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दीपका नगर पालिका: यहां एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान, लेकिन स्थानीय रोजगार के लिए परेशान

दीपका नगर पालिका चुनाव शहर से ज्यादा एसईसीएल कॉलोनी के वोटरों पर निर्भर करता है. एसईसीएल कॉलोनी के वोटर ही नगर पालिका के अध्यक्ष चेहरा तय करते हैं. नगर पालिका दीपका में पहले 18 वार्ड थे, लेकिन परिसीमन होने के बाद इसे 21 वार्डों में बांट दिया गया है.

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Published : Oct 24, 2019, 11:41 PM IST

Deepka Nagar palika

कोरबा: कटघोरा तहसील तहत आने वाली दीपका नगर पालिका में एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है. दीपका नगर पालिका 2003 से पहले ग्राम पंचायत थी, जिसे जनसंख्या बढ़ने के बाद नगर पालिका का दर्जा दिया गया.

एशिया का सबसे बड़ा कोयला खदान, लेकिन स्थानीय लोग रोजगार के लिए कर रहे पलायन

नगर पालिका बनने के बाद 2004 में यहां पहला नगरीय निकाय चुनाव हुआ. जिसमें बीजेपी के बुगल दुबे ने कांग्रेस के तनवीर अहमद को हरा अध्यक्ष पद पर कब्जा किया. इसके बाद 2009 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मनोज शर्मा ने एक बार फिर कांग्रेस के तनवीर अहमद को पराजित करते हुए जीत दर्ज की. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने फिर से बुगल दुबे को चुनाव में उतारा और कांग्रेस तनवीर अहमद को फिर एक बार हार का सामना करना पड़ा.

दीपका नगर पालिका चुनाव शहर से ज्यादा एसईसीएल कॉलोनी के वोटरों पर निर्भर करता है. एसईसीएल कॉलोनी के वोटर ही नगर पालिका के अध्यक्ष चेहरा तय करते हैं. नगर पालिका दीपका में पहले 18 वार्ड थे, लेकिन परिसीमन होने के बाद इसे 21 वार्डों में बांट दिया गया है. वर्तमान में 7 वार्ड पर बीजेपी, 6 पर कांग्रेस और 5 पर निर्दलीय पार्षदों का कब्जा है. वर्तमान में दीपका नगर पालिका में कुल 18000 के करीब वोटर हैं. इलाके में सबसे बड़ा कोल खदान होने के कारण यहां प्रदूषण की समस्या भी बड़ी है.

शहर में बिजली पानी के साथ सड़कों की हालत भी बेहद खराब है. एसईसीएल का इलाका होने के कारण यहां भारी गाड़ियों का ज्यादा आवागमन होता है. इसके कारण सड़कों की हालत बेहद खराब हो गई है. शहर में शुद्ध पेयजल की भी भीषण समस्या है. इलाके को लोग धूल और प्रदूषण से परेशान हैं. धूल के कारण इलाके के लोग सांस की बीमारी के पीड़ित बताये जाते हैं. वहीं शहर में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल भी बेहाल है.

कोरबा: कटघोरा तहसील तहत आने वाली दीपका नगर पालिका में एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है. दीपका नगर पालिका 2003 से पहले ग्राम पंचायत थी, जिसे जनसंख्या बढ़ने के बाद नगर पालिका का दर्जा दिया गया.

एशिया का सबसे बड़ा कोयला खदान, लेकिन स्थानीय लोग रोजगार के लिए कर रहे पलायन

नगर पालिका बनने के बाद 2004 में यहां पहला नगरीय निकाय चुनाव हुआ. जिसमें बीजेपी के बुगल दुबे ने कांग्रेस के तनवीर अहमद को हरा अध्यक्ष पद पर कब्जा किया. इसके बाद 2009 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मनोज शर्मा ने एक बार फिर कांग्रेस के तनवीर अहमद को पराजित करते हुए जीत दर्ज की. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने फिर से बुगल दुबे को चुनाव में उतारा और कांग्रेस तनवीर अहमद को फिर एक बार हार का सामना करना पड़ा.

दीपका नगर पालिका चुनाव शहर से ज्यादा एसईसीएल कॉलोनी के वोटरों पर निर्भर करता है. एसईसीएल कॉलोनी के वोटर ही नगर पालिका के अध्यक्ष चेहरा तय करते हैं. नगर पालिका दीपका में पहले 18 वार्ड थे, लेकिन परिसीमन होने के बाद इसे 21 वार्डों में बांट दिया गया है. वर्तमान में 7 वार्ड पर बीजेपी, 6 पर कांग्रेस और 5 पर निर्दलीय पार्षदों का कब्जा है. वर्तमान में दीपका नगर पालिका में कुल 18000 के करीब वोटर हैं. इलाके में सबसे बड़ा कोल खदान होने के कारण यहां प्रदूषण की समस्या भी बड़ी है.

शहर में बिजली पानी के साथ सड़कों की हालत भी बेहद खराब है. एसईसीएल का इलाका होने के कारण यहां भारी गाड़ियों का ज्यादा आवागमन होता है. इसके कारण सड़कों की हालत बेहद खराब हो गई है. शहर में शुद्ध पेयजल की भी भीषण समस्या है. इलाके को लोग धूल और प्रदूषण से परेशान हैं. धूल के कारण इलाके के लोग सांस की बीमारी के पीड़ित बताये जाते हैं. वहीं शहर में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल भी बेहाल है.

Intro:कोरबा जिले के दीपका नगर पालिका का इतिहासBody:कोरबा जिले के कटघोरा तहसील अंतर्गत दीपका का कोयला खदान पूरे एशिया में सबसे बड़े कोयले के खदान के नाम से जाना जाता है। दीपिका नगर पालिका की स्थापना 2003 में की गई। जिसे ग्राम पंचायत से हटाकर नगर पालिका परिषद बनाया गया। 2004 के नगरी निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बुगल दुबे ने 1000 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी तनवीर अहमद को पराजित किया था। 2009 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मनोज शर्मा ने तनवीर अहमद को बहुत ही कम अंतर से मात्र 140 वोटों से पराजित कर जीत हासिल की थी, और अध्यक्ष बनकर दीपिका नगर का विकास कार्य बहुत अच्छे ढंग से किया । 2014 के चुनाव में भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी बुगल दुबे को फिर से चुनाव में उतारा और इनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार तनवीर अहमद को 360 वोटों से पराजित कर जीत हासिल की। यहां लगातार भाजपा ने तीन बार दीपका में अध्यक्ष पद का परचम फहराया है। अब देखने वाली बात है इस बार के नगरी निकाय चुनाव में किस तरह के नतीजे सामने आते हैं। दीपका नगर पालिका चुनाव नगर से ज्यादा एसईसीएल कॉलोनी के वोटरों पर निर्भर करता है । एसईसीएल कालोनी के वोटर ही नगर पालिका के अध्यक्ष के हार और जीत का फैसला करते हैं। नगरपालिका दीपका ने पहले 18 वाट थे और अभी परिसीमन होने के बाद भी 21 वार्ड हैं, जिसमें 07 भाजपा और 06 में कांग्रेस निर्दलीय 05 काबीज है एसईसीएल में लगभग 2,000 परिवार निवासरत है, अभी वर्तमान में दीपिका नगर पालिका के मतदाता 18000 वोटर अपने वोट डालकर नगर के अध्यक्ष का फैसला करेंगे । अभी वर्तमान में जनसंख्या 27000 के आसपास है। यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह क्षेत्र कोयले की खदान होने की वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषित रहता है....Conclusion:...
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