कोरबा: कोरबा के करतला जनपद पंचायत में सरपंचों ने सीईओ एचएन खोटेल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा (protest against Kartala Janpad Panchayat CEO ) है. सरपंचों ने प्रशासन से सीईओ को हटाने की मांग की थी. सरपंचों ने सीईओ को नहीं हटाए जाने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. जिसके बाद सोमवार को सरपंचों ने जनपद कार्यालय के सामने धरना देकर प्रशासन और सीईओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस विषय में सरपंचों का कहना है कि सीईओ की कार्यशैली बेहद विवादित रही है. वह विकास कार्यों को प्राथमिकता नहीं देते, जबकि आरोपों से घिरे सीईओ का कहना है कि अब तक किसी भी सरपंच सचिव ने मुझसे संपर्क नहीं किया. यदि उनका काम रुका है, तो उसे पूरा कराया जाएगा.
यह भी पढ़ें: कोरबा में शोले स्टाइल में पानी की टंकी पर चढ़ा इंजीनियर
प्रभारी सीईओ के भरोसे है जनपद : कोरबा जिले में न सिर्फ करतला बल्कि कटघोरा में भी प्रभारी सीईओ के भरोसे ही काम हो रहा है, उन्हें हटाने की मांग पर सरपंचों ने जनपद के बाहर धरने प्रदर्शन किया. 30 मई को दफ्तर में तालाबंदी की चेतावनी दी गई थी. बता दें कि जनपद पंचायत करतला के सीईओ एमएस नागेश 25 अप्रैल से मेडिकल छुट्टी पर हैं. ऐसे में कलेक्टर ने यहां का प्रभार आदिवासी विकास विभाग के मंडल संयोजक एचएन खोटेल को दे दिया है, लेकिन खोटेल की कार्यशैली पर सरपंचों ने सवाल खड़ा किया है. उनके तबादले की मांग पर धरना प्रदर्शन किया गया.
छुट्टी से लौटे लेकिन नहीं दिया जा रहा प्रभार: सरपंचों को कहना है कि मूलतः करतला में पदस्थ स्थाई सीईओ नागेश छुट्टी से लौट आए हैं. इसके बावजूद नागेश को करतला का प्रभार नहीं दिया जा रहा है. जबकि यहां के प्रभारी सीईओ खोटेल की कार्यशैली और पंचायतों के विकास को लेकर दिए गए प्रस्तावों पर गंभीरता नहीं दिखाए जाने से सरपंचों में नाराजगी है.
ननकीराम भी कर चुके हैं शिकायत: करतला में जनपद पंचायत सीईओ एचएन खोटेल की पदस्थापना के बाद रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने भी शिकायत की थी. उन्होंने खोटेल को हटाये जाने की मांग थी. रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लगभग 50 सरपंचों ने रामपुर विधायक ननकीराम कंवर के नेतृत्व में सीईओ को हटाने की मांग की है. मांग पूरी न होने पर सोमवार से आंदोलन उग्र हो गया. जनपद कार्यालय में तालाबंदी की बात सरपंच कह रहे हैं.
कटघोरा में भी खोटेल के खिलाफ हुआ था आंदोलन: जनपद पंचायत के सीईओ एचएन खोटेल की कार्यशैली बेहद विवादित रही है. करतला के पहले जब वह कटघोरा में पदस्थ थे. तब भी वहां के सरपंचों ने इनके खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था, जिसके बाद प्रशासन को मजबूर होकर उन्हें कटघोरा से हटाया गया था. जिसके बाद खोटेल आदिवासी विभाग में रहकर मुख्यालय का काम देख रहे थे.