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Sports Success Story: कोरबा के स्ट्रीट वेंडर की बेटी कल्पना मेहता की ऊंची उड़ान, नेशनल प्लेयर बन किया छत्तीसगढ़ का नाम रौशन - Sports Success Story

Korba Daughter Kalpana Mehta:ये कल्पना की कहानी है. उस बिटिया की कहानी, जिसने हौसलों से खेल की दुनिया में कामयाबी की उड़ान भरी है. एक स्ट्रीट वेंडर की बिटिया न सिर्फ परिवार का बल्कि छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रही है. कल्पना के बुलंद हौसलों की कहानी छत्तीसगढ़ की दूसरी बेटियों को भी नई राह दिखाती है. आइये मिलते हैं उस कल्पना से, जिसने पैसों की कमी को कभी कामयाबी की राह में बाधा नहीं बनने दिया.

Korba Daughter Kalpana Mehta
कोरबा की बेटी कल्पना मेहता
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 23, 2023, 5:16 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 7:31 PM IST

रोलबॉल राष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपना दम दिखाएंगी कल्पना

कोरबा: कहते है "जहां चाह, वहीं राह...इस बात को सच कर दिखाया है कोरबा की बिटिया कल्पना ने. एक सब्जी बेचने वाले की बेटी ने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. दरअसल, कोरबा की बेटी कल्पना रोलबॉल के राष्ट्रीय टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ टीम का हिस्सा बनी हैं. कल्पना स्कूल के समय से ही रोलबॉल खेला करती थी. कल्पना ने स्कूल में भी कई मेडल जीते हैं. अब नेशनल टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ का हिस्सा बनकर कल्पना ने जिले का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है.

आर्थिक तंगहाली के बावजूद हासिल किया मुकाम: कोरबा के कुसमुंडा क्षेत्र में रहने वाली कल्पना वैसे तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं. लेकिन उनका दिल रोल बॉल के लिए धड़कता है. कल्पना ने स्कूल में रहते रोल बॉल खेलना शुरू किया था. स्कूल में उन्होंने कई मेडल जीते और राष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत की. फिर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. कल्पना के पिता सब्जी बेचते हैं. यही कारण है कि वो आर्थिक रूप से इस महंगे खेल को अफोर्ट नहीं कर पा रही थी. बीच में उसने खेलना ही बंद कर दिया. लेकिन कल्पना का दिल नहीं माना. फिर इसी खेल में कल्पना ने मुकाम हासिल करने की जिद्द पकड़ ली. कल्पना ने खेल जारी रखा. ट्यूशन पढ़ाकर उसने अपने इस खेल की प्रैक्टिस जारी रखी.

इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का है लक्ष्य: कुछ दिनों पहले जब इस खेल के ओपन ट्रायल्स दुर्ग में आयोजित हुए. तब कल्पना का चयन छत्तीसगढ़ की टीम में किया गया. अब कल्पना गोवा में आयोजित राष्ट्रीय ओलंपिक खेलों में छत्तीसगढ़ की टीम का हिस्सा बनीं हैं. रोलबॉल अपेक्षाकृत उतना पॉपुलर नहीं है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे कई देश खेलते हैं. यह खेल ओलंपिक खेलों में भी शामिल है. कल्पना की मानें तो भारत के लिए ओलंपिक में रोलबॉल खेलने का उसका लक्ष्य है.

गरीब परिवार की बेटी हैं कल्पना: कल्पना मेहता से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. कल्पना ने ईटीवी को बताया कि "मैंने स्कूल में ही रोल बॉल खेलना शुरू कर दिया था. तब भी स्कूल गेम्स में कई मेडल जीते और इस खेल को मैंने लगातार जारी रखा. इंजीनियरिंग करने के बाद जिम्मेदारियां थी. मेरे पिता सब्जी बेचते हैं. रोल बॉल का खेल बास्केटबॉल, हैंडबॉल और स्केटिंग को मिलाकर बनाया गया है. ऐसा कह सकते हैं कि यह खेल इन तीनों का मेल है, जो भारत में ही इन्वेंट किया गया है. रोल बॉल खेलने के लिए स्केटिंग शूज ही 20 हजार तक के आते हैं. परिवार उतना सक्षम नहीं था. इसलिए बीच में मैंने 2 साल का गैप भी लिया था और फिर वापस लौटी. ठान लिया कि इसी खेल में आगे बढ़कर भारत को रिप्रेजेंट करना है."

अभी मुझे गोवा खेलने जाना है, जहां राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेरा चयन हुआ है. यहां देश की 8 सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महिला वर्ग की टीमों के बीच मुकाबला होगा. जो टीम जीतेगी उसे पुरस्कार मिलेगा. रोल बॉल के खेल में छत्तीसगढ़ की टीम बेहद पावरफुल है. गोवा में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के बाद अंतरराष्ट्रीय टीम भी बनेगी. मेरा प्रयास है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को रिप्रेजेंट करूं, ओलंपिक में खेलना भी मेरा सपना है. -कल्पना मेहता

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प्रैक्टिस के लिए नहीं है मैदान :कल्पना ने बताया कि," खेलों को लेकर जो दावे किए जाते हैं. वह धरातल तक नहीं पहुंचते. पहले हम कुस्मुंडा के जेआईसी क्लब में प्रैक्टिस करते थे, लेकिन वहां अब त्रिपुरा राइफल्स के जवान आ गए हैं. वहां हमें खेलने से मना किया जाता है, क्योंकि जवानों की नींद इससे खराब हो जाती है. अब हम कोरबा के टीपी नगर स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन यहां भी बास्केट बॉल का कोर्ट खराब हो जाने की बात कहकर हमें प्रैक्टिस करने से रोका जाता है. किसी तरह हम इन्हीं मैदाने में चुप-छुपाकर प्रेक्टिस कर लेते हैं. लेकिन हमारे पास प्रैक्टिस के लिए एक अच्छी जगह मौजूद नहीं है. जिसका असर हमारे खेल पर पड़ता है. अब मुझे क्वालिटी प्रेक्टिस चाहिए. मुझे कैंप अटेंड करना है. इसके लिए मुझे लगातार खेलते रहना पड़ेगा. अब मैं भिलाई का रुख कर रही हूं. जहां कैंप लगेगा और रोल बॉल एसोसिएशन की तरफ से हमें बेहतर कोचिंग और डाइट दिया जाएगा."

कल्पना ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया: पैसों की कमी के कारण कल्पना ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. और भी कई बच्चों को जोड़ा. अब कल्पना रोल बॉल खेलती हैं और बच्चों को इसकी कोचिंग भी देती हैं. फिलहाल 40 बच्चों को कल्पना ट्यूशन दे रही है.

इस तरह खेला जाता है रोल बॉल: रोल बॉल की उत्पत्ति भारत के पुणे में हुई थी. खिलाड़ी बास्केटबॉल की तरह बॉल ड्रीबल करते हैं और स्केटिंग शूज पहन कर आगे बढ़ते हैं. फिर हैंडबॉल की तरह थ्रो कर गोल करते हैं. इस खेल में 6 खिलाड़ी मैदान के भीतर तो 6 खिलाड़ी स्टैंडबाई में रहते हैं. इस तरह से रोल बॉल का खेल खेला जाता है. बर्फीले देश में इसे बर्फ पर भी खेला जाता है.

रोलबॉल राष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपना दम दिखाएंगी कल्पना

कोरबा: कहते है "जहां चाह, वहीं राह...इस बात को सच कर दिखाया है कोरबा की बिटिया कल्पना ने. एक सब्जी बेचने वाले की बेटी ने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. दरअसल, कोरबा की बेटी कल्पना रोलबॉल के राष्ट्रीय टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ टीम का हिस्सा बनी हैं. कल्पना स्कूल के समय से ही रोलबॉल खेला करती थी. कल्पना ने स्कूल में भी कई मेडल जीते हैं. अब नेशनल टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ का हिस्सा बनकर कल्पना ने जिले का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है.

आर्थिक तंगहाली के बावजूद हासिल किया मुकाम: कोरबा के कुसमुंडा क्षेत्र में रहने वाली कल्पना वैसे तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं. लेकिन उनका दिल रोल बॉल के लिए धड़कता है. कल्पना ने स्कूल में रहते रोल बॉल खेलना शुरू किया था. स्कूल में उन्होंने कई मेडल जीते और राष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत की. फिर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. कल्पना के पिता सब्जी बेचते हैं. यही कारण है कि वो आर्थिक रूप से इस महंगे खेल को अफोर्ट नहीं कर पा रही थी. बीच में उसने खेलना ही बंद कर दिया. लेकिन कल्पना का दिल नहीं माना. फिर इसी खेल में कल्पना ने मुकाम हासिल करने की जिद्द पकड़ ली. कल्पना ने खेल जारी रखा. ट्यूशन पढ़ाकर उसने अपने इस खेल की प्रैक्टिस जारी रखी.

इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का है लक्ष्य: कुछ दिनों पहले जब इस खेल के ओपन ट्रायल्स दुर्ग में आयोजित हुए. तब कल्पना का चयन छत्तीसगढ़ की टीम में किया गया. अब कल्पना गोवा में आयोजित राष्ट्रीय ओलंपिक खेलों में छत्तीसगढ़ की टीम का हिस्सा बनीं हैं. रोलबॉल अपेक्षाकृत उतना पॉपुलर नहीं है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे कई देश खेलते हैं. यह खेल ओलंपिक खेलों में भी शामिल है. कल्पना की मानें तो भारत के लिए ओलंपिक में रोलबॉल खेलने का उसका लक्ष्य है.

गरीब परिवार की बेटी हैं कल्पना: कल्पना मेहता से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. कल्पना ने ईटीवी को बताया कि "मैंने स्कूल में ही रोल बॉल खेलना शुरू कर दिया था. तब भी स्कूल गेम्स में कई मेडल जीते और इस खेल को मैंने लगातार जारी रखा. इंजीनियरिंग करने के बाद जिम्मेदारियां थी. मेरे पिता सब्जी बेचते हैं. रोल बॉल का खेल बास्केटबॉल, हैंडबॉल और स्केटिंग को मिलाकर बनाया गया है. ऐसा कह सकते हैं कि यह खेल इन तीनों का मेल है, जो भारत में ही इन्वेंट किया गया है. रोल बॉल खेलने के लिए स्केटिंग शूज ही 20 हजार तक के आते हैं. परिवार उतना सक्षम नहीं था. इसलिए बीच में मैंने 2 साल का गैप भी लिया था और फिर वापस लौटी. ठान लिया कि इसी खेल में आगे बढ़कर भारत को रिप्रेजेंट करना है."

अभी मुझे गोवा खेलने जाना है, जहां राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेरा चयन हुआ है. यहां देश की 8 सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महिला वर्ग की टीमों के बीच मुकाबला होगा. जो टीम जीतेगी उसे पुरस्कार मिलेगा. रोल बॉल के खेल में छत्तीसगढ़ की टीम बेहद पावरफुल है. गोवा में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के बाद अंतरराष्ट्रीय टीम भी बनेगी. मेरा प्रयास है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को रिप्रेजेंट करूं, ओलंपिक में खेलना भी मेरा सपना है. -कल्पना मेहता

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प्रैक्टिस के लिए नहीं है मैदान :कल्पना ने बताया कि," खेलों को लेकर जो दावे किए जाते हैं. वह धरातल तक नहीं पहुंचते. पहले हम कुस्मुंडा के जेआईसी क्लब में प्रैक्टिस करते थे, लेकिन वहां अब त्रिपुरा राइफल्स के जवान आ गए हैं. वहां हमें खेलने से मना किया जाता है, क्योंकि जवानों की नींद इससे खराब हो जाती है. अब हम कोरबा के टीपी नगर स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन यहां भी बास्केट बॉल का कोर्ट खराब हो जाने की बात कहकर हमें प्रैक्टिस करने से रोका जाता है. किसी तरह हम इन्हीं मैदाने में चुप-छुपाकर प्रेक्टिस कर लेते हैं. लेकिन हमारे पास प्रैक्टिस के लिए एक अच्छी जगह मौजूद नहीं है. जिसका असर हमारे खेल पर पड़ता है. अब मुझे क्वालिटी प्रेक्टिस चाहिए. मुझे कैंप अटेंड करना है. इसके लिए मुझे लगातार खेलते रहना पड़ेगा. अब मैं भिलाई का रुख कर रही हूं. जहां कैंप लगेगा और रोल बॉल एसोसिएशन की तरफ से हमें बेहतर कोचिंग और डाइट दिया जाएगा."

कल्पना ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया: पैसों की कमी के कारण कल्पना ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. और भी कई बच्चों को जोड़ा. अब कल्पना रोल बॉल खेलती हैं और बच्चों को इसकी कोचिंग भी देती हैं. फिलहाल 40 बच्चों को कल्पना ट्यूशन दे रही है.

इस तरह खेला जाता है रोल बॉल: रोल बॉल की उत्पत्ति भारत के पुणे में हुई थी. खिलाड़ी बास्केटबॉल की तरह बॉल ड्रीबल करते हैं और स्केटिंग शूज पहन कर आगे बढ़ते हैं. फिर हैंडबॉल की तरह थ्रो कर गोल करते हैं. इस खेल में 6 खिलाड़ी मैदान के भीतर तो 6 खिलाड़ी स्टैंडबाई में रहते हैं. इस तरह से रोल बॉल का खेल खेला जाता है. बर्फीले देश में इसे बर्फ पर भी खेला जाता है.

Last Updated : Sep 23, 2023, 7:31 PM IST
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