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SPECIAL: कोरोना काल में फर्ज निभा रहे कोलकर्मी, देश को मजबूत बनाने का है जज्बा

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Published : May 3, 2020, 12:03 PM IST

Updated : May 4, 2020, 8:52 AM IST

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी सार्वजनिक जगहों को सील कर दिया गया है, जिससे कोरोना वायरस से बचा जा सके, लेकिन कोल माइंस ही ऐसा सेक्टर है, जिसे लॉकडाउन में भी खुला रखा गया है. देश की आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने के कोलकर्मी कोरोना योद्धाओं के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहे हैं.

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फर्ज निभा रहे कोलकर्मी

कोरिया: कोविड-19 की महामारी से दुनिया जूझ रही है. इससे बचने के लिए प्रदेशभर में दुकान, स्कूल, कॉलेज समेत सड़क तक ब्लॉक कर दिए गए हैं. एक मात्र कोल माइंस ही ऐसा सेक्टर है, जिसको खुला रखा गया है, लेकिन इस कोरोना काल में कोलकर्मियों के सामने एक बड़ी चुनौती है. हर रोज खुद की जिंदगी दांव पर लगाकर अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं, जिससे की अर्थव्यवस्था को डगमगाने से कुछ हद तक बचाया जा सके.

फर्ज निभा रहे कोलकर्मी

साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड में काम कर रहे कोलकर्मियों से जब ETV भारत की टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने कहा देश के सामने आज एक ऐसी परिस्थिति आ खड़ी हुई है, जिससे उबरना अभी मुश्किल है. ऐसे में हम देश की उन्नति के लिए काम कर रहे हैं, जिससे देश के लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव मदद मिल सके.

पढ़ें: SPECIAL: दाने-दाने को मोहताज भीख मांगकर गुजारा करने वाले लोग, कौन ले सुध ?

कोल माइन्स पर संकट की घड़ी में विश्ववास

जब हमने कोलकर्मियों के परिवार से बात की, तो उनके दर्द के साथ हौसला भी दिखा. परिवार के लोगों का कहना था कि हमें भी डर लगता है, लेकिन देश के लोगों ने कोल माइन्स पर संकट की घड़ी में विश्वास जताया है, जिससे खुद पर गर्व महसूस होता है कि देश के लिए कुछ काम कर रहे हैं.

मजदूर नेता ने की कोलकर्मियों की हौसला आफजाई

कोरोना योद्धाओं ने कहा कि जब कोल माइन्स से काम कर घर वापस आते हैं, तो हम भी पूरी सावधानी बरतते हैं. वह अपना कपड़ा अलग रखते हैं. स्नान करने के बाद ही घर के अंदर प्रवेश करते हैं, जिससे कोरोना से खतरा न हो, लेकिन डर आज भी जेहन में कायम है. वहीं श्रमिक नेता अख्तर जावेद ने भी कोलकर्मियों की हौसला आफजाई की.

पढ़ें: SPECIAL: छत्तीसगढ़ में मनरेगा बना 'संजीवनी', देश में मजदूरों को सबसे ज्यादा मिला काम

थर्मल प्लांट के लिए दिया जाता है कोयला

कोयला सप्लाई बड़े उद्योग- थर्मल प्लांट कोटा, राजस्थान, बनारस, कोरबा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र तो वहीं छोटे उद्योग- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, प्राइवेट कंपनी के लिए होता है. वहीं जिले में कुल खदानें- बैकुंठपुर-12, चिरमिरी- 5, मनेन्द्रगढ़ में 7 खदानें, तो वहीं 60 प्रतिशत कोयला कोरिया जिले से केवल थर्मल प्लांट के लिए दिया जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: दूसरे राज्यों में छग के 90 हजार मजदूर फंसे, सरकार से वापस बुलाने की गुहार

देशभर में सप्लाई किया जाता है छत्तीसगढ़ का कोयला

बता दें कि भारत के लगभग हर हिस्से में छत्तीसगढ़ का कोयला सप्लाई किया जाता है. जहां छोटे-बड़े इंडस्ट्री हैं. अगर कोयला उत्पादन बंद होता है, तो इसका सीधा असर देश के सभी राज्यों पर पड़ेगा. इससे बिजली उत्पादन नहीं होगा, जिससे हॉस्पिटल में ऑपरेशन संभव नहीं है. इंटरनेट सेवाएं समेत तमाम सेवाएं ठप पड़ जाएगी, जो बिजली से चलती है.

कोरिया: कोविड-19 की महामारी से दुनिया जूझ रही है. इससे बचने के लिए प्रदेशभर में दुकान, स्कूल, कॉलेज समेत सड़क तक ब्लॉक कर दिए गए हैं. एक मात्र कोल माइंस ही ऐसा सेक्टर है, जिसको खुला रखा गया है, लेकिन इस कोरोना काल में कोलकर्मियों के सामने एक बड़ी चुनौती है. हर रोज खुद की जिंदगी दांव पर लगाकर अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं, जिससे की अर्थव्यवस्था को डगमगाने से कुछ हद तक बचाया जा सके.

फर्ज निभा रहे कोलकर्मी

साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड में काम कर रहे कोलकर्मियों से जब ETV भारत की टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने कहा देश के सामने आज एक ऐसी परिस्थिति आ खड़ी हुई है, जिससे उबरना अभी मुश्किल है. ऐसे में हम देश की उन्नति के लिए काम कर रहे हैं, जिससे देश के लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव मदद मिल सके.

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कोल माइन्स पर संकट की घड़ी में विश्ववास

जब हमने कोलकर्मियों के परिवार से बात की, तो उनके दर्द के साथ हौसला भी दिखा. परिवार के लोगों का कहना था कि हमें भी डर लगता है, लेकिन देश के लोगों ने कोल माइन्स पर संकट की घड़ी में विश्वास जताया है, जिससे खुद पर गर्व महसूस होता है कि देश के लिए कुछ काम कर रहे हैं.

मजदूर नेता ने की कोलकर्मियों की हौसला आफजाई

कोरोना योद्धाओं ने कहा कि जब कोल माइन्स से काम कर घर वापस आते हैं, तो हम भी पूरी सावधानी बरतते हैं. वह अपना कपड़ा अलग रखते हैं. स्नान करने के बाद ही घर के अंदर प्रवेश करते हैं, जिससे कोरोना से खतरा न हो, लेकिन डर आज भी जेहन में कायम है. वहीं श्रमिक नेता अख्तर जावेद ने भी कोलकर्मियों की हौसला आफजाई की.

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थर्मल प्लांट के लिए दिया जाता है कोयला

कोयला सप्लाई बड़े उद्योग- थर्मल प्लांट कोटा, राजस्थान, बनारस, कोरबा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र तो वहीं छोटे उद्योग- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, प्राइवेट कंपनी के लिए होता है. वहीं जिले में कुल खदानें- बैकुंठपुर-12, चिरमिरी- 5, मनेन्द्रगढ़ में 7 खदानें, तो वहीं 60 प्रतिशत कोयला कोरिया जिले से केवल थर्मल प्लांट के लिए दिया जाता है.

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देशभर में सप्लाई किया जाता है छत्तीसगढ़ का कोयला

बता दें कि भारत के लगभग हर हिस्से में छत्तीसगढ़ का कोयला सप्लाई किया जाता है. जहां छोटे-बड़े इंडस्ट्री हैं. अगर कोयला उत्पादन बंद होता है, तो इसका सीधा असर देश के सभी राज्यों पर पड़ेगा. इससे बिजली उत्पादन नहीं होगा, जिससे हॉस्पिटल में ऑपरेशन संभव नहीं है. इंटरनेट सेवाएं समेत तमाम सेवाएं ठप पड़ जाएगी, जो बिजली से चलती है.

Last Updated : May 4, 2020, 8:52 AM IST
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