कोरबा: साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के खिलाफ भू-विस्थापितों का आक्रोश रविवार को अपने चरम पर था. रोजगार, पुनर्वास और मुआवजे की दशकों पुरानी अपनी मांगों को लेकर सैकड़ों की भीड़ कुसमुंडा कोयला खदान के भीतर प्रवेश कर गयी. खदान प्रभावित लोगों की मांग है कि इन्हें मुआवजा दिया जाए. साथ ही परिवार के जिन लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया था. उन्हें भी नौकरी दी जाए. इसी बात को लेकर भू-विस्थापितों का पिछले एक महीने से धरना भी लगातार जारी है.
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भू स्थापित के साथ ही श्रमिक नेताओं का कहना है कि SECL ने कुसमुंडा में खदान बनाने के लिए दशकों पूर्व ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण किया था. जमीन अधिग्रहण करते समय किसानों से वादा किया गया था कि उन्हें जमीन के बदले नियमानुसार उचित सुविधाएं दी जाएंगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जमीन अधिग्रहण के वर्षों बाद भी खदान प्रभावित भू विस्थापित अब भी उचित मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास की मांगों के लिए कंपनी के चक्कर काट रहे हैं. वह लगातार आंदोलन करने को भी विवश हैं.
खदान के भीतर जमकर प्रदर्शन: विस्थापितों का कहना है कि उनके परिवार के लोगों को आज तक नौकरी नहीं मिली है. ना ही मुआवजा दिया गया है. इसी बात को लेकर वह पिछले एक महीने से कुसमुंडा के जीएम ऑफिस के पास धरना दे रहे थे. उनका कहना है कि हमारी मांगों को सुना जाए. लेकिन अब तक बात नहीं बनी है. इसके चलते रविवार को करीब 500 लोग जीएम ऑफिस के सामने रैली लेकर निकले. ऑफिस के बाहर भी लोगों ने जमकर नारेबाजी की. विस्थापितों के साथ बड़ी तादाद में महिलाएं भी शामिल थे. जो महाप्रबंधक कार्यालय के सामने से होते हुए खदान के भीतर प्रवेश कर गई.
राजनीतिक दलों का भी समर्थन: भू-विस्थापितों के इस आंदोलन को रोजगार एकता संघ, माकपा और कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है. इनके विरोध के वक्त सभी संगठनों के झंडे लिए लोग नजर आए. राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने एकजुट होकर ऐसे सेल के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.
उत्पादन प्रभावित लिखित आश्वासन भी दिया: खदान के भीतर भू विस्थापितों के इस प्रदर्शन से कोयला उत्पादन का काम रविवार को पूरी तरह से ठप रहा. जिससे एसईसीएल को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा. आंदोलन के दौरान एसईसीएल के अधिकारी मौके पर पहुंचे, जिन्होंने भू विस्थापितों की समस्याओं का समाधान करने का लिखित आश्वासन दिया. जिसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ.