कोरबा: आदिवासी बाहुल्य जिले कई गांव के ग्रामीण आज भी सरकार की बेरुखी का दंश झेल रहे हैं. कोरबा के खुदरी गांव के लोग दशकों बाद भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के पहले जनप्रतिनिधि जब वोट मांगने आये थे, तो कई वादे किये थे, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद गांव में पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा सके. गांव में एक भी नल और कुआं नहीं है. मजबूरी में ग्रामीण नदी से पानी लाकर पीने को मजबूर हैं.
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पोड़ी उपरोड़ा के खुदरी ग्राम पंचायत में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. यह गांव आज भी विकास से कोसों दूर है. गांव में पीने के लिए स्वच्छ पेयजल का इंतजाम तक नहीं है, जिसके कारण ग्रामीणों को गांव के मुहाने से बहने वाले बरसाती नाले का पानी पीना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि पेयजल के लिए उनका यह संघर्ष बीते कई दशकों से बदस्तूर जारी है, लेकिन प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है. गांव में तकरीबन 300 की आबादी है, जो नाले पर आश्रित है.
![people-of-khudri-gram-panchayat-are-craving-for-clean-water-in-korba](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8885984_1.jpg)
![People of Khodri village of Korba are drinking contaminated water](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8885984_2.jpg)
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पानी के लिए 2 किलोमीटर का सफर
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 3 हैंडपंप हैं, जिनमें से 2 हैंडपंप कई साल से खराब है. वहीं एक हैंडपंप से दूषित पानी निकलता है. ऐसे में ग्रामीणों की समस्या बढ़ गई है. सिस्टम की लाचारी का आलम यह है कि ग्रामीणों को गांव से 2 किलोमीटर दूर नाले का सहारा लेना पड़ता है. पानी के लिए इस गांव में सिर्फ एक यहीं साधन है. ऐसा भी नहीं है कि जिम्मेदारों को इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी होने के बावजूद न तो अफसरों ने पहल की और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसकी सुध ली है.