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तीन साल से नहीं मिली सीपीएस की राशि, शिक्षाकर्मियों ने जताई घोटाले की आशंका - मनेंद्रगढ़

मनेंद्रगढ़ विकासखंड में 3 साल तक काटे गए पीएफ की राशि अब तक शिक्षाकर्मियों के खाते में नहीं आई. विकासखंड में कार्यरत लगभग 700 शिक्षाकर्मियों को अब यह चिंता सता रही है कि कहीं उनकी पीएफ राशि घोटाले की भेंट तो नहीं चढ़ गई.

CPS amount not received
नहीं मिली सीपीएस की राशि
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Published : Jun 22, 2020, 8:59 PM IST

कोरिया : मनेंद्रगढ़ विकासखंड में पीएफ की राशि गायब होने का मामला सामने आया है. 3 साल तक काटे गए पीएफ की राशि अब तक शिक्षाकर्मियों की खाते में नहीं आई. विकासखंड में कार्यरत लगभग 700 शिक्षाकर्मियों को अब यह चिंता सता रही है कि कहीं उनकी पीएफ राशि घोटाले की भेंट तो नहीं चढ़ गई. शिक्षाकर्मियों के खाते से उनके वेतन का हर महीने 10 फीसदी काटा गया. शिक्षकों को लग रहा था कि यह राशि उनकी पीएफ खाते में डाली जा रही है लेकिन सालों बीतने के बाद भी यह राशि पीएफ खाते में नहीं आई. परेशान शिक्षाकर्मी अब नेताओं से लेकर अधिकारियों तक अपनी फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं.

तीन साल से नहीं मिली सीपीएस की राशि

एक जनवरी 2012 को तत्कालीन बीजेपी सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि प्रदेश में कार्यरत सभी शिक्षाकर्मियों को भी अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. जिसके तहत अप्रैल 2012 से 30 सितंबर 2015 तक शिक्षकों के मूल वेतन से प्रतिमाह 10% सीपीएस काटकर वेतन भुगतान किया जाता रहा. कटौती की गई राशि को शिक्षकों के सीपीएस खाते में डाला जाना था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही कारण 700 शिक्षकों को 39 महीने तक अंशदायी पेंशन का पैसा आज तक उनके खाते में नहीं आया.

पढ़ें-अब प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान हुआ चोरी, पीड़ित ने थाने में की शिकायत

बता दें कि 39 महीने तक लगभग 700 शिक्षा कर्मियों के खाते से 87 लाख 90 हजार 688 रुपए काटे गए. लेकिन आज तक यह राशि शिक्षाकर्मियों को नहीं मिली. राशि का पता ना तो जनपद पंचायत पंचायत और ना ही जिला पंचायत कोरिया के पास है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षाकर्मियों के वेतन से काटी गई राशि कहां गई?

क्या है सीपीएस की राशि

नौकरीपेशा लोगों के वेतन से उनके वेतन का 10% काटकर अंशदायी पेंशन योजना में जमा किया जाता है. जितनी राशि वेतन से काटी जाती है उतनी ही राशि सरकार द्वारा दी जाती है.

कब काटी गई कितनी राशि-

  • अप्रैल 2012 से दिसंबर 2012 तक -12 लाख 69 हजार 277 रुपये
  • जनवरी 2013 से नवंबर 2013 तक - 22 लाख 17 हजार 599 रुपये
  • जनवरी 2014 से दिसंबर 2014 तक - 30 लाख 6 हजार 222 रुपये
  • जनवरी 2015 से दिसंबर 2015 तक - 22 लाख 97 हजार 590 रुपये

इस संबंध में मनेन्द्रगढ़ सीईओ अनिल कुमार निगम से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद ही वे कुछ बता पाएंगे.

कोरिया : मनेंद्रगढ़ विकासखंड में पीएफ की राशि गायब होने का मामला सामने आया है. 3 साल तक काटे गए पीएफ की राशि अब तक शिक्षाकर्मियों की खाते में नहीं आई. विकासखंड में कार्यरत लगभग 700 शिक्षाकर्मियों को अब यह चिंता सता रही है कि कहीं उनकी पीएफ राशि घोटाले की भेंट तो नहीं चढ़ गई. शिक्षाकर्मियों के खाते से उनके वेतन का हर महीने 10 फीसदी काटा गया. शिक्षकों को लग रहा था कि यह राशि उनकी पीएफ खाते में डाली जा रही है लेकिन सालों बीतने के बाद भी यह राशि पीएफ खाते में नहीं आई. परेशान शिक्षाकर्मी अब नेताओं से लेकर अधिकारियों तक अपनी फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं.

तीन साल से नहीं मिली सीपीएस की राशि

एक जनवरी 2012 को तत्कालीन बीजेपी सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि प्रदेश में कार्यरत सभी शिक्षाकर्मियों को भी अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. जिसके तहत अप्रैल 2012 से 30 सितंबर 2015 तक शिक्षकों के मूल वेतन से प्रतिमाह 10% सीपीएस काटकर वेतन भुगतान किया जाता रहा. कटौती की गई राशि को शिक्षकों के सीपीएस खाते में डाला जाना था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही कारण 700 शिक्षकों को 39 महीने तक अंशदायी पेंशन का पैसा आज तक उनके खाते में नहीं आया.

पढ़ें-अब प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान हुआ चोरी, पीड़ित ने थाने में की शिकायत

बता दें कि 39 महीने तक लगभग 700 शिक्षा कर्मियों के खाते से 87 लाख 90 हजार 688 रुपए काटे गए. लेकिन आज तक यह राशि शिक्षाकर्मियों को नहीं मिली. राशि का पता ना तो जनपद पंचायत पंचायत और ना ही जिला पंचायत कोरिया के पास है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षाकर्मियों के वेतन से काटी गई राशि कहां गई?

क्या है सीपीएस की राशि

नौकरीपेशा लोगों के वेतन से उनके वेतन का 10% काटकर अंशदायी पेंशन योजना में जमा किया जाता है. जितनी राशि वेतन से काटी जाती है उतनी ही राशि सरकार द्वारा दी जाती है.

कब काटी गई कितनी राशि-

  • अप्रैल 2012 से दिसंबर 2012 तक -12 लाख 69 हजार 277 रुपये
  • जनवरी 2013 से नवंबर 2013 तक - 22 लाख 17 हजार 599 रुपये
  • जनवरी 2014 से दिसंबर 2014 तक - 30 लाख 6 हजार 222 रुपये
  • जनवरी 2015 से दिसंबर 2015 तक - 22 लाख 97 हजार 590 रुपये

इस संबंध में मनेन्द्रगढ़ सीईओ अनिल कुमार निगम से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद ही वे कुछ बता पाएंगे.

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