कोरबा: कोरबा में 1 सीजी बटालियन की स्थापना 3 साल पहले ही हुई थी. कोरोना काल के कारण एनसीसी की गतिविधियों पर कुछ समय के लिए लगाम लग गया था. हालांकि पिछले साल से फिर से एनसीसी गतिविधियों को गति मिली है. सोमवार को छत्तीसगढ़ के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर विक्रम सिंह चौहान कोरबा पहुंचे. यहां उन्होंने सभी एनसीसी अधिकारियों से चर्चा की. इस दौरान स्कूल, कॉलेजों को मिलकर सभी 17 संस्थाओं के केयरटेकर ऑफिसर भी बटालियन में मौजूद रहे.
सुविधाएं बढ़ाने पर है फोकस :कोरबा बटालियन के दौरे पर पहुंचे ब्रिगेडियर विक्रम सिंह चौहान ने ईटीवी को बताया कि "3 साल पहले ही कोरबा की इस बटालियन को स्थापित किया गया है. सुविधाओं को बढ़ाने में समय लगता है. शूटिंग रेंज और बाधा दौड़ के ट्रैक के लिए हम प्रयासरत हैं. लेकिन एनसीसी का काम होता है कि बच्चों में देशभक्ति की भावना पैदा की जाए. उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाया जाए. हम प्रयास करते हैं कि बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो. वह अपने आप को एक अच्छे नागरिक के तौर पर तैयार कर सकें. बच्चों के कैरक्टर बिल्डिंग का काम हम करते हैं. इसके लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. कोरबा में फिलहाल 17 संस्थाएं हमसे जुड़ चुकी हैं. 10 और संस्थाएं हमसे जुड़ने जा रही हैं. फिलहाल कोरबा से 5 जिलों में एनसीसी की गतिविधियों का संचालन हो रहा है. 2 और जिलों को भी जोड़ने की तैयारी चल रही है."
सभी संस्थाओं के केयरटेकर ऑफिसर भी रहे मौजूद: कोरबा के 1 सीजी बटालियन की ओर से जांजगीर चांपा, सूरजपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़ सहित पांच जिलों के स्कूल और कॉलेज में एनसीसी की गतिविधियों का संचालन किया जाता है. अब इसमें दो और जिले को जोड़ने की तैयारी है. एनसीसी का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले छात्रों को न सिर्फ दिल्ली के परेड में भाग लेने का अवसर मिलता है. बल्कि उन्हें सरकारी नौकरियों में भी छूट मिलती है.
जिले में फिलहाल सुविधाओं का अभाव: बता दें कि कोरबा के 1 सीजी बटालियन में फिलहाल कई सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. यहां आर्मी के सभी भर दिए गए हैं. हवलदार, सूबेदार और कर्नल रैंक के अधिकारी यहां मौजूद हैं. हालांकि राज्य शासन से 27 पदों के खिलाफ केवल 8 पदों पर ही यहां कर्मचारी मौजूद हैं. जिसके कारण कई तरह की गतिविधियों को चलाने में दिक्कतें होती है. 1 सीजी बटालियन कोरबा में फिलहाल शूटिंग रेंज का भी अभाव है, जिसके लिए एनसीसी के कैडेट्स को अन्य जिलों में भेज कर ट्रेनिंग पूरी कराई जाती है.