कोरिया: प्रभु श्रीराम चित्रकूट में वनवास का समय बिताने के बाद सतना और सीधी के रास्ते हरचोका आये थे. छतीसगढ़ में प्रभु श्रीराम का पहला प्रवेश भरतपुर ब्लॉक के हरचोका में हुआ था. जहां सीतामढ़ी (Sitamarhi of Bharatpur Koriya) है...जो मध्यप्रदेश की सीमा से सटा हुआ है. छतीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन पथ स्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय लिया है. सरकार ने इनके विकास के लिए तीन करोड़ पचास लाख की राशि स्वीकृत की है. जिसे दो हजार इक्कीस बाइस के पहले अनुपूरक बजट में शामिल किया गया था.त्रेता युग में इसका निर्माण पत्थरों की गुफा को काटकर प्राकृतिक रूप से कराया गया था.
सीतामढ़ी हरचोका में प्रभु एक दिन वनवास काल में आये थे. यहां 17 कक्ष बने हुये हैं, जिसमें कुछ में शिवलिंग स्थापित है. जब मध्यप्रदेश के चित्रकूट से प्रभु श्री राम निकले तब वो वनवास के दौरान इस क्षेत्र में आये. सीतामढ़ी हरचोका में पहुंचे. बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इसका निर्माण किया था. एक रात के लिये यहां प्रभु श्रीराम के साथ सीता मइया और भाई लक्ष्मण रुके थे. सीतामढ़ी के किनारे से मवई नदी निकली हुई है. सीतामढ़ी में बारह ज्योतिर्लिंगो के अलावा कई मूर्तियां स्थापित है. यहां तक पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग सीतामढ़ी तक बना हुआ है.
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सीतामढ़ी के चारों ओर बाउंड्रीवाल बनाया हुआ है. नदी के किनारे घाट का निर्माण किया गया है. कुछ कमरे यहां बने हुए हैं. छतीसगढ़ के कोरिया जिले के अलावा मध्यप्रदेश के अनूपपुर, शहडोल और सीधी जिले के लोगों का आना-जाना यहां हमेशा लगा रहता है. जिनके द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है. रामनवमी के दिन यहां मेला लगता है, जिसमें श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है. छतीसगढ़ सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है. जिसे लेकर कोरिया जिला प्रशासन लगातार इस जगह का दौरा कर रहा है. पिछले दिनों यहां वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण भी किया गया था.