कोरबा: पिछले रविवार को इलाज में लापरवाही के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल (medical college korba) में पथर्रीपारा की रहने वाली बुजुर्ग महिला आरडी लक्ष्मी की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में घमासान मचा हुआ है. अस्पताल और कलेक्टर स्तर पर जांच शुरू की गई है. मामले में एमडी मेडिसिन डॉ प्रिंस जैन सहित डॉ आरपीएस पैकरा और रवि कांत राठौर को नोटिस जारी किया गया है. सभी ने डीन के सामने इसका जवाब भी प्रस्तुत कर दिया है. अस्पताल में मौजूद इंचार्ज नर्स सहित एंबुलेंस के ड्राइवर का भी बयान लिया गया है.
घटना की जवाबदेही तय करने के साथ ही ठोस कार्रवाई के लिए जांच जारी है. अब तक की जांच में जो बातें निकल कर सामने आई है, उसके अनुसार नर्स ने बयान दिया है कि उन्होंने मरीज की हालत बिगड़ने पर कंसलटेंट डॉ जैन को फोन किया जबकि जैन ने जवाब दिया है कि उन्हें कोई कॉल नहीं आया. हालांकि यह सभी बातें मोबाइल कॉल डिटेल निकालते हैं स्पष्ट हो जाएंगी. कैजुअल्टी में मौजूद डॉक्टरों में मरीज का इलाज क्यों नहीं किया इसके लिए डॉ राठौर और डॉ पैकरा के भूमिका की भी जांच हो रही है.
परिजनों ने लगाए थे गंभीर आरोप
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों पर गंभीर आरोप (Serious allegations against the doctors of Medical College Hospital) लगाए थे. मृतिका की बहू गौरी पिल्ले ने साफ तौर पर कहा था कि डॉक्टर जैन ने उन्हें ढाई माह बाद अपने निजी क्लीनिक में आने को कहा था. जबकि पिछले रविवार को इलाज के दौरान जिला अस्पताल में हालत बिगड़ने पर कोई डॉक्टर मरीज का इलाज करने नहीं पहुंचा।
नर्स ने डॉक्टर को फोन किया, जबकि कैजुअल्टी में मौजूद डॉक्टर भी सवाल-जवाब करते रहे. लेकिन मरीज को इलाज नहीं मिला. जिसके कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों के भी बयान दर्ज किए हैं. इस मामले की लिखित शिकायत अस्पताल के नियमित चिकित्सकों ने डीन से की थी. जबकि परिजनों की ओर से कोई शिकायती आवेदन नहीं लिखा गया है.
जिला अस्पताल में डीन की पदस्थापना से पहले बड़े पैमाने पर मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जाता था. यह एक तरह से जिला अस्पताल में सामान्य व्यवस्था की तरह लागू थी. डीन ने अपनी पदस्थापना के बाद लगाम कसी और मरीजों के रेफर करने पर लगाम लगी. डीन कहते हैं कि इससे कई चिकित्सकों को तकलीफ है. यह मामला इस बात से भी जुड़ा हुआ है.
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चिकित्सकों की आपस में नहीं बनती
इस पूरे मामले में एक बात खुलकर सामने आ गई है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों की आपस में नहीं बनती. यहां जबरदस्त गुटबाजी और राजनीति है. डीन भी यह बात स्वीकार कर रहे हैं और कहा है कि जो राजनीति कर रहे हैं उनकी सेवाएं स्वास्थ्य संचालनालय को वापस कर दी जाएंगी. उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में नहीं रखा जाएगा.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डीएमएफ मद से संविदा पर नियुक्त विशेषज्ञ चिकित्सकों को डेढ़ लाख से लेकर ढाई लाख तक वेतन मिल रहा है. जबकि नियमित चिकित्सकों का वेतन इससे काफी कम है. इस वजह से भी चिकित्सकों में दो फाड़ जैसी स्थिति है.