कोरिया: शहर के बूढ़ा तालाब में गंगा दशहरा(Ganga Dussehra) का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बूढ़ा तालाब पहुंचे. कोविड गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा गया. हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का त्योहार काफी महत्व रखता है. गंगा दशहरा यानी मां गंगा के स्वर्ग से धरती पर आने का दिन. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा करने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है.
कोरिया में भी गंगा दशहरा पर्व परंपरागत तरीके से पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाया गया. लोगों ने सुबह बूढ़ा तालाब में डुबकी लगाई और फल, मिठाइयां, वस्त्र आदि का दान-पुण्य किया. इस अवसर पर लोगों ने अपने बच्चों के मुंडन भी कराए. दशहरा पर्व पर हिंदू घरों में महिलाओं, पुरुषों ने स्नान कर ब्राह्मणों, गरीब असहायों को तरबूज, खरबूज, शर्बत, आम, मिठाई और वस्त्र का दान किया.
गंगा स्नान करने से नष्ट होते हैं पाप
गंगा दशहरा का पर्व हर साल जेयष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है. 20 जून को पंचांग के अनुसार दशमी की तिथि है. ये पर्व भगवान शिव की पूजा से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि गंगा दशहरा को गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं.
गंगा दशहरा पर गंगा स्नान की है मान्यता, इस दिन राजा भागीरथ गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाए थे
गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का महत्व
गंगा दशहरा को लेकर मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं. जबरन किसी की वस्तु लेना, कटुवचन का प्रयोग, हिंसा, किसी की शिकायत करना, असत्य वचन बोलना, असंबद्ध प्रलाप, दूसरे की संपत्ति हड़पना या हड़पने की इच्छा, दूसरें को हानि पहुंचाना या ऐसी इच्छा रखना और बेवजह की बातों पर परिचर्चा शामिल है. इसलिए धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अगर अपनी गलतियों का अहसास और प्रभु से माफी मांगनी हो तो गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कर दान-पुण्य करें.
कोविड गाइडलाइंस का पालन करने की अपील
वर्तमान में कोरोना के चलते गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान करने की अपील की गई थी. मान्यता है कि विषम परिस्थिति में ऐसा करने से भी गंगा में डुबकी लगाने जैसा ही फल मिलता है.