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आम बजट 2020 : 6 हजार करोड़ की कमाई करने वाला कोरबा अब भी रेल सुविधाओं में फिसड्डी - आम बजट

रेल सुविधाओं के मामले में कोरबा को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.इस बार आम बजट से कोरबावासियो को रेल सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद है.

people of Korba expected from the budget
बजट से उम्मीदें
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Published : Feb 1, 2020, 12:10 AM IST

Updated : Feb 1, 2020, 12:19 AM IST

कोरबा : 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करने वाली है. ऊर्जाधानी कोरबा के खदानों से निकलने वाला कोयला विदेशों में निर्यात होता है. रेलवे के क्षेत्र में कोरबा के योगदान की बात की जाए तो अकेले कोरबा से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को 6 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है. बावजूद इसके रेल सुविधाओं के मामले में कोरबा को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.इस बार आम बजट से कोरबावासियों को रेल सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद है.

6 हजार करोड़ की कमाई करने वाला कोरबा अब भी रेल सुविधाओं में फिसड्डी

कोरबा में रेल सुविधाओं की कमी

  • 12 साल पहले शुरू किए गए पिटलाइन का निर्माण अब भी अधूरा
  • यात्री ट्रेनों के रख रखाव की कमी
  • यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए गए एटीवीएम बंद
  • पड़ोसी जिले से कोरबा का रेल नेटवर्क अब भी नहीं जुड़ा

कोरबा में कब होगा रेल सेवा का विकास

पिटलाइन का निर्माण नहीं होने की वजह से नए ट्रेन के सवाल पर अक्सर अधिकारी रख रखाव का हवाला देकर इसे टाल देते हैं. रेवले स्टेशन में सेकेंड एंट्री शुरू की गई थी, जिसमें अब तक ताला लटका हुआ है.1960 के दशक में कोरबा में कोयला उत्खनन शुरू हुआ था. तभी कोरबा को रेलवे लाइन बिलासपुर से जुड़ा गया था, लेकिन इतने सालों में आज तक कोरबा न तो कटनी रूट से जुड़ पाया न ही इसे पड़ोसी जिले रायगढ़ से जोड़ पाना संभव हो सका.

वर्तमान में कोरबा से हर दिन औसतन 40 से 45 रैक कोयला डिस्पैच किया जाता है. कोयले की ढुलाई से रेलवे और केंद्र सरकार को हर साल करोड़ों का फायदा होता है बावजूद इसके कोरबा रेल नेटवर्क के मामले में अब भी बदहाल है. ऐसे में इस बजट से कोरबा वासी उम्मीद लगा रहे हैं कि रेलवे की रफ्तार के मामले में कोरबा प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से जुड़ सके.

कोरबा : 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करने वाली है. ऊर्जाधानी कोरबा के खदानों से निकलने वाला कोयला विदेशों में निर्यात होता है. रेलवे के क्षेत्र में कोरबा के योगदान की बात की जाए तो अकेले कोरबा से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को 6 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है. बावजूद इसके रेल सुविधाओं के मामले में कोरबा को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.इस बार आम बजट से कोरबावासियों को रेल सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद है.

6 हजार करोड़ की कमाई करने वाला कोरबा अब भी रेल सुविधाओं में फिसड्डी

कोरबा में रेल सुविधाओं की कमी

  • 12 साल पहले शुरू किए गए पिटलाइन का निर्माण अब भी अधूरा
  • यात्री ट्रेनों के रख रखाव की कमी
  • यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए गए एटीवीएम बंद
  • पड़ोसी जिले से कोरबा का रेल नेटवर्क अब भी नहीं जुड़ा

कोरबा में कब होगा रेल सेवा का विकास

पिटलाइन का निर्माण नहीं होने की वजह से नए ट्रेन के सवाल पर अक्सर अधिकारी रख रखाव का हवाला देकर इसे टाल देते हैं. रेवले स्टेशन में सेकेंड एंट्री शुरू की गई थी, जिसमें अब तक ताला लटका हुआ है.1960 के दशक में कोरबा में कोयला उत्खनन शुरू हुआ था. तभी कोरबा को रेलवे लाइन बिलासपुर से जुड़ा गया था, लेकिन इतने सालों में आज तक कोरबा न तो कटनी रूट से जुड़ पाया न ही इसे पड़ोसी जिले रायगढ़ से जोड़ पाना संभव हो सका.

वर्तमान में कोरबा से हर दिन औसतन 40 से 45 रैक कोयला डिस्पैच किया जाता है. कोयले की ढुलाई से रेलवे और केंद्र सरकार को हर साल करोड़ों का फायदा होता है बावजूद इसके कोरबा रेल नेटवर्क के मामले में अब भी बदहाल है. ऐसे में इस बजट से कोरबा वासी उम्मीद लगा रहे हैं कि रेलवे की रफ्तार के मामले में कोरबा प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से जुड़ सके.

Intro:कोरबा। कोरबा के दम पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रेल मंत्रालय को सर्वाधिक राजस्व देने वाला जोन है। अकेले कोरबा से 6 हजार करोड रुपए का सालाना राजस्व रेलवे को प्राप्त होता है। यहां के खदानों से निकलने वाला कोयला देश भर में निर्यात किया जाता है। जिससे गुजरात, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाता है। इन सबके बावजूद यात्री रेल सुविधाओं के मामले कोरबा दशकों से उपेक्षित है।


Body:पिटलाइन 12 साल से अधूरी रेलवे स्टेशन में यात्री ट्रेनों की रखरखाव व मरम्मत के लिए पिटलाइन का निर्माण रेलवे ने अब से लगभग 12 वर्ष पहले शुरू किया था। तब इसका बजट 5 करोड़ रुपय था। लेकिन रेलवे को बाद मे यह समझ आया की इस परियोजना को पूरा करने में 24 करोड़ रुपए की आवश्यक्ता और है। यह राशि अब धीरे-धीरे जारी हो रही है। रेल के अधिकारी तकनीकी कारण बताकर इसका संचालन शुरू नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण यात्री ट्रेनों के रखरखाव संबंधी काम कोरबा में नहीं हो पाते। यही कारण है कि नई ट्रेन के सवाल पर रेल अधिकारी रखरखाव का हवाला देकर इसे टाल देते हैं। सेकंड एंट्री में लटका ताला रेलवे स्टेशन की दूसरी ओर सेकंड एंट्री की शुरुआत की गई थी। यहां टिकट घर भी स्थापित किया गया था। लेकिन शुरुआत के कुछ महीनों बाद ही इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। वर्तमान में सेकंड एंट्री के टिकट घर में ताला लटका हुआ है। लोग इस सुविधा से महरूम हैं। एटीवीएम भी बंद यात्री स्वयं टिकट की बुकिंग कर सकें इसके लिए रेलवे स्टेशन में एनी टाइम टिकट वेंडिंग मशीन स्थापित की गई थी। जिसके जरिए यात्री पैसे अदा कर खुद ही टिकट खरीद सकते थे। लेकिन यह मशीन भी लंबे समय से बंद पड़ी है। रेल प्रशासन इसे सुधारने की जहमत नहीं उठाता।


Conclusion:1960 के दशक में शुरू हुआ कोयला उत्खनन कोरबा जिले में 1960 के दशक में कोयला उत्खनन शुरू हुआ था। तभी कोरबा को रेलवे लाइन बिलासपुर से जुड़ा गया था। लेकिन इतने सालों में आज तक कोरबा ना तो कटनी रूट से जुड़ पाया ना ही इसे पड़ोसी जिले रायगढ़ से ही जोड़ना संभव हो सका। वर्तमान में कोरबा से हर दिन औसतन 40 से 45 रैक कोयला प्रतिदिन डिस्पैच किया जाता है।मालगाड़ी के 1 रैक में 58 से 65 डिब्बे होते हैं। 1रैक कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे को कम से कम 6 से 7 लाख रुपये की आमदनी भाड़े के रूप में मिलती है। बाइट 1 दीपक गुप्ता, शहरवासी पीले शर्ट में 2 मनोज अग्रवाल, शहरवासी, पॉइंटेड डार्क ब्लू शर्ट पहने हुए 3 नरेश,शहरवासी, लाइट ब्लू शर्ट पहने हुए 4 रामकिशन अग्रवाल, रेलवे मामलों के जानकार
Last Updated : Feb 1, 2020, 12:19 AM IST
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