कोरिया: कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में सरकार के तमाम वादों के बावजूद दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. मजदूरों के पास न तो अब खाना खदीरने के लिए रुपया है और न ही रहने की जगह, जिसकी वजह से मजदूर पैदल ही अपने घर पहुंचने के लिए निकल पड़े हैं. शासन-प्रशासन ने मजदूरों के लिए व्यवस्था करने की बात जरूर कही है लेकिन वह पूरी होती नहीं दिख रही है.
इस संबंध में जब मजदूरों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, 'जहां हमें रोका गया था, अब ना तो वहां पर हमें समय पर खाना मिल रहा है और ना ही जरूरी चीजें मुहैया कराई जा रही हैं. जिससे मजबूरन हमें अपने घर पैदल ही जाना पड़ रहा है'. मजदूरों ने बताया कि 'अब तो उनके पास खरीदने तक के रुपये नहीं है. जो जहां उन्हें खाना खिला देता है, उसी के भरोसे वह अपना सफर पूरा कर रहे हैं.
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मजदूरों का ख्याल रखने सरकार ने लिया था फैसला
लॉकडाउन की वजह से अगर किसी को सबसे ज्यादा परेशानी हुई तो वह है मजदूर वर्ग. लॉकडाउन के दौरान जब मजदूरों का जीना मुश्किल होने लगा, उनके सामने दो वक्त की रोटी की परेशानी आ खड़ी हुई. तब शासन-प्रशासन ने ये फैसला लिया था कि जो, मजदूर जहां कहीं भी हैं उनके लिए रूकने और खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी. वहीं मजदूरों को परेशान न होने का आश्वासन भी दिया गया था. अगर जमीनी स्तर पर देखें तो ये वादे खोखले होते नजर आते हैं.