कोरिया: मनेन्द्रगढ़ में स्थित हर्बल गार्डन आज जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपेक्षा के चलते बदहाली के कगार पर खड़ा है. इसकी देखरेख करने वाले नगर पालिका के कर्मचारी कुछ महीनों से नदारद हैं. मवेशी गार्डन में लगाए गए जड़ी बूटी को चट कर रहे हैं.
नगर पालिका अध्यक्ष प्रभा पटेल ने अपने पिछले कार्यकाल में हर्बल गार्डन को संवारने में दिलचस्पी दिखाई थी. इस गार्डन को इस कदर निखारा था कि पर्यावरण के क्षेत्र में संत गहिरा गुरु पुरस्कार पाने वाला यह प्रदेश का एकमात्र गार्डन भी बना था. लेकिन वर्तमान में अध्यक्षय के विचार भी बदल गए है. हर्बल गार्डन को कब्जा धारकों के लिए छोड़ दिया गया है. जिन्होंने इसके प्रवेश द्वार से लेकर इसके अस्तित्व तक पर कब्जा कर लिया है.
देखरेख के लिए नहीं हुई नियुक्ति
हर्बल गार्डन की दुर्दशा पर जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी हरदयाल रात्रे से बात की गई, तो उन्होंने नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों को ही गार्डन की दुर्दशा का जिम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी आते हैं और चले जाते हैं. लेकिन जनप्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देना चाहिए. हर्बल गार्डन में देखरेख के लिए करीब एक साल से किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है. अब ये पहले की तरह फिर से जंगल में तब्दील हो गया है.
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गार्डन में हो रहा कब्जा
हर्बल गार्डन की दुर्दशा पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष धर्मेंद्र पटवा ने मौजूदा अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 'जब मैं नगर पालिका अध्यक्ष था उस समय हर्बल गार्डन को गहिरा गुरु पुरस्कार मिला था. इस गार्डन की सुंदरता देखने लोग दूर दूर से आते थे.' इस गार्डन में एक से बढ़कर एक औषधि लगाई गई थी. यहां पर तमाम नेताओं जनप्रतिनिधियों और बड़े अधकारियों ने पेड़ और औषधियां लगाई थी. लेकिन वर्तमान नगर पालिका अध्यक्षा पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों ने गार्डन पर अवैध कब्जा कर लिया है.