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मेजर सुधीश ने बनाया एडवांस्ड बुलेटप्रूफ बंकर, भारतीय सेना से मिली मंजूरी, सैनिकों के लिए वरदान - BULLET PROOF BUNKER

केरल निवासी भारतीय सेना के मेजर सुधीश ने बुलेटप्रूफ बंकर बनाया है, जो भारतीय सेना का हिस्सा बन गया है.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

कोझिकोड: मलयाली मेजर द्वारा विकसित बुलेटप्रूफ बंकर भारतीय सेना का हिस्सा बन गया है. कोझिकोड के रहने वाले मेजर सुधीश ने अपने घर पर बुलेटप्रूफ बंकर बनाया है, जो कम वजन का है और जल्दी से बन सकता है. सेना प्रमुख द्वारा बंकर को मंजूरी दिए जाने के बाद सेना ने निर्माण शुरू कर दिया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सेना प्रदर्शनी 'इनो योद्धा' (inno yoddha) में प्रस्तुत किया गया.

मेजर सुधीश ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रदर्शनी का विषय सेना की भविष्य की संभावनाएं थीं. इसमें विभिन्न नवीन आविष्कारों को प्रदर्शित किया गया. यह बंकर इसमें से चुने गए 20 आविष्कारों में से एक है. उन्होंने कहा कि यह बंकर जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बुलेटप्रूफ सुरक्षा प्रदान करता है. इसे बुलेट-इंटरलॉकिंग रूबिक ब्लॉक का उपयोग करके बनाया गया है.

मेजर सुधीश ने बनाया एडवांस्ड बुलेटप्रूफ बंकर
मेजर सुधीश ने बनाया एडवांस्ड बुलेटप्रूफ बंकर (ETV Bharat)

मेजर सुधीश ने बताया कि मुख्य घटक पॉलिमर कंक्रीट, धातु फाइबर, ग्लास फाइबर और कार्बन फाइबर हैं. बंकर का वजन केवल 17 किलोग्राम है. इसके हल्के वजन के कारण इसे किसी भी विपरीप प्रतिस्थितियों वाले क्षेत्र में आसानी से ले जाया जा सकता है. बंकर का निर्माण तीन दिनों में किया जा सकता है. इसे सर्दियों सहित किसी भी मौसम में बनाया जा सकता है, बल्कि इसके लिए मैन पावर की भी कम आवश्यकता होती है.

उन्होंने कहा, एडवांस्ड बंकर के निर्माण के लिए केवल दो ट्रक से पर्याप्त सामग्री ले जा सकते हैं. इस बंकर को उन सीमावर्ती क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाया जा सकता है, जहां परिवहन की कोई सुविधा नहीं है. उन्हें यह विचार अत्यंत कठिन क्षेत्रों में बंकरों के निर्माण में सैनिकों के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों को देखने के बाद आया. मेजर सुधीश ने बताया कि वह और उनकी टीम एक साल से इस पर काम कर रही है.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश (ETV Bharat)

सेना में क्लर्क के पद से अपनी सेवा शुरू करने वाले सुधीश यूपीएससी परीक्षा पास कर अधिकारी के पद तक पहुंचे. वह छह साल से मेजर के पद पर कार्यरत हैं और जल्द ही लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर उनकी पदोन्नति हो सकती है. सुधीश 20 साल से भारतीय सेना में सेवा दे रहे है. उनकी सेवा के 14 साल और बचे हैं. उनकी पत्नी का नाम दृश्या है और उनके दो बच्चे हैं. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर क्षेत्र में सेवा दे रहे मेजर सुधीश कुछ दिन दिनों घर लौटे हैं.

क्या होता है बंकर

सैन्य बंकर सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी और पड़ोसी देशों के हमलों से बचने के लिए सुरक्षित स्थान होते हैं. एक सामान्य बंकर बनाने के लिए 20 ट्रकों में सामान ढोना पड़ता है. बंकर बनाने के लिए 300 लोगों को 25 दिनों तक काम करना पड़ता है. ठोस ब्लॉक 400 मिमी की चौड़ाई के साथ कंक्रीट से बना होता है. बंकर हमलों को रोकने के साथ-साथ उन्हें पीछे हटाने के लिए भी सुसज्जित होंगे.

बंकर कंक्रीट का एक छोटा ढांचा है. इसे जमीन के अंदर बनाया जाता है. बंकर सीधे हमलों और हवाई हमलों से बहुत सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह खराब मौसम में सैनिकों को आश्रय प्रदान करता है.

बंकर अक्सर सीमावर्ती या उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में एक निश्चित दूरी से आगे स्थापित किए जाते हैं. बंकर सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों के लिए सहारा बनते हैं, जहां मौसम कठोर होता है. जब उन क्षेत्रों में जहां अक्सर युद्ध होते हैं, तो स्थानीय लोग भी बंकरों में शरण लेते हैं.

यह भी पढ़ें- भारत का पहला स्वदेशी स्कूटर, 1200 रुपये थी कीमत, एनएच राजकुमार थे मुख्य वास्तुकार, जानें इतिहास

कोझिकोड: मलयाली मेजर द्वारा विकसित बुलेटप्रूफ बंकर भारतीय सेना का हिस्सा बन गया है. कोझिकोड के रहने वाले मेजर सुधीश ने अपने घर पर बुलेटप्रूफ बंकर बनाया है, जो कम वजन का है और जल्दी से बन सकता है. सेना प्रमुख द्वारा बंकर को मंजूरी दिए जाने के बाद सेना ने निर्माण शुरू कर दिया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सेना प्रदर्शनी 'इनो योद्धा' (inno yoddha) में प्रस्तुत किया गया.

मेजर सुधीश ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रदर्शनी का विषय सेना की भविष्य की संभावनाएं थीं. इसमें विभिन्न नवीन आविष्कारों को प्रदर्शित किया गया. यह बंकर इसमें से चुने गए 20 आविष्कारों में से एक है. उन्होंने कहा कि यह बंकर जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को बुलेटप्रूफ सुरक्षा प्रदान करता है. इसे बुलेट-इंटरलॉकिंग रूबिक ब्लॉक का उपयोग करके बनाया गया है.

मेजर सुधीश ने बनाया एडवांस्ड बुलेटप्रूफ बंकर
मेजर सुधीश ने बनाया एडवांस्ड बुलेटप्रूफ बंकर (ETV Bharat)

मेजर सुधीश ने बताया कि मुख्य घटक पॉलिमर कंक्रीट, धातु फाइबर, ग्लास फाइबर और कार्बन फाइबर हैं. बंकर का वजन केवल 17 किलोग्राम है. इसके हल्के वजन के कारण इसे किसी भी विपरीप प्रतिस्थितियों वाले क्षेत्र में आसानी से ले जाया जा सकता है. बंकर का निर्माण तीन दिनों में किया जा सकता है. इसे सर्दियों सहित किसी भी मौसम में बनाया जा सकता है, बल्कि इसके लिए मैन पावर की भी कम आवश्यकता होती है.

उन्होंने कहा, एडवांस्ड बंकर के निर्माण के लिए केवल दो ट्रक से पर्याप्त सामग्री ले जा सकते हैं. इस बंकर को उन सीमावर्ती क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाया जा सकता है, जहां परिवहन की कोई सुविधा नहीं है. उन्हें यह विचार अत्यंत कठिन क्षेत्रों में बंकरों के निर्माण में सैनिकों के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों को देखने के बाद आया. मेजर सुधीश ने बताया कि वह और उनकी टीम एक साल से इस पर काम कर रही है.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ मेजर सुधीश (ETV Bharat)

सेना में क्लर्क के पद से अपनी सेवा शुरू करने वाले सुधीश यूपीएससी परीक्षा पास कर अधिकारी के पद तक पहुंचे. वह छह साल से मेजर के पद पर कार्यरत हैं और जल्द ही लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर उनकी पदोन्नति हो सकती है. सुधीश 20 साल से भारतीय सेना में सेवा दे रहे है. उनकी सेवा के 14 साल और बचे हैं. उनकी पत्नी का नाम दृश्या है और उनके दो बच्चे हैं. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर क्षेत्र में सेवा दे रहे मेजर सुधीश कुछ दिन दिनों घर लौटे हैं.

क्या होता है बंकर

सैन्य बंकर सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी और पड़ोसी देशों के हमलों से बचने के लिए सुरक्षित स्थान होते हैं. एक सामान्य बंकर बनाने के लिए 20 ट्रकों में सामान ढोना पड़ता है. बंकर बनाने के लिए 300 लोगों को 25 दिनों तक काम करना पड़ता है. ठोस ब्लॉक 400 मिमी की चौड़ाई के साथ कंक्रीट से बना होता है. बंकर हमलों को रोकने के साथ-साथ उन्हें पीछे हटाने के लिए भी सुसज्जित होंगे.

बंकर कंक्रीट का एक छोटा ढांचा है. इसे जमीन के अंदर बनाया जाता है. बंकर सीधे हमलों और हवाई हमलों से बहुत सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह खराब मौसम में सैनिकों को आश्रय प्रदान करता है.

बंकर अक्सर सीमावर्ती या उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में एक निश्चित दूरी से आगे स्थापित किए जाते हैं. बंकर सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों के लिए सहारा बनते हैं, जहां मौसम कठोर होता है. जब उन क्षेत्रों में जहां अक्सर युद्ध होते हैं, तो स्थानीय लोग भी बंकरों में शरण लेते हैं.

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