कोरबा: छत्तीसगढ़ से हाथियों का रिश्ता काफी पुराना है. इस बात के लिखित प्रमाण मौजूद है, कि मुगल काल में खास तौर पर अकबर के शासनकाल में उत्तर छत्तीसगढ़ से मुगल साम्राज्य के शासक हाथियों को यहां से ले जाया करते थे. तब जिस राजा के पास जितने अधिक हाथी होते थे. उसे उतना शक्तिशाली माना जाता था. हाथी हमेशा से ही समृद्धि के प्रतीक रहे हैं. लेकिन मानव के लालच, शिकार, घटते जंगल, बढ़ते औद्योगिकरण ने हाथियों की प्रजाति पर संकट पैदा कर दिया है.
छत्तीसगढ़ में 1930 तक हाथियों की अच्छी खासी संख्या थी. इसके बाद उनकी संख्या कम होती चली गई. साल 2000 में प्रदेश में दूसरे राज्यों से हाथियों का आना शुरू हुआ. अविभाजित बिहार की ओर से हाथी छत्तीसगढ़ में आए. अब हाथियों ने छत्तीसगढ़ को अपना स्थायी निवास बना लिया है. सरगुजा और बिलासपुर संभाग में हाथियों की संख्या ज्यादा है. छत्तीसगढ़ में लगभग 300 हाथी मौजूद हैं. हाथियों के जानकार बताते है कि पिछले 5 साल में हाथियों की संख्या छत्तीसगढ़ में बढ़ी है लेकिन ये काफी नहीं है. हाथियों को संरक्षित करने के लिए जंगल बढ़ाने पड़ेंगे. लोगों को जागरूक करना होगा.
हाथी छोटे जंगल में बेहद असहज महसूस करते हैं. उन्हें फलने फूलने के लिए बड़े जंगलों की जरूरत होती है. हाथी एक बुद्धिमान जीव होता है. पर्यावरण संरक्षण के लिए यह बेहद जरूरी है की हाथियों की मौजूदगी जंगलों में बनी रहे.- प्रभात दुबे, हाथियों के जानकार
भारत में 27 तो एशिया में 55 हजार है संख्या : छत्तीसगढ़ में 300 हाथियों के अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और दक्षिण के प्रदेशों में में भी हाथियों की संख्या अच्छी है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में फिलहाल 27 हजार हाथी मौजूद हैं. जबकि पूरे एशिया में 55 हजार हाथी हैं. भारत 60 से 65 फीसदी हाथियों का प्रतिनिधित्व करता है. वर्तमान में पृथ्वी पर अफ्रीकन और एशियन हाथी ही बचे हैं. भारत में एशियन हाथियों का बसेरा हैं. सबसे अंतिम विलुप्त प्रजाति विशालकाय मैमथ हाथी है. जो अब से लगभग 4000 साल पहले विलुप्त हो गए हैं. मैमथ हिमालयन और हिमाचल प्रदेश में मिलते थे.
अंब्रेला स्पीशीज है हाथी: हाथियों को अंब्रेला अर्थात छतरी स्पीशीज(जीव) माना जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि हाथी जहां है. वह स्थान एक छतरी की तरह है. इस छतरी के नीचे सभी जीव जंतु सुरक्षित रहते हैं. हाथियों को बेहद बुद्धिमान जाता है. इनकी तुलना चिंपैंजी और डॉल्फिन से की जाती है. हालांकि हाथी को अब विभिन्न वैश्विक स्तर पर काम करने वाली संस्था में विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में डाल दिया है.
हाथी और शेर दो ऐसी प्रजाति के जानवर हैं. जिनकी मौजूदगी से इंसान भी जंगलों में जाने से डरते हैं. अवैध कटाई बंद हो जाती है. शिकारी भी जंगल से खौफ खाते हैं. इसलिए हाथियों की मौजूदगी का जंगल में होना बेहद जरूरी हो जाता है.
पर्यावरण के लिए बेहद खास है हाथी: हाथी पर्यावरण के लिए बेहद खास होते हैं. चुंकि वह एक शाकाहारी जीव है. इसलिए वह पेड़ों के प्रजाति को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं. वह पेड़ों की संख्या को भी बढ़ाते हैं. हाथियों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि जंगल की जैव विविधता बेहद समृद्ध है. हाथियों के मौजूदगी से शिकारी और जंगलों में अवैध कटाई करने वाले लोग भी जंगल से दूर रहते हैं. इसलिए हर लिहाज से हाथियों का जंगल में मौजूद होना बेहद जरूरी हो जाता है.
हाथी एक बेहद खास जीव है. इसके संरक्षण की बेहद अधिक जरूरत है. हालांकि इनकी संख्या में लगातार गिरावट आई है और इन्हें शेड्यूल्ड जानवरों के श्रेणी में रखा गया है.-डॉ संदीप शुक्ला, प्रोफेसर, बॉटनी
हाथियों को संरक्षित करने के लिए वन विभाग की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे फलदार वृक्ष जंगलों में रोपे जा रहे हैं, जो हाथियों को पसंद होते हैं. उनके लिए रहवास विकसित करने के साथ ही ऐसे इंतजाम किए जा रहे हैं जिससे हाथी जंगल में ही रहे और रिहायशी इलाकों की ओर ना पहुंचे. ताकि मानव हाथी द्वंद में कमी आ सके. आशीष खेलवार, एसडीओ, कोरबा वन मंडल
लेमरू हाथी रिजर्व से होगा फायदा : कोरबा, बिलासपुर, सरगुजा जिलों के कुछ सीमावर्ती इलाकों को लेमरू हाथी रिजर्व घोषित किया गया है. कुछ काम हुए हैं, जबकि बहुत से काम बाकी हैं. इस परियोजना के तहत हाथियों के लिए जंगल में बेहतर रहवास विकसित किया जा रहा है. जंगलों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. उनके लिए खाना, पानी और अन्य इंतजाम किया जा रहे हैं. जानकारों की माने तो दु:खद पहलू यह है कि इन क्षेत्रों में भी कुछ कोयला खदान प्रस्तावित है. विभिन्न संगठनों की रिपोर्ट है कि यदि इस इलाके में कोयला खदान खोले गए. तो हाथी मानव द्वंद इतना बढ़ेगा, जिसे नियंत्रित करना असंभव हो सकता है.