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सभी शिकायत को कर रहे हल, अंतिम व्यक्ति तक खाद्यान्न पहुंचाने का लक्ष्य : गुरप्रीत सिंह बाबरा

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Published : Jun 16, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Jun 16, 2021, 10:09 PM IST

राज्य खाद्य आयोग (state food commission) की कमान संभालने के बाद गुरप्रीत सिंह बाबरा (State Food Commission Chairman Gurpreet Singh Babra) बुधवार को कोरबा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत (ETV India) से खास बातचीत की. इस दौरान बाबरा ने कई विषयों पर अपनी बात रखी. बाबरा ने कहा कि आम उपभोक्ताओं के लिए ही आयोग काम कर रही है. किसी भी उपभोक्ता को निर्धारित मात्रा से कम खाद्यान्न प्रदान करने की शिकायत नहीं मिली है. राज्य ने कोटा भी कम नहीं किया है. हर शिकायत का हम निराकरण कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य राज्य के अंतिम व्यक्ति तक खाद्यान पहुंचाने का है. हम इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए लगातार काम कर रहे हैं.

State Food Commission Chairman Gurpreet Singh Baba
राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबर

कोरबा: छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबरा (State Food Commission Chairman Gurpreet Singh Babra ) बुधवार को कोरबा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस चर्चा के दौरान बाबरा ने कहा कि जब से मैंने राज्य खाद्य आयोग की कमान संभाली है. तब से शिकायतों के निराकरण की प्रणाली को सुदृढ़ बनाया है. हमें लगातार शिकायतें मिल रही हैं. हम हर शिकायत का निराकरण भी कर रहे हैं. प्रयास यही है कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक सही मात्रा में और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए. फर्जी राशन कार्ड पर राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड बनाने संबंधी कोई लिखित शिकायत अब तक हमें प्राप्त नहीं हुई है. यदि कहीं ऐसा है तो सीधे आयोग को लिखित शिकायत करें. इस पर हम त्वरित कार्रवाई करेंगे. सूखा राशन बांटने में गड़बड़ी पर बाबरा ने कहा कि इस संबंध में कोई भी शिकायत नहीं मिली है. मुझ तक अगर शिकायत पहुंचती हैं तो मैं जरूर इस पर कार्रवाई करूंगा.

राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबरा से खास बातचीत


सवाल- आम उपभोक्ताओं को अब भी पीडीएस दुकानों से सुविधा नहीं मिल पा रही है, कोरोना काल में निर्धारित मात्रा से कम राशन दिए जाने की शिकायतें हैं?
जवाब- आम उपभोक्ताओं के लिए ही आयोग काम कर रहा है. किसी भी उपभोक्ता को निर्धारित मात्रा से कम खाद्यान्न प्रदान करने की शिकायत नहीं मिली है. राज्य ने कोटा भी कम नहीं किया है. यदि कहीं से ऐसी शिकायत है तो पीडीएस सेंटर में पोस्टर लगे हुए हैं. आयोग की वेबसाइट है. टोल फ्री नंबर है. सीधे हितग्राही शिकायत कर सकते हैं. कोरबा प्रवास के दौरान भी कुछ इस तरह की शिकायतें मिली थीं. जिसमें 25 शिकायतों का हमने मौके पर ही निराकरण कर दिया है. तीन शिकायतें शेष हैं. जिसके संबंध में जांच चल रही है.

सवाल- कई दुकान संचालकों ने उचित मूल्य की दुकानों को पुश्तैनी कारोबार बना लिया है, क्या आप इसमें कोई बदलाव ला पाएंगे?
जवाब- नई सरकार ने शिकायतों पर कार्रवाई की है. जहां कहीं भी ऐसी शिकायत मिली है. हमने उस दुकान का आवंटन रद्द किया है. पहले तो उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन किसी व्यक्ति को नहीं समितियों को दिया जाता है. दुकान प्रदाय करने के लिए महिला समूह को प्राथमिकता दी जाती है. शिकायत मिलने पर हमने दुकानों का आवंटन निरस्त किया है और पुनः आवेदन मंगवा कर मेरिट के आधार पर पीडीएस दुकानों का आवंटन किया है.

सवाल- चेहरा तो महिला समूह का होता है, लेकिन पर्दे के पीछे से संचालन कोई और करता है. जिसका निजी स्वार्थ जुड़ा होता है?
जवाब- ऐसी शिकायत आएगी तो हम तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे. आपके टीवी चैनल के माध्यम से भी मैं यह बताना चाहूंगा कि, मुख्यमंत्री जी के निर्देश हैं कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक उचित मूल्य, सही मात्रा और बेहतर क्वालिटी का खाद्यान्न पहुंचाया जाए. पीडीएस सेंटर का संचालन अच्छे तरीके से किया जाए.वर्तमान सरकार में बेहतर ढंग से खाद्यान्नों का वितरण हो रहा है.

सवाल- फर्जी राशन कार्ड बनाने की शिकायतें आ रही हैं. इसके लिए एक रैकेट काम कर रहा है?
जवाब- इस तरह की बातें मौखिक तौर पर मेरे संज्ञान में आई हैं. लेकिन फर्जी राशन कार्ड बनाने संबंधी कोई लिखित शिकायत अब तक हमें प्राप्त नहीं हुई है. यदि कहीं ऐसा है तो सीधे आयोग को लिखित शिकायत करें. इस पर हम त्वरित कार्रवाई करेंगे.

सवाल- कोरोना काल में गरीबों को खाद्यान्न पहुंचाने के लिए आयोग की भूमिका क्या है?
जवाब- देखिए, इस बात को भी समझना होगा कि खाद्य आयोग का काम केवल पीडीएस दुकानों के संचालन तक सीमित नहीं है. इसमें मातृ वंदना योजना (Matri Vandana Yojana) के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रदान की जाने वाली राशि हो, मध्याह्न भोजन हो या आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रदाय किए जाने वाला खाद्यान्न. सभी तरह के खाद्यान्न वितरण के बेहतर ढंग से वितरण और योजनाओं के संचालन के प्रति आयोग जवाबदेह है. आयोग लगातार इस दिशा में सक्रिय है. मैं जब आयोग का अध्यक्ष बना और ऑफिस पहुंचा तो सबसे पहले इसके लिए वेबसाइट बनाया. मेरे पूर्व में जो बीजेपी के अध्यक्ष थे. उनके कार्यकाल में कोई शिकायत दर्ज ही नहीं होती थी. शिकायतों का निराकरण होने का सीधा सा मतलब है कि सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ रहा है.

सवाल- आपने मिड डे मील की बात की, लेकिन कोरोना काल के दौरान गरीब बच्चों तक सूखा राशन प्रदान करने में भी गड़बड़ी की गई?
जवाब- आश्चर्यजनक रूप से मुझे अब तक इस संबंध में कोई भी शिकायत नहीं मिली है. मुझ तक अगर शिकायत पहुंचती हैं तो मैं जरूर इस पर कार्रवाई करूंगा. बल्कि मुझे तो यह जानकारी है कि हमारे जो शिक्षकगण हैं और जो विद्यार्थियों को सूखा राशन पहुंचाने का काम कर रहे हैं. जिसे भी जिम्मेदारी दी गई है. वह बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं. तभी तो कोई शिकायत मुझ तक नहीं पहुंची है.

सवाल- आयोग तक शिकायत पहुंचाने का उचित फोरम क्या होना चाहिए?
जवाब- कोई भी व्यक्ति आयोग के समक्ष शिकायत कर सकता है. इसके लिए टोल फ्री नंबर है. हमारी वेबसाइट है, किसी भी माध्यम से व्यक्ति आयोग को शिकायत कर सकता है. खाद्यान्न संबंधी शिकायतों पर हम त्वरित संज्ञान लेते हैं. अब तो ऐसी स्थिति है कि मुझे रोज 4 से 5 शिकायतें मिल रही हैं. हम निराकरण भी कर रहे हैं. निराकृत शिकायतों की संख्या अधिक है.

सवाल- आपका विभाग अंत्योदय श्रेणी वाले लोगों से जुड़ा हुआ है. अंतिम पंक्ति की जब आप बात करते हैं, तो कई बार लोग सक्षम नहीं होते कि वह शिकायत कर सकें. क्या ऐसे में आप स्वयं संज्ञान भी लेते हैं?
जवाब- बिल्कुल, आयोग का यह काम है कि हम खाद्यान्न और गरीबों से जुड़े मुद्दे पर सीधे संज्ञान ले सकें. आयोग के संज्ञान में जो भी मुद्दे आते हैं. हम उस पर स्वतः संज्ञान भी लेते हैं. जिला अधिकारियों को निर्देशित करते हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि हमने मुद्दों को उठाया, जो हमारे संज्ञान में आई और शिकायतों का निराकरण किया और जो दोषी पाए गए उन पर कार्रवाई भी की है.

सवाल- कोरबा सहित छत्तीसगढ़ में भी नगर निगम क्षेत्र में वार्डों की संख्या बढ़ गई लेकिन दुकानों के संख्या नहीं बढ़ी है. लोग अब भी पुराने दुकानों पर ही आश्रित हैं?
जवाब- दुकान की संख्या बढ़ाई गई है, भले ही दुकानें स्थापित नहीं हुई होंगी. लेकिन कार्रवाई पूरी कर ली गई है. हर वार्ड में दुकान खुलेंगे बल्कि कई वार्ड में तो दो-दो दुकान भी खुल गए हैं. विभाग का प्रयास है कि, हर 500 राशनकार्ड धारी के अनुपात में एक दुकान हो. क्योंकि यदि कार्ड धारी 500 से ज्यादा होंगे तो दुकान पर बोझ बढ़ जाता है और खाद्यान्न वितरण में परेशानी आती है.

कोरबा: छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबरा (State Food Commission Chairman Gurpreet Singh Babra ) बुधवार को कोरबा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस चर्चा के दौरान बाबरा ने कहा कि जब से मैंने राज्य खाद्य आयोग की कमान संभाली है. तब से शिकायतों के निराकरण की प्रणाली को सुदृढ़ बनाया है. हमें लगातार शिकायतें मिल रही हैं. हम हर शिकायत का निराकरण भी कर रहे हैं. प्रयास यही है कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक सही मात्रा में और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए. फर्जी राशन कार्ड पर राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड बनाने संबंधी कोई लिखित शिकायत अब तक हमें प्राप्त नहीं हुई है. यदि कहीं ऐसा है तो सीधे आयोग को लिखित शिकायत करें. इस पर हम त्वरित कार्रवाई करेंगे. सूखा राशन बांटने में गड़बड़ी पर बाबरा ने कहा कि इस संबंध में कोई भी शिकायत नहीं मिली है. मुझ तक अगर शिकायत पहुंचती हैं तो मैं जरूर इस पर कार्रवाई करूंगा.

राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बाबरा से खास बातचीत


सवाल- आम उपभोक्ताओं को अब भी पीडीएस दुकानों से सुविधा नहीं मिल पा रही है, कोरोना काल में निर्धारित मात्रा से कम राशन दिए जाने की शिकायतें हैं?
जवाब- आम उपभोक्ताओं के लिए ही आयोग काम कर रहा है. किसी भी उपभोक्ता को निर्धारित मात्रा से कम खाद्यान्न प्रदान करने की शिकायत नहीं मिली है. राज्य ने कोटा भी कम नहीं किया है. यदि कहीं से ऐसी शिकायत है तो पीडीएस सेंटर में पोस्टर लगे हुए हैं. आयोग की वेबसाइट है. टोल फ्री नंबर है. सीधे हितग्राही शिकायत कर सकते हैं. कोरबा प्रवास के दौरान भी कुछ इस तरह की शिकायतें मिली थीं. जिसमें 25 शिकायतों का हमने मौके पर ही निराकरण कर दिया है. तीन शिकायतें शेष हैं. जिसके संबंध में जांच चल रही है.

सवाल- कई दुकान संचालकों ने उचित मूल्य की दुकानों को पुश्तैनी कारोबार बना लिया है, क्या आप इसमें कोई बदलाव ला पाएंगे?
जवाब- नई सरकार ने शिकायतों पर कार्रवाई की है. जहां कहीं भी ऐसी शिकायत मिली है. हमने उस दुकान का आवंटन रद्द किया है. पहले तो उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन किसी व्यक्ति को नहीं समितियों को दिया जाता है. दुकान प्रदाय करने के लिए महिला समूह को प्राथमिकता दी जाती है. शिकायत मिलने पर हमने दुकानों का आवंटन निरस्त किया है और पुनः आवेदन मंगवा कर मेरिट के आधार पर पीडीएस दुकानों का आवंटन किया है.

सवाल- चेहरा तो महिला समूह का होता है, लेकिन पर्दे के पीछे से संचालन कोई और करता है. जिसका निजी स्वार्थ जुड़ा होता है?
जवाब- ऐसी शिकायत आएगी तो हम तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे. आपके टीवी चैनल के माध्यम से भी मैं यह बताना चाहूंगा कि, मुख्यमंत्री जी के निर्देश हैं कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक उचित मूल्य, सही मात्रा और बेहतर क्वालिटी का खाद्यान्न पहुंचाया जाए. पीडीएस सेंटर का संचालन अच्छे तरीके से किया जाए.वर्तमान सरकार में बेहतर ढंग से खाद्यान्नों का वितरण हो रहा है.

सवाल- फर्जी राशन कार्ड बनाने की शिकायतें आ रही हैं. इसके लिए एक रैकेट काम कर रहा है?
जवाब- इस तरह की बातें मौखिक तौर पर मेरे संज्ञान में आई हैं. लेकिन फर्जी राशन कार्ड बनाने संबंधी कोई लिखित शिकायत अब तक हमें प्राप्त नहीं हुई है. यदि कहीं ऐसा है तो सीधे आयोग को लिखित शिकायत करें. इस पर हम त्वरित कार्रवाई करेंगे.

सवाल- कोरोना काल में गरीबों को खाद्यान्न पहुंचाने के लिए आयोग की भूमिका क्या है?
जवाब- देखिए, इस बात को भी समझना होगा कि खाद्य आयोग का काम केवल पीडीएस दुकानों के संचालन तक सीमित नहीं है. इसमें मातृ वंदना योजना (Matri Vandana Yojana) के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रदान की जाने वाली राशि हो, मध्याह्न भोजन हो या आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रदाय किए जाने वाला खाद्यान्न. सभी तरह के खाद्यान्न वितरण के बेहतर ढंग से वितरण और योजनाओं के संचालन के प्रति आयोग जवाबदेह है. आयोग लगातार इस दिशा में सक्रिय है. मैं जब आयोग का अध्यक्ष बना और ऑफिस पहुंचा तो सबसे पहले इसके लिए वेबसाइट बनाया. मेरे पूर्व में जो बीजेपी के अध्यक्ष थे. उनके कार्यकाल में कोई शिकायत दर्ज ही नहीं होती थी. शिकायतों का निराकरण होने का सीधा सा मतलब है कि सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ रहा है.

सवाल- आपने मिड डे मील की बात की, लेकिन कोरोना काल के दौरान गरीब बच्चों तक सूखा राशन प्रदान करने में भी गड़बड़ी की गई?
जवाब- आश्चर्यजनक रूप से मुझे अब तक इस संबंध में कोई भी शिकायत नहीं मिली है. मुझ तक अगर शिकायत पहुंचती हैं तो मैं जरूर इस पर कार्रवाई करूंगा. बल्कि मुझे तो यह जानकारी है कि हमारे जो शिक्षकगण हैं और जो विद्यार्थियों को सूखा राशन पहुंचाने का काम कर रहे हैं. जिसे भी जिम्मेदारी दी गई है. वह बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं. तभी तो कोई शिकायत मुझ तक नहीं पहुंची है.

सवाल- आयोग तक शिकायत पहुंचाने का उचित फोरम क्या होना चाहिए?
जवाब- कोई भी व्यक्ति आयोग के समक्ष शिकायत कर सकता है. इसके लिए टोल फ्री नंबर है. हमारी वेबसाइट है, किसी भी माध्यम से व्यक्ति आयोग को शिकायत कर सकता है. खाद्यान्न संबंधी शिकायतों पर हम त्वरित संज्ञान लेते हैं. अब तो ऐसी स्थिति है कि मुझे रोज 4 से 5 शिकायतें मिल रही हैं. हम निराकरण भी कर रहे हैं. निराकृत शिकायतों की संख्या अधिक है.

सवाल- आपका विभाग अंत्योदय श्रेणी वाले लोगों से जुड़ा हुआ है. अंतिम पंक्ति की जब आप बात करते हैं, तो कई बार लोग सक्षम नहीं होते कि वह शिकायत कर सकें. क्या ऐसे में आप स्वयं संज्ञान भी लेते हैं?
जवाब- बिल्कुल, आयोग का यह काम है कि हम खाद्यान्न और गरीबों से जुड़े मुद्दे पर सीधे संज्ञान ले सकें. आयोग के संज्ञान में जो भी मुद्दे आते हैं. हम उस पर स्वतः संज्ञान भी लेते हैं. जिला अधिकारियों को निर्देशित करते हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि हमने मुद्दों को उठाया, जो हमारे संज्ञान में आई और शिकायतों का निराकरण किया और जो दोषी पाए गए उन पर कार्रवाई भी की है.

सवाल- कोरबा सहित छत्तीसगढ़ में भी नगर निगम क्षेत्र में वार्डों की संख्या बढ़ गई लेकिन दुकानों के संख्या नहीं बढ़ी है. लोग अब भी पुराने दुकानों पर ही आश्रित हैं?
जवाब- दुकान की संख्या बढ़ाई गई है, भले ही दुकानें स्थापित नहीं हुई होंगी. लेकिन कार्रवाई पूरी कर ली गई है. हर वार्ड में दुकान खुलेंगे बल्कि कई वार्ड में तो दो-दो दुकान भी खुल गए हैं. विभाग का प्रयास है कि, हर 500 राशनकार्ड धारी के अनुपात में एक दुकान हो. क्योंकि यदि कार्ड धारी 500 से ज्यादा होंगे तो दुकान पर बोझ बढ़ जाता है और खाद्यान्न वितरण में परेशानी आती है.

Last Updated : Jun 16, 2021, 10:09 PM IST
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