कोरिया: मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक के ताराबहरा ग्राम पंचायत में वनवासी परिवारों की संयुक्त भूमि में फल उद्यान के साथ ही सब्जियों की भी खेती की जा रही है. 5 आदिवासी किसान परिवार परंपरागत खेती के काम में जी-जान से जुटे हैं. किसान राम सिंह और तोषकुमार के मुताबिक 1 साल में ही खेती और खेती करने का तरीका भी बदल गया है. यहां की पूरी जमीन करीब 19 एकड़ है. पहले पूरी जमीन बंजर ही पड़ी रहती थी.
खेती से आर्थिक उन्नति की राह आसान
सामूहिक कृषि के सुझाव के साथ ही अधिकारियों ने किसानों को गांव में खाली जमीन पर फलोद्यान तैयार करने के लिए सहयोग देने की जानकारी दी. ताराबहरा के किसानों के समूह ने इस सुझाव को ही अपना रास्ता बनाया. अपनी जमीन में फलोद्यान तैयार करने के लिए मनोहर सिंह ने 3 एकड़, राम सिंह और उनके भाइयों पृथ्वी सिंह और लोलर सिंह ने मिलकर 5 एकड़ भूमि पर फलों की खेती की तैयारी शुरू की. कुल 12 एकड़ भूमि पर सामूहिक फलोद्यान के साथ सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया गया.
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किसानों के चेहरे खिले
कोरिया कृषि विज्ञान केंद्र के मार्गदर्शन में उन्नत किस्म के नींबू, आम, अमरूद, सीताफल के करीब 2500 पौधे लगाए गए. शकरकंद के पौध भी लगाई गई. बाड़ी के किनारे शतावर जैसे औषधीय पौध की खेती की गई. इन पौधों की देखरेख के लिए भी इन परिवारों को मजदूरी की राशि मिलने लगी. सब्जी की खेती बड़े स्तर पर करने से इन्हे फलोद्यान तैयार होने के पहले ही बैगन जैसी सब्जी की खेती से ही 18 हजार रूपए तक का लाभ हो चुका है. इसके अलावा इन परिवारों को पौध तैयारी के काम से 85 हजार रूपए का अतिरिक्त लाभ हो चुका है.
अच्छी आमदनी से खुश हैं किसान
किसान परिवारों को शकरकंद की खेती से 35 हजार रूपए तक का लाभ हो चुका है. आने वाले समय में शकरकंद की खेती से 1 लाख 20 हजार रूपए का लाभ होगा. ये किसान परिवार अब खुद उन्नति की राह बना रहें हैं.