कोरबा: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के तहत निजी स्कूलों को अपने कुल क्षमता के 25% सीटों पर गरीब तबके से आने वाले जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश देना होता है. इस नि:शुल्क प्रवेश के एवज में उन्हें सरकार की ओर से प्रतिपूर्ति राशि प्रदान की जाती है. लेकिन यह राशि पिछले साल से अटकी है. जिसके विरोध में निजी स्कूल एसोसिएशन (Private School Association) ने 1 दिन के स्कूल बंद का आह्वान किया है. सोमवार को कोरबा के समस्त निजी स्कूल बंद हैं. शासन से प्रतिपूर्ति राशि शीघ्र जारी करने की मांग की गई है.
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने क्यों चुना प्रदर्शन का रास्ता?
बड़े बैनर के सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त (Recognized by CBSE Board) निजी स्कूलों को मिलाकर जिले में कुल 350 निजी स्कूल संचालित हैं. इन सभी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत खासतौर पर प्राथमिक कक्षाओं की 25% सीटों पर बीपीएल वर्ग से आने वाले बच्चों को पात्रता के आधार पर प्रवेश देना होता है. इसके लिए शासन स्तर पर ऑनलाइन आवेदन मंगाएं जाते हैं.
आर्थिक संकट से जूझ रहे स्कूल
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूल के प्राचार्य को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी भी दी जाती है. इसके बाद पात्रता के आधार पर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है. स्कूल ड्रेस, किताबें और आने-जाने का खर्च भी स्कूल की ओर से ही वहन किया जाता है. स्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में वैसे ही स्कूल बंद रहे. बच्चों की फीस नहीं आने की वजह से वह स्टाफ का पेमेंट नहीं कर पा रहे थे. अब शासन की ओर से आरटीई अधिनियम के तहत मिलने वाली प्रतिपूर्ति राशि भी नहीं मिल रही है. ऐसे में स्कूलों की हालत बेहद खराब है. उनके समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है. इस स्थिति में स्कूलों का संचालन बेहद कठिन हो गया है. जल्द ही यह प्रतिपूर्ति राशि यदि शासन स्तर से जारी नहीं होती तो निजी स्कूल एसोसिएशन ने और भी बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.
इतनी मिलती है प्रतिपूर्ति राशि
नर्सरी से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चों के लिए प्रति छात्र को शिक्षा प्रदान करने के एवज में निजी स्कूलों को सरकार की ओर से 7 हजार 250 रुपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है. स्कूल में जितने छात्र अध्ययनरत होते हैं. उनकी गणना कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से निजी स्कूलों को यह राशि हर वर्ष प्रदान की जाती है, लेकिन निजी स्कूलों का आरोप है कि यह प्रतिपूर्ति राशि 2 से 3 वर्ष से विलंब चल रही है. निजी स्कूलों का यह भी कहना है कि बढ़ती महंगाई के साथ नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करना मुश्किल हो गया है. इस राशि को भी बढ़ाने की जरूरत है.