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"सुपर शेषनाग" लंबाई देखकर दंग रह जाएंगे आप

क्या आपने कभी 3.2 किलोमीटर लंबी ट्रेन देखी है. रेलवे ने चार मालगाड़ियों को आपस में जोड़कर सुपर शेषनाग ट्रेन बनाई है. आइये जानते हैं इस सुपर शेषनाग ट्रेन की और क्या खासियत है.

super sheshnag train
सुपर शेषनाग ट्रेन
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Published : May 17, 2022, 2:34 PM IST

Updated : May 17, 2022, 6:00 PM IST

कोरबा: कोयला संकट दूर करने रेलवे ने एक ही बार में 16000 टन कोयला कोरबा से नागपुर डिस्पैच किया है. इसके लिए चार मालगाड़ियों को आपस में जोड़कर सुपर शेषनाग ट्रेन का निर्माण किया गया. जिसमें 4 इंजन फिट किए गए.

महाराष्ट्र में कोयला संकट दूर करने सुपर शेषनाग ट्रेन

यह भी पढ़ें: कोयला मंत्री के दौरे का असर : कोल लदान में 53 हजार टन की बढ़ोतरी, पर संकट अभी टला नहीं

रेलवे का नया कीर्तिमान: चार ब्रेकयान सहित कुल मिलाकर 12 क्रू मेंबर के साथ विशेष ट्रेन को कोरबा से नागपुर भेजा गया. मालगाड़ियों के चार रैक में कुल 232 वैगन भेजे गए. एक ही बार में इतनी अधिक मात्रा में कोयला डिस्पैच कर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

सुपर शेषनाग ट्रेन की खासियत: चार मालगाड़ियों को आपस में जोड़ कर सुपर शेषनाग ट्रेन बनाई गई. इसकी लंबाई 3.2 किलोमीटर है. जिसे सोमवार की दोपहर लगभग 12:00 बजे कोरबा से महाराष्ट्र में नासिक के पास संचालित सर रतन पावर प्लांट के लिए रवाना किया गया. इसमें एक ही बार में 16000 टन कोयला डिस्पैच किया गया है. यह एक नया कीर्तिमान है.

पहले भी चलाई जा चुकी है शेषनाग ट्रेन: इसके पहले भी शेषनाग ट्रेन चलाई गई है. पिछले साल दो बार दो मालगाड़ियों को आपस में जोड़कर शेषनाग ट्रेन चलाई गहई. लेकिन यह पहला अवसर है जब चार मालगाड़ियों को जोड़कर सुपर शेषनाग ट्रेन को कोरबा से रवाना किया गया.

यात्रियों को हुई परेशानी: सुपर शेषनाग की लंबाई अधिक होने के कारण सिंगल ट्रैक पर ट्रेनों को पासिंग देने में परेशानी होने की जानकारी मिली है. जिसके कारण छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को कुछ देर के लिए आउटर में रोक दिया गया था. छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस आधा घंटे की देरी से बिलासपुर पहुंची. जिसके कारण यात्रियों ने हंगामा भी जरूर किया. हालांकि रेलवे के अनुसार ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. सुपर शेषनाग ने सफलतापूर्वक रास्ता तय किया. इसने 450 किलोमीटर से भी अधिक फासले का लंबा सफर तय कर लिया.

बरसात के पहले कोयला पहुंचाना है प्राथमिकता: अप्रैल माह में रेलवे की तरफ से एक सर्कुलर भी जारी किया गया था, जिसमें पावर सेक्टर को मानसून के पहले पर्याप्त मात्रा में कोयला पहुंचाने की बात कही गई है. नॉन पावर सेक्टर की तुलना में पावर सेक्टर को प्राथमिकता देते हुए पर्याप्त कोयला भंडारण फिलहाल रेलवे की प्राथमिकता है. जानकार कहते हैं कि कोयला पहुंचाने के लिए भी यात्री सुविधाओं की अनदेखी की गई है. जिसके कारण ही बड़ी तादाद में यात्री ट्रेनों को रद्द भी किया जा चुका है.

कोरबा: कोयला संकट दूर करने रेलवे ने एक ही बार में 16000 टन कोयला कोरबा से नागपुर डिस्पैच किया है. इसके लिए चार मालगाड़ियों को आपस में जोड़कर सुपर शेषनाग ट्रेन का निर्माण किया गया. जिसमें 4 इंजन फिट किए गए.

महाराष्ट्र में कोयला संकट दूर करने सुपर शेषनाग ट्रेन

यह भी पढ़ें: कोयला मंत्री के दौरे का असर : कोल लदान में 53 हजार टन की बढ़ोतरी, पर संकट अभी टला नहीं

रेलवे का नया कीर्तिमान: चार ब्रेकयान सहित कुल मिलाकर 12 क्रू मेंबर के साथ विशेष ट्रेन को कोरबा से नागपुर भेजा गया. मालगाड़ियों के चार रैक में कुल 232 वैगन भेजे गए. एक ही बार में इतनी अधिक मात्रा में कोयला डिस्पैच कर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

सुपर शेषनाग ट्रेन की खासियत: चार मालगाड़ियों को आपस में जोड़ कर सुपर शेषनाग ट्रेन बनाई गई. इसकी लंबाई 3.2 किलोमीटर है. जिसे सोमवार की दोपहर लगभग 12:00 बजे कोरबा से महाराष्ट्र में नासिक के पास संचालित सर रतन पावर प्लांट के लिए रवाना किया गया. इसमें एक ही बार में 16000 टन कोयला डिस्पैच किया गया है. यह एक नया कीर्तिमान है.

पहले भी चलाई जा चुकी है शेषनाग ट्रेन: इसके पहले भी शेषनाग ट्रेन चलाई गई है. पिछले साल दो बार दो मालगाड़ियों को आपस में जोड़कर शेषनाग ट्रेन चलाई गहई. लेकिन यह पहला अवसर है जब चार मालगाड़ियों को जोड़कर सुपर शेषनाग ट्रेन को कोरबा से रवाना किया गया.

यात्रियों को हुई परेशानी: सुपर शेषनाग की लंबाई अधिक होने के कारण सिंगल ट्रैक पर ट्रेनों को पासिंग देने में परेशानी होने की जानकारी मिली है. जिसके कारण छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को कुछ देर के लिए आउटर में रोक दिया गया था. छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस आधा घंटे की देरी से बिलासपुर पहुंची. जिसके कारण यात्रियों ने हंगामा भी जरूर किया. हालांकि रेलवे के अनुसार ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. सुपर शेषनाग ने सफलतापूर्वक रास्ता तय किया. इसने 450 किलोमीटर से भी अधिक फासले का लंबा सफर तय कर लिया.

बरसात के पहले कोयला पहुंचाना है प्राथमिकता: अप्रैल माह में रेलवे की तरफ से एक सर्कुलर भी जारी किया गया था, जिसमें पावर सेक्टर को मानसून के पहले पर्याप्त मात्रा में कोयला पहुंचाने की बात कही गई है. नॉन पावर सेक्टर की तुलना में पावर सेक्टर को प्राथमिकता देते हुए पर्याप्त कोयला भंडारण फिलहाल रेलवे की प्राथमिकता है. जानकार कहते हैं कि कोयला पहुंचाने के लिए भी यात्री सुविधाओं की अनदेखी की गई है. जिसके कारण ही बड़ी तादाद में यात्री ट्रेनों को रद्द भी किया जा चुका है.

Last Updated : May 17, 2022, 6:00 PM IST
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