कोरबा: 4 फरवरी को दुनिया कैंसर दिवस मनाती है. 1933 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में कैंसर दिवस मनाया था. ये एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता लगते ही मरीज और उसका परिवार अनहोनी की आशंका से घिर जाता है. कई बार अंतिम स्टेज पर इस बीमारी का पता चलता है और मरीज की जान चली जाती है. अगर सही वक्त पर ये डिटेक्ट हो जाए तो इलाज संभव है.
युवराज सिंह, मनीषा कोईराला, सोनाली बेंद्रे, शरद पवार ये वो लोग हैं, जिन्होंने कैंसर को मात दी. ये न सिर्फ नई जिंदगी जी रहे हैं बल्कि दूसरों को प्रेरित भी कर रहे हैं. हम आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे शख्स से मिलवाते हैं जिन्होंने पॉजिटिव एटीट्यूड और अनुशासन से न सिर्फ कैंसर को हरा दिया बल्कि 70 साल से ज्यादा की उम्र होने के बाद भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इनका नाम है अनिल शेष और पेशे से डॉक्टर हैं.
'आपका रवैया, आपको बचाएगा'
डॉक्टर शेष बताते हैं कि कैंसर से बचना है, तो सबसे जरूरी है इस बीमारी के प्रति आपका रवैया. वे कहते हैं कि 'ठान लो तो मुश्किल कुछ भी नहीं है, और मान लो तो हार निश्चित है'. कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझते हुए डॉक्टर शेष ने न सिर्फ खुद को इससे बाहर निकाला है बल्कि एक डॉक्टर होने के नाते अब वह हर दिन मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं.
सकारात्मक रवैया अपनाकर जीता जा सकता है कैंसर से जंग
डॉक्टर शेष ने यह भी बताया कि कोई भी बीमारी 40% दवा से ठीक होती है, जबकि 60% यह मरीज के सकारात्मक रवैया पर निर्भर करती है. अगर मरीज सकारात्मक है, तो वह किसी भी बीमारी को मात दे सकता है. डॉक्टर शेष ने बताया कि साल 2000 में उन्हें पता चला कि वे कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं. इसके बाद उन्होंने बिना समय गवाए कैंसर का इलाज शुरू करवाया.शेष बताते हैं कि कैंसर स्पेशलिस्ट ने उन्हें सर्जरी कराने के लिए काफी दबाव दिया, लेकिन उन्होंने सर्जरी नहीं कराई.
पॉजिटिव एटीट्यूड के कारण कैंसर से खुद को निकाला बाहर
शेष ने बताया कि कैंसर की बीमारी से ज्यादा तकलीफदेह इसका इलाज है. 2 महीने तक उनकी कीमोथेरेपी चलती रही. शरीर के सारे बाल झड़ गए, लेकिन उन्होंने अपना रवैया सकारात्मक ही बनाए रखा और धीरे-धीरे उन्होंने रिकवर करना शुरू किया. काफी समय लगा, लेकिन उन्होंने अपने पॉजिटिव एटीट्यूड के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात देकर खुद को उससे बाहर निकाला.
मानसिक तनाव के कारण होती है कैंसर जैसी गंभीर बीमारी
डॉ शेष ने बताया कि मौजूदा समय में लगभग सभी बीमारियों का कारण मानसिक तनाव है. हमारा खान-पान, आचार-विचार और रवैया हमारी बीमारियों के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने अपनी दिनचर्या बताई कि वे कब, क्या करते हैं. सुबह उठकर वॉक पर जाना, एक्सरसाइज और मेडिटेशन से वो खुद को फिट रखते हैं. क्लीनिक जाते हैं, मरीजों को देखते हैं और घर पर बच्चों के साथ खेलते हैं. सुबह जल्दी उठने और रात को जल्दी सोने से वो स्वस्थ हैं.
दिमाग में ना लाए बुरे विचार
अनिल शेष का कहना है कि खानपान में संतुलन रखने के साथ-साथ व्यवहार में सकारात्मकता रखनी होगी. बुरे विचार से दिमाग खराब होता है. अगर आप स्ट्रेस फ्री रहेंगे, तभी कैंसर से लड़ सकेंगे.
कोरबा में है बुरे हालात
डॉक्टर शेष कहते हैं कि देश भर में हर साल कैंसर के 1 लाख नए मरीज सामने आते हैं, जिसमें कोरबा की भी भागीदारी कम नहीं है. जिले में भी कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. वो कहते हैं कि इसके लिए बढ़ता प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है. उनकी मानें तो कैंसर के लिहाज से कोरबा बेहद संवेदनशील हो गया है. इसे नियंत्रित करने के लिए संतुलित दिनचर्या बेहद जरूरी है.