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कोरबा में बिना लाइसेंस का अस्पताल : बिना डिग्री के किडनी निकालने वाले डॉक्टर पर FIR दर्ज, कठघरे में स्वास्थ्य विभाग

कोरबा में बिना लाइसेंस के अस्पताल चल रहे हैं. निजी अस्पताल के बिना डिग्री के किडनी निकालने वाले डॉक्टर पर FIR दर्ज की गई है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग कठघरे में है.

कोरबा अस्पताल
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Published : Feb 13, 2022, 10:20 PM IST

कोरबा: एक दिन पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल से रेफरल रैकेट के जरिए निजी अस्पताल पहुंची. पहाड़ी कोरवा महिला की लापरवाही पूर्वक इलाज के बाद मौत का मामला अभी गरमाया हुआ है. इस मामले में गीता देवी मेमोरियल अस्पताल को प्रशासन ने सील कर दिया है. जांच में पाया गया कि अस्पताल बिना लाइसेंस के ही चल रहा था. इस मामले के बाद रविवार को शहर के कोतवाली थाने में बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर एसएन यादव के विरुद्ध सीएमएचओ द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन पर पुलिस चौकी रामपुर में एफआईआर दर्ज की गई है.

शहर के निवासी संतोष साहू ने उस डॉक्टर पर 10 साल पहले पथरी के ऑपरेशन की आड़ में किडनी निकाल लेने की शिकायत की है. जिले में बिना लाइसेंस अस्पताल चल रहा है तो डॉक्टर बिना डिग्री प्रैक्टिस कर लोगों की किडनी निकाल ले रहे. यह सब स्वास्थ्य विभाग के नाक के नीचे हो रहा है. इसके पहले भी स्वास्थ्य विभाग पर गड़बड़ियों के ढेर सारे आरोप लग चुके हैं. लगातार कई दाग के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कोई आंच नहीं आती.

पथरी का ऑपरेशन किया और निकाल ली किडनी
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, संतोष गुप्ता नामक युवक को पथरी की शिकायत होने पर लगभग 10 साल पहले उसने सृष्टि ऑफ मेडिकल इंस्टिट्यूट में पदस्थ चिकित्सक डॉ. एसएन यादव के पास इलाज के लिए पहुंचा था, जहां चिकित्सक ने उसकी पथरी निकालने की वजह बिना अनुमति के किडनी निकाल ली. जब पीड़ित संतोष गुप्ता को इसकी भनक लगी तो उसके होश उड़ गए. उसने अब जाकर इस मामले शिकायत जिला प्रशासन से की थी. इस मामले की जांच में पाया गया कि चिकित्सक एसएन यादव ने घोर लापरवाही बरती थी. जो बिना डिग्री के ही चिकित्सक बनकर प्रैक्टिस कर रहा है. जांच में डॉक्टर एसएन यादव द्वारा एमबीबीएस एवं मास्टर ऑफ सर्जन डिग्री के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. मामले में पुलिस ने चिकित्सक के खिलाफ धारा 420 और 419 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है.

स्वास्थ्य विभाग पर कई बार लगे दाग
जिले में यह पहला मामला नहीं है जब स्वास्थ्य पर दाग लगे हैं, और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. कोरोना काल में करोड़ों की खरीदी, संविदा पर काम करने वाले चिकित्सक द्वारा अपने निजी क्लीनिक में लोगों से पैसे लेकर कोरोना वैक्सीन लगाना. सीएमएचओ बीबी बोडे द्वारा संविदा नियुक्ति में लाखों की मोटी पेमेंट पर अपने पत्नी और बेटी के नियुक्ति करने के साथ ही हाल ही में बिना लाइसेंस अस्पताल और अब बिना डिग्री के डॉक्टर का मामला प्रकाश में आया है. स्वास्थ्य विभाग पर कई दाग लगे हैं, लेकिन उच्चाधिकारियों पर कभी आंच नहीं आई है. जांच की औपचारिकता पूरी कर मामले को निपटा दिया गया.

कोरबा: एक दिन पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल से रेफरल रैकेट के जरिए निजी अस्पताल पहुंची. पहाड़ी कोरवा महिला की लापरवाही पूर्वक इलाज के बाद मौत का मामला अभी गरमाया हुआ है. इस मामले में गीता देवी मेमोरियल अस्पताल को प्रशासन ने सील कर दिया है. जांच में पाया गया कि अस्पताल बिना लाइसेंस के ही चल रहा था. इस मामले के बाद रविवार को शहर के कोतवाली थाने में बिना डिग्री के प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर एसएन यादव के विरुद्ध सीएमएचओ द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन पर पुलिस चौकी रामपुर में एफआईआर दर्ज की गई है.

शहर के निवासी संतोष साहू ने उस डॉक्टर पर 10 साल पहले पथरी के ऑपरेशन की आड़ में किडनी निकाल लेने की शिकायत की है. जिले में बिना लाइसेंस अस्पताल चल रहा है तो डॉक्टर बिना डिग्री प्रैक्टिस कर लोगों की किडनी निकाल ले रहे. यह सब स्वास्थ्य विभाग के नाक के नीचे हो रहा है. इसके पहले भी स्वास्थ्य विभाग पर गड़बड़ियों के ढेर सारे आरोप लग चुके हैं. लगातार कई दाग के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कोई आंच नहीं आती.

पथरी का ऑपरेशन किया और निकाल ली किडनी
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, संतोष गुप्ता नामक युवक को पथरी की शिकायत होने पर लगभग 10 साल पहले उसने सृष्टि ऑफ मेडिकल इंस्टिट्यूट में पदस्थ चिकित्सक डॉ. एसएन यादव के पास इलाज के लिए पहुंचा था, जहां चिकित्सक ने उसकी पथरी निकालने की वजह बिना अनुमति के किडनी निकाल ली. जब पीड़ित संतोष गुप्ता को इसकी भनक लगी तो उसके होश उड़ गए. उसने अब जाकर इस मामले शिकायत जिला प्रशासन से की थी. इस मामले की जांच में पाया गया कि चिकित्सक एसएन यादव ने घोर लापरवाही बरती थी. जो बिना डिग्री के ही चिकित्सक बनकर प्रैक्टिस कर रहा है. जांच में डॉक्टर एसएन यादव द्वारा एमबीबीएस एवं मास्टर ऑफ सर्जन डिग्री के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. मामले में पुलिस ने चिकित्सक के खिलाफ धारा 420 और 419 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है.

स्वास्थ्य विभाग पर कई बार लगे दाग
जिले में यह पहला मामला नहीं है जब स्वास्थ्य पर दाग लगे हैं, और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. कोरोना काल में करोड़ों की खरीदी, संविदा पर काम करने वाले चिकित्सक द्वारा अपने निजी क्लीनिक में लोगों से पैसे लेकर कोरोना वैक्सीन लगाना. सीएमएचओ बीबी बोडे द्वारा संविदा नियुक्ति में लाखों की मोटी पेमेंट पर अपने पत्नी और बेटी के नियुक्ति करने के साथ ही हाल ही में बिना लाइसेंस अस्पताल और अब बिना डिग्री के डॉक्टर का मामला प्रकाश में आया है. स्वास्थ्य विभाग पर कई दाग लगे हैं, लेकिन उच्चाधिकारियों पर कभी आंच नहीं आई है. जांच की औपचारिकता पूरी कर मामले को निपटा दिया गया.

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