कोरबा : 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करने वाली है. ऊर्जाधानी कोरबा के खदानों से निकलने वाला कोयला विदेशों में निर्यात होता है. रेलवे के क्षेत्र में कोरबा के योगदान की बात की जाए तो अकेले कोरबा से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को 6 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है. बावजूद इसके रेल सुविधाओं के मामले में कोरबा को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.इस बार आम बजट से कोरबावासियों को रेल सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद है.
कोरबा में रेल सुविधाओं की कमी
- 12 साल पहले शुरू किए गए पिटलाइन का निर्माण अब भी अधूरा
- यात्री ट्रेनों के रख रखाव की कमी
- यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए गए एटीवीएम बंद
- पड़ोसी जिले से कोरबा का रेल नेटवर्क अब भी नहीं जुड़ा
कोरबा में कब होगा रेल सेवा का विकास
पिटलाइन का निर्माण नहीं होने की वजह से नए ट्रेन के सवाल पर अक्सर अधिकारी रख रखाव का हवाला देकर इसे टाल देते हैं. रेवले स्टेशन में सेकेंड एंट्री शुरू की गई थी, जिसमें अब तक ताला लटका हुआ है.1960 के दशक में कोरबा में कोयला उत्खनन शुरू हुआ था. तभी कोरबा को रेलवे लाइन बिलासपुर से जुड़ा गया था, लेकिन इतने सालों में आज तक कोरबा न तो कटनी रूट से जुड़ पाया न ही इसे पड़ोसी जिले रायगढ़ से जोड़ पाना संभव हो सका.
वर्तमान में कोरबा से हर दिन औसतन 40 से 45 रैक कोयला डिस्पैच किया जाता है. कोयले की ढुलाई से रेलवे और केंद्र सरकार को हर साल करोड़ों का फायदा होता है बावजूद इसके कोरबा रेल नेटवर्क के मामले में अब भी बदहाल है. ऐसे में इस बजट से कोरबा वासी उम्मीद लगा रहे हैं कि रेलवे की रफ्तार के मामले में कोरबा प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से जुड़ सके.