कोरबा: स्कूलों के बाद अब आदिवासी विभाग के आश्रमों, छात्रावासों को भी सामान्य दिनों की तरह संचालित करने की तैयारी शुरू हो चुकी है. लगभग 2 साल पहले कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद आदिवासी विभाग के आश्रम छात्रावास बंद कर दिए गए थे. इसके बाद से यह लगातार बंद हैं. आदिवासी छात्रावास (tribal hostel) खासतौर पर आदिवासी वर्ग से आने वाले बच्चों के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. आदिवासी छात्र, छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं.
कोरोना काल आते ही छात्रावासों को कर दिया था बंद
छात्रावास के बाद बंद होने के बाद आदिवासी छात्र घर वापस लौट गए थे. कई छात्र ऐसे भी हैं जो आश्रम और छात्रावास की सुविधा नहीं होने के बाद पढ़ाई से पूरी तरह से कट जाते हैं. ऐसे में एक बार फिर जब इनका संचालन शुरू किया जाएगा. यह आदिवासी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए बेहद कारगर उपाय है.
आदिवासी विभाग के 150 आश्रम और छात्रावास
कोरबा जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. कोरबा शहर को छोड़ दिया जाए तो पांचों विकासखंड को मिलाकर आदिवासियों की संख्या अधिक है. यहां आदिवासियों की संख्या लगभग 70% के आसपास है. जिनके लिए आदिवासी विभाग के आश्रम छात्रावासों को मिलाकर लगभग 150 संस्थान संचालित है. कुछ आश्रम ऐसे हैं जहां आदिवासी बच्चों को आवासीय शिक्षा भी प्रदान की जाती है. आश्रम और छात्रावास प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक श्रेणी में विभाजित किए जाते हैं. प्री मैट्रिक में प्राथमिक स्तर के जबकि पोस्ट मैट्रिक में 12वीं व कॉलेज के छात्रों को रहकर पढ़ाई करने की सुविधा मुहैया कराई जाती है.
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आदिवासी बच्चों के लिए छात्रावास और आश्रम बड़ी राहत
आदिवासी वर्ग से आने वाले बच्चे जिले के वनांचल क्षेत्र में निवास करते हैं. जो शहर या विकासखंड मुख्यालयों के स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई करते हैं. यहां रहकर वह शिक्षा ग्रहण करते हैं. ऐसे बच्चे आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर होते हैं. जोकि किराए पर रूम लेकर रहने का खर्चा नहीं उठा सकते हैं. ऐसे में आदिवासी विभाग (tribal department) के छात्रावास उनके लिए बेहद जरूरी हो जाते हैं.
कोरोना काल में छात्रावासों को बनाया गया था क्वारंटाइन सेंटर
कोरोना काल में आदिवासी विभाग के छात्रावासों को क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाया गया था. विकासखंड मुख्यालयों और जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित छात्रावासों को क्वारंटाइन सेंटर बनाकर वहां प्रवासी मजदूरों को ठहराया गया था. अब जब परिस्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं. तब सामान्य दिनों की तरह छात्रावासों का संचालन शुरू किए जाने की तैयारी हो रही है.
प्राथमिकताएं हो रही तय
कोरोना प्रोटोकॉल (corona protocol) में कुछ छूट मिलने के बाद ही अब छात्रावास और आश्रमों का संचालन शुरू किया जाएगा. फिलहाल विभाग विकासखंड वार छात्रावासों की समीक्षा कर रहा है. यह भी देखा जा रहा है कि छात्रावास में मरम्मत या अन्य व्यवस्थाओं की जरूरत है या नहीं. इसके हिसाब से ही प्राथमिकताएं तय कर संचालन फिर से शुरू किया जाएगा. विभाग का कहना है कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए छात्रावासों का संचालन शुरू होगा.
नि:शुल्क कोचिंग की भी होगी शुरुआत
छात्रावासों, आश्रमों की शुरुआत के साथ ही अब आदिवासी विभाग (tribal department) की ओर से आदिवासी बच्चों के लिए नि:शुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग की व्यवस्था भी की जा रही है. इसका प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. छात्रावासों में अब आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग भी मिलेगी. पात्रता के आधार पर छात्रों का चयन कर उन्हें नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है. इसके लिए भी विज्ञापन विभाग द्वारा जारी किया गया है.