में लगातार घटती जनसंख्या चिरमिरी से निगम का दर्जा भी छीन सकती है. इसलिये चिरमिरी शहर को बचाने की जरूरत है.

कोरिया : कभी लोगों से आबाद रहने वाला चिरमिरी क्षेत्र धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा (Chirmiri Municipal Corporation) है. इस क्षेत्र में कभी 2 लाख से ज्यादा की आबादी रहती थी. कई कोल माइन्स से लोगों की जीविका चलती थी.लेकिन जैसे-जैसे धरती से कोयला निकलता गया वैसे-वैसे यहां की आबादी भी कम होती गई. चिरमिरी नगरपालिक निगम की जनसंख्या लगातार घट रही है. चिरमिरी पूरी तरह कोयलांचल क्षेत्र है. जहां कोयले के अलावा कोई दूसरा उद्योग नहीं है. इस क्षेत्र में यूपी, पश्चिम बंगाल और एमपी से लोग आकर बसे और कोल खदानों में काम किया. अब जैसे-जैसे लोग रिटायर हो रहे हैं.वैसे-वैसे ये इलाका खाली होता जा रहा है. वहीं दूसरी ओर राजस्व भूमि का पट्टा न मिलने के कारण भी लोग पलायन के लिये मजबूर (declining population of Chirmiri Municipality) है.

खतरे में चिरमिरी के निगम का दर्जा



साल दर साल घटते गए लोग : चिरमिरी जो कभी बड़ा क्षेत्र हुआ करता था. इसमें एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतें शामिल थी. लेकिन दो हजार चार में नगरपालिक निगम बनने के बाद ये सभी पंचायतें अलग हो गई. निगम बनने के समय यहां की जनसंख्या एक लाख पंद्रह हजार थी. जो दो हजार ग्यारह में हुई जनसंख्या में अस्सी हजार एक सौ तिहत्तर रह गई. पैंतीस हजार की बड़ी जनसंख्या उस समय कम हुई जो वर्तमान में पैसठ से सत्तर हजार रह गई है.

क्यों हुई आबादी कम : इस तरह चिरमिरी की जनसंख्या अनुमानित पचास हजार कम हो गई है. चिरमिरी के पूर्व मेयर डोमरु रेड्डी ने अपने कार्यकाल में ग्यारह सौ उनसठ लोगों को पट्टा देने का काम किया था. जिससे शहर को बचाया जा सके. उनका कहना है कि ''राजस्व भूमि का पट्टा मिलना बंद हो गया है, जिसके कारण लोग पलायन को मजबूर हैं. नई कोयला खदानों के न खुलने और रोजगार के अवसर न होने के कारण युवा पलायन को मजबूर हैं.''

सरकार पलायन कम करने की कर रही कोशिश :हालांकि सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh gift to Chirmiri Municipality) की सौगातों और सुविधाओं के बाद लोग कम पलायन कर रहे हैं. विधायक विनय जायसवाल चार नई कोयला खदानों को खुलवाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि ''नई खदानें खुलने से युवाओं को रोजगार मिलेगा. साथ ही चिरमिरी को स्थायित्व मिलेगा.'' आयुक्त विजेंद्र सिंह सारथी भी मान रहे हैं कि चिरमिरी की जनसंख्या घट रही है.

status of Chirmiri Corporation can be snatched
घटती आबादी के कारण छीन सकता है निगम का दर्जा

ये भी पढ़ें- मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर को जिला बनाने पर झूमे चिरमिरी और भरतपुर के लोग

छीन सकता है निगम का दर्जा : देखा जाए तो चिरमिरी नगरपालिक निगम जनसंख्या के अनुसार निगम का अपना दर्जा खो चुका (status of Chirmiri Corporation can be snatched) है. उसके लिये एक लाख से ज्यादा की जनसंख्या का होना जरूरी है. ऐसे में लगातार घटती जनसंख्या चिरमिरी से निगम का दर्जा भी छीन सकती है. इसलिये चिरमिरी शहर को बचाने की जरूरत है.

Last Updated : Jul 12, 2022, 12:36 PM IST

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