कोरबा: हाल ही में दिल्ली के दौरे पर गए पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े मुद्दों पर नितिन गडकरी से चर्चा की साथ ही विधानसभा चुनाव में हार और वर्तमान सरकार की स्थिति पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत की.
मुलाकात के दौरान ननकीराम ने केंद्रीय गृह मंत्री से विधानसभा चुनाव में मिली हार और और वर्तमान में भूपेश बघेल की प्रदेश सरकार को लेकर चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री को वर्तमान सरकार के क्रियाकलापों से भी अवगत कराया. उन्होंने हाथी अभयारण्य के विषय पर भी बात की.
नई सड़क बनाने की मांग
उन्होंने बताया कि पूरे कोरबा जिले में सड़क की हालत बेहद खस्ता है, जिससे सड़कों में आना-जाना मुसीबत बन गया है. सड़क में कई जगह गड्ढे हो गए है. हल्की सी बारिश से गड्ढों में पानी भर जाता है. सड़क की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि बड़ी-बड़ी बसें और ट्रक भी सड़क में फंस जा रही हैं. सड़क की इस दुर्दशा को लेकर ननकीराम ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की. उन्होंने नितिन गडकरी से कहा कि कोरबा-चांपा मार्ग और नेशनल हाइवे के निर्माण जल्द से जल्द कराया जाए. उन्होंने बताया कि सड़कों पर चल रहे भरी वाहनों के मुकाबले सड़क की क्षमता बेहद कम है. उन्होंने कहा कि जो नई सड़क बनेगी उसकी क्षमता और गुणवत्ता का खास ध्यान रखा जाए.
मांग पूरी न होने पर करेंगे आंदोलन
उन्होंने उरगा-बिलासपुर मार्ग पर बने सड़क को लेकर भी चर्चा की है. उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण के समय वहां से हटाए गए ग्रामीणों को क्षतिपूर्ति की राशि अब तक प्राप्त नहीं हुई है. ननकीराम ने आगे कहा कि इन बातों को नितिन गडकरी के संज्ञान में दे दिया गया है. इसके साथ ही जिला कलेक्टर से क्षतिपूर्ति की राशि देने की मांग की गई है. उन्होंने जल्द ही मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
हाथी अभयारण्य की होगी प्लानिंग
उन्होंने कहा कि हाथी अभयारण्य बनाने की घोषणा के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण नहीं चाहते कि वहां पर अभयारण्य बने, लेकिन अभयारण्य बनना बेहद जरूरी है और ग्रामीणों की चिंता भी जायज है. उन्होंने बताया कि इन मुद्दे पर ग्रामीणों से बातचीत कर और प्रदेश सरकार के साथ मंथन कर प्लान तैयार किया जाएगा. प्रदेश सरकार से इस बारे में चर्चा की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि किस तरह हाथी अभयारण्य तैयार किया जाए. जिससे कम गांव प्रभावित हो.
उन्होंने यह भी बताया कि जनहित के कार्य के लिए त्याग तो करना पड़ेगा इसलिए कुछ गांव को विस्थापन झेलना पड़ सकता है. उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार से बातचीत कर विस्थापित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा.