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कोरबा में अधिकारियों को गिरिराज की दो टूक, कहा- कागज में सारा खेल कर चुके हो, अब तो चुप रहो!

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कोरबा दौरे पर हैं. उन्होंने जिला पंचायत सभागृह में समीक्षा बैठक लेकर योजनाओं की समीक्षा की. गिरिराज सिंह ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई.

Union Minister Giriraj Singh
केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
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Published : Jul 14, 2022, 4:05 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 4:20 PM IST

कोरबा: केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह आज कोरबा दौरे पर हैं. केन्द्रीय मंत्री ने कोरबा में जिला पंचायत सभागृह में प्रशासन की समीक्षा बैठक ली. योजनाओं की समीक्षा करते वक्त जब राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजना नरवा, गरवा की बात आई, तब उन्होंने जिला पंचायत सीईओ नूतन सिंह कंवर की जमकर क्लास लगा (Union Minister Giriraj Singh on Korba Visit) दी.

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कोरबा दौरे पर

दरअसल, योजनाओं की चर्चा के दौरान गिरिराज सिंह के ठीक बगल में बैठे पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के गौठानो में केंद्र सरकार का पैसा लग रहा है. मैंने इसकी शिकायत राज्यपाल से भी की है. इस पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने जिला पंचायत सीईओ से पूछ लिया कि आपने वित्त आयोग के पैसे को गौठान में कैसे खर्च कर दिए? जिला पंचायत सीईओ नूतन सींह कंवर सफाई में कुछ कहने लगे. इसपर मंत्री गिरिराज बिफर पड़े और कहा कि "कागज में तो आपने पूरा खेल कर ही दिया है, जब कम से कम चुप तो रहिये."

मंत्री बोले मैं बताता हूं कैसे किया होगा खेल: गौठानो के विषय में ननकीराम कंवर के द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "मैं बताता हूं क्या किया होगा? पहले उन्होंने पंचायत के अकाउंट में पैसा डाला होगा, वहां से फिर पैसे को रिवर्स ले लिया होगा, क्यों यही किया है न? बताओ वित्त आयोग की पैसे कैसे खर्च कर दिए...?" इसपर जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर ने प्रत्युत्तर में कहा, "ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव सक्षम हैं.वह प्रस्ताव पारित कर खर्च कर सकते हैं."

मंत्री ने लगाई लताड़: मंत्री ने फिर सीईओ को लताड़ते हुए कहा कि "यार...मैं भी देश घूम रहा हूं. मैं अपोजिशन और रुलिंग सभी राज्यों में घूम रहा हूं. ऐसा कहीं नहीं है, हर राज्य के सरपंच का खाता है. कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए सरपंचों का खाता अटैच रहता है. कई बार तो सरपंच मुझसे कहते हैं. मुझसे बिना पूछे हुए पैसा ट्रांसफर कर दिया है." "सीईओ कंवर फिर कहने लगे, "डीएससी अवेलेबल है, सर वह कर सकते हैं.खुद अपना पैसा वह जहां चाहे ट्रांसफर कर सकते हैं." "इस बात पर मंत्री के बगल में बैठे, ननकीराम ने कहा कि ग्राम गौठान समितियों अध्यक्ष के संबंध में यह बता दीजिए कि किसको अध्यक्ष बनाया है." ननकीराम को जवाब देते हुए सीईओ जिला पंचायत ने कहा कि "ग्राम गौठान समिति का जो गठन किया जाता है. उसके लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव करके चार नाम स्टेट में भेजना है. ग्राम सभा से नाम प्रस्तावित लर भेजा जाता है."

"कम से कम चुप तो रहिये" : सीईओ को बोलता देख केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने फिर कहा कि " चलिए मेरा एक आग्रह है. इस पर बहस नहीं करूंगा, यह सब कागजी काम.... मैं राज्य में भी मंत्री रहा हूं, केंद्र में भी मंत्री हूं. जनप्रतिनिधि हूं. यह सारा खेल आप ही के माध्यम से होता है. जैसा डायरेक्शन ऊपर से आता है. आप सारा खेल करते हैं. लेकिन जब बात कही जा रही है, तब कम से कम चुप तो हो जाइए. कागज पर तो सारा खेल अपने कर ही लिया है, लेकिन अब चुप तो रहिये."

आपकी सारी पोल खुल जाएगी: केंद्रीय मंत्री ने फिर कहा, "अगर मैं विधायकों से यह कह दूं कि विधानसभा में जाकर पंचायतों से संबंधित कार्यों पर प्रश्न लगा दें तो आपकी सारी पोल खुल जाएगी. चलिए आगे बढिए." जिसके बाद कलेक्टर संजीव झा ने अगली योजना पर चर्चा शुरू करवाई.

जिला पंचायत सीईओ पूरे समय रहे मंत्री के रडार पर: दरअसल, समीक्षा बैठक में केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह एक एक योजना की समीक्षा बारीकी से कर रहे थे.
वह ऐसे प्रश्न पूछ रहे थे कि अधिकारी भौचक्के रह जा रहे थे. उन्होंने पीएम आवास से संबंधित प्रश्न का भी जवाब सीईओ से मांगे इस योजना पर भी उन्होंने सीईओ की क्लास लगाई.यह भी कहा कि पीएम आवास की मैचिंग अमाउंट राज्य सरकार नहीं दे पाई, इसलिए राज्य में लाखों हितग्राहियों के आवास अधूरे रह गए या बेहद दुर्भाग्य का विषय है.

यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह राम जानकी मंदिर से शुरू करेंगे मैराथन दौरा

जल जीवन मिशन और आयुष्मान भारत पर भी जताई नाराजगी: जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत कार्यों की जानकारी देते वक्त अधिकारी ने जानकारी दी कि कोरबा जिले के 723 गांव में केवल 11 गांव में ही जल जीवन मिशन के काम पूरे हुए हैं. इस पर मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारी को कहा, "ऐसा क्यों है कि सिर्फ 11 गांव में ही आपने काम पूरा किया है. आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी अगर हम गरीबों को स्वच्छ जल नहीं दे पाए तो यह बेहद पीड़ा का विषय है. मेरे जैसे जनप्रतिनिधि को इससे पीड़ा होती है. आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा के दौरान भी उन्होंने कुल हितग्राहियों की संख्या पूछी, यह भी पूछा कि ऐसे कितने परिवार हैं. जिन्हें योजना के तहत एक परिवार में 2 सदस्यों को योजना का लाभ मिला है. इसका आंकड़ा भी सीएमएचओ प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिसपर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की.

कोरबा: केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह आज कोरबा दौरे पर हैं. केन्द्रीय मंत्री ने कोरबा में जिला पंचायत सभागृह में प्रशासन की समीक्षा बैठक ली. योजनाओं की समीक्षा करते वक्त जब राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजना नरवा, गरवा की बात आई, तब उन्होंने जिला पंचायत सीईओ नूतन सिंह कंवर की जमकर क्लास लगा (Union Minister Giriraj Singh on Korba Visit) दी.

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कोरबा दौरे पर

दरअसल, योजनाओं की चर्चा के दौरान गिरिराज सिंह के ठीक बगल में बैठे पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के गौठानो में केंद्र सरकार का पैसा लग रहा है. मैंने इसकी शिकायत राज्यपाल से भी की है. इस पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने जिला पंचायत सीईओ से पूछ लिया कि आपने वित्त आयोग के पैसे को गौठान में कैसे खर्च कर दिए? जिला पंचायत सीईओ नूतन सींह कंवर सफाई में कुछ कहने लगे. इसपर मंत्री गिरिराज बिफर पड़े और कहा कि "कागज में तो आपने पूरा खेल कर ही दिया है, जब कम से कम चुप तो रहिये."

मंत्री बोले मैं बताता हूं कैसे किया होगा खेल: गौठानो के विषय में ननकीराम कंवर के द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "मैं बताता हूं क्या किया होगा? पहले उन्होंने पंचायत के अकाउंट में पैसा डाला होगा, वहां से फिर पैसे को रिवर्स ले लिया होगा, क्यों यही किया है न? बताओ वित्त आयोग की पैसे कैसे खर्च कर दिए...?" इसपर जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर ने प्रत्युत्तर में कहा, "ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव सक्षम हैं.वह प्रस्ताव पारित कर खर्च कर सकते हैं."

मंत्री ने लगाई लताड़: मंत्री ने फिर सीईओ को लताड़ते हुए कहा कि "यार...मैं भी देश घूम रहा हूं. मैं अपोजिशन और रुलिंग सभी राज्यों में घूम रहा हूं. ऐसा कहीं नहीं है, हर राज्य के सरपंच का खाता है. कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए सरपंचों का खाता अटैच रहता है. कई बार तो सरपंच मुझसे कहते हैं. मुझसे बिना पूछे हुए पैसा ट्रांसफर कर दिया है." "सीईओ कंवर फिर कहने लगे, "डीएससी अवेलेबल है, सर वह कर सकते हैं.खुद अपना पैसा वह जहां चाहे ट्रांसफर कर सकते हैं." "इस बात पर मंत्री के बगल में बैठे, ननकीराम ने कहा कि ग्राम गौठान समितियों अध्यक्ष के संबंध में यह बता दीजिए कि किसको अध्यक्ष बनाया है." ननकीराम को जवाब देते हुए सीईओ जिला पंचायत ने कहा कि "ग्राम गौठान समिति का जो गठन किया जाता है. उसके लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव करके चार नाम स्टेट में भेजना है. ग्राम सभा से नाम प्रस्तावित लर भेजा जाता है."

"कम से कम चुप तो रहिये" : सीईओ को बोलता देख केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने फिर कहा कि " चलिए मेरा एक आग्रह है. इस पर बहस नहीं करूंगा, यह सब कागजी काम.... मैं राज्य में भी मंत्री रहा हूं, केंद्र में भी मंत्री हूं. जनप्रतिनिधि हूं. यह सारा खेल आप ही के माध्यम से होता है. जैसा डायरेक्शन ऊपर से आता है. आप सारा खेल करते हैं. लेकिन जब बात कही जा रही है, तब कम से कम चुप तो हो जाइए. कागज पर तो सारा खेल अपने कर ही लिया है, लेकिन अब चुप तो रहिये."

आपकी सारी पोल खुल जाएगी: केंद्रीय मंत्री ने फिर कहा, "अगर मैं विधायकों से यह कह दूं कि विधानसभा में जाकर पंचायतों से संबंधित कार्यों पर प्रश्न लगा दें तो आपकी सारी पोल खुल जाएगी. चलिए आगे बढिए." जिसके बाद कलेक्टर संजीव झा ने अगली योजना पर चर्चा शुरू करवाई.

जिला पंचायत सीईओ पूरे समय रहे मंत्री के रडार पर: दरअसल, समीक्षा बैठक में केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह एक एक योजना की समीक्षा बारीकी से कर रहे थे.
वह ऐसे प्रश्न पूछ रहे थे कि अधिकारी भौचक्के रह जा रहे थे. उन्होंने पीएम आवास से संबंधित प्रश्न का भी जवाब सीईओ से मांगे इस योजना पर भी उन्होंने सीईओ की क्लास लगाई.यह भी कहा कि पीएम आवास की मैचिंग अमाउंट राज्य सरकार नहीं दे पाई, इसलिए राज्य में लाखों हितग्राहियों के आवास अधूरे रह गए या बेहद दुर्भाग्य का विषय है.

यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह राम जानकी मंदिर से शुरू करेंगे मैराथन दौरा

जल जीवन मिशन और आयुष्मान भारत पर भी जताई नाराजगी: जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत कार्यों की जानकारी देते वक्त अधिकारी ने जानकारी दी कि कोरबा जिले के 723 गांव में केवल 11 गांव में ही जल जीवन मिशन के काम पूरे हुए हैं. इस पर मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारी को कहा, "ऐसा क्यों है कि सिर्फ 11 गांव में ही आपने काम पूरा किया है. आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी अगर हम गरीबों को स्वच्छ जल नहीं दे पाए तो यह बेहद पीड़ा का विषय है. मेरे जैसे जनप्रतिनिधि को इससे पीड़ा होती है. आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा के दौरान भी उन्होंने कुल हितग्राहियों की संख्या पूछी, यह भी पूछा कि ऐसे कितने परिवार हैं. जिन्हें योजना के तहत एक परिवार में 2 सदस्यों को योजना का लाभ मिला है. इसका आंकड़ा भी सीएमएचओ प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिसपर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की.

Last Updated : Jul 14, 2022, 4:20 PM IST
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