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बच्चे छोटी बातों पर क्यों हो रहे हिंसक, नाबालिगों की मानसिकता में क्यों हो रहा बदलाव, जानिए - CHILD PSYCHOLOGY

नाबालिगों की मानसिकता में तेजी से बदलाव हो रहा है. उनकी छोटी बात पर हिंसक होना या अपराध में शामिल होना चिंता का विषय है.

why Child psychology has changed
नाबालिगों की मानसिकता में क्यों हो रहा बदलाव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 26, 2024, 8:35 PM IST

Updated : Dec 26, 2024, 9:19 PM IST

रायपुर : वर्तमान परिवेश में नाबालिगों छोटी छोटी बातों पर हिंसक हो रहे हैं. नाबालिग हत्या, हत्या का प्रयास जैसे वारदात के साथ साथ दुष्कर्म जैसी वारदात भी अंजाम देने लगे हैं. आखिर नाबालिग बच्चों में इस तरह हिंसक प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है. बच्चों की मानसिकता बदलने और हिंसक होने के पीछे कौन सी वजह हैं. यह सवाल आज हर किसी के मन में मंडरा रहा है.

क्या सोशल मीडिया है जिम्मेदार : रायपुर मेकाहारा की मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे भी मानती हैं कि यंग एज के बच्चे, जिनकी उम्र 12 से लेकर 18 वर्ष के बीच हैं, इसके शिकार हो रहे हैं. ऐसे बच्चे वर्तमान समय में सोशल मीडिया और दूसरे प्लेटफार्म की वजह से हिंसक हो रहे हैं. इसके साथ ही उनकी मानसिकता में बदलाव दिखाई दे रहा है.

नाबालिगों की मानसिकता में वजह समझिए (ETV Bharat)

आजकल हम देख रहे हैं कि 12 से 18 वर्ष के यंग बच्चे एक्स्पोजर, वायलेंट कंटेंट, जो इंटरनेट पर या टीवी पर देख रहे हैं, वह एक्सप्लिंट हो गया है. जो इतनी कम उम्र में फिल्ट्रेशन रहता था, वह कम हो गया है. वायलेंट कंटेंट हो गया है. इसके साथ ही सेक्सुअल कंटेंट है, जो कि बहुत कम उम्र में ही एक्सपोज हो जा रहे हैं : डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक, रायपुर मेकाहारा

बच्चों की मॉनिटरिंग में कमी : मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे ने बताया कि परिवार संकुचित होने के साथ ही छोटे होते जा रहे हैं. इस वजह से बच्चों की मॉनिटरिंग अच्छे से नहीं हो पा रही है. पहले के मुकाबले अब परेंट्स काफी कम बच्चों पर नजर रखते हैं. बच्चों का मानसिक विकास तेज भी होता जा रहा है.

हार्मोनल चेंजेस की वजह से बच्चों में समझदारी नहीं आ पाती और बच्चे उस जोन में चले जाते हैं, जहां उन्हें लगता है कि हम बड़े हो गए हैं. हम जो चाहें, वह कर सकते हैं. इस तरह के एज ग्रुप डेंजरस हो जाते हैं. इस एज ग्रुप में बच्चे कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो उसके साथ साथ आपको भी नुकसान पहुंचा दे. : डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक, रायपुर मेकाहारा

बदलाव दिखने पर मनोचिकित्सक से मिले : मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे का मानना है कि बच्चों में यही एज ग्रुप होता है, जिसमें पर्सनैलिटी डिवेलप होती है. ऐसे में परिजनों को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि बच्चों को हम किस डायरेक्शन में मोल्ड कर रहे हैं. कई बार मानसिक रोग या मानसिक बीमारियां भी इसी उम्र में उभरकर सबसे ज्यादा सामने आती है. ऐसे में बच्चों में किसी तरह के चेंज या लक्षण दिखाई देते हैं तो मनोचिकित्सक से तुरंत सलाह लेना चाहिए.

पुलिस ने जागरूकता को बताया जरूरी : नाबालिगों के द्वारा हो रहे अपराध को लेकर रायपुर जिले के एसएसपी लाल उमेद सिंह का मानना है कि किसी कार्यक्रम के बहाने हायर सेकंडरी और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों से मुलाकात करते रहना चाहिए. ताकि उन बच्चों को बदलते सामाजिक परिवेश को लेकर जागरूक किया जाए. इन बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सही गलत उपयोग के परिणाम को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है. वर्तमान समय में फाइनेंशियल फ्रॉड, साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी से बचने को लेकर भी जागरूक करना जरूरी है. ताकि भविष्य में इस प्रकार के अपराध से नाबालिग बच सकें.

कुछ तात्कालिक घटनाएं हुई हैं, जिसमें नाबालिगों ने घटनाओं को अंजाम दिया है. यूथ का लगाव नशा के प्रति है. ऐसे में इसे कैसे रोका जाए और लोगों को कैसे जागरूक किया जाए, इस दिशा में पुलिस काम कर रही है. जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं : लाल उमेद सिंह, एएसपी, रायपुर

रायपुर जिले के आपराधिक आंकड़े : रायपुर जिले में फरवरी से नवंबर तक 2024 में 7970 अपराध दर्ज हुए हैं. पिछले साल 2023 में फरवरी से नवंबर तक की तुलना में अपराधों में 3 प्रतिशत की कमी आई है. जिला रायपुर में माह फरवरी से नवंबर तक आईपीसी/बीएनएस के तहत 7970 अपराध दर्ज किए गए हैं. पिछले साल इसी अवधि में 8224 अपराध दर्ज हुए थे. इस तुलनात्मक अवधि में अपराधों में 3 प्रतिशत की कमी हुई है. पिछले साल चाकूबाजी की 171 की जगह 102 घटनाएं और हत्या के 54 के बजाय 58 घटनाएं हुई हैं. चाकूबाजी में 40 फीसदी की कमी, हत्या में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. छेड़छाड़/यौन हिंसा में 28 फीसदी, बलात्कार में 8 फीसदी, चोरी में 9 और मारपीट में 3 प्रतिशत की कमी आई है.

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रायपुर : वर्तमान परिवेश में नाबालिगों छोटी छोटी बातों पर हिंसक हो रहे हैं. नाबालिग हत्या, हत्या का प्रयास जैसे वारदात के साथ साथ दुष्कर्म जैसी वारदात भी अंजाम देने लगे हैं. आखिर नाबालिग बच्चों में इस तरह हिंसक प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है. बच्चों की मानसिकता बदलने और हिंसक होने के पीछे कौन सी वजह हैं. यह सवाल आज हर किसी के मन में मंडरा रहा है.

क्या सोशल मीडिया है जिम्मेदार : रायपुर मेकाहारा की मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे भी मानती हैं कि यंग एज के बच्चे, जिनकी उम्र 12 से लेकर 18 वर्ष के बीच हैं, इसके शिकार हो रहे हैं. ऐसे बच्चे वर्तमान समय में सोशल मीडिया और दूसरे प्लेटफार्म की वजह से हिंसक हो रहे हैं. इसके साथ ही उनकी मानसिकता में बदलाव दिखाई दे रहा है.

नाबालिगों की मानसिकता में वजह समझिए (ETV Bharat)

आजकल हम देख रहे हैं कि 12 से 18 वर्ष के यंग बच्चे एक्स्पोजर, वायलेंट कंटेंट, जो इंटरनेट पर या टीवी पर देख रहे हैं, वह एक्सप्लिंट हो गया है. जो इतनी कम उम्र में फिल्ट्रेशन रहता था, वह कम हो गया है. वायलेंट कंटेंट हो गया है. इसके साथ ही सेक्सुअल कंटेंट है, जो कि बहुत कम उम्र में ही एक्सपोज हो जा रहे हैं : डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक, रायपुर मेकाहारा

बच्चों की मॉनिटरिंग में कमी : मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे ने बताया कि परिवार संकुचित होने के साथ ही छोटे होते जा रहे हैं. इस वजह से बच्चों की मॉनिटरिंग अच्छे से नहीं हो पा रही है. पहले के मुकाबले अब परेंट्स काफी कम बच्चों पर नजर रखते हैं. बच्चों का मानसिक विकास तेज भी होता जा रहा है.

हार्मोनल चेंजेस की वजह से बच्चों में समझदारी नहीं आ पाती और बच्चे उस जोन में चले जाते हैं, जहां उन्हें लगता है कि हम बड़े हो गए हैं. हम जो चाहें, वह कर सकते हैं. इस तरह के एज ग्रुप डेंजरस हो जाते हैं. इस एज ग्रुप में बच्चे कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो उसके साथ साथ आपको भी नुकसान पहुंचा दे. : डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक, रायपुर मेकाहारा

बदलाव दिखने पर मनोचिकित्सक से मिले : मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे का मानना है कि बच्चों में यही एज ग्रुप होता है, जिसमें पर्सनैलिटी डिवेलप होती है. ऐसे में परिजनों को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि बच्चों को हम किस डायरेक्शन में मोल्ड कर रहे हैं. कई बार मानसिक रोग या मानसिक बीमारियां भी इसी उम्र में उभरकर सबसे ज्यादा सामने आती है. ऐसे में बच्चों में किसी तरह के चेंज या लक्षण दिखाई देते हैं तो मनोचिकित्सक से तुरंत सलाह लेना चाहिए.

पुलिस ने जागरूकता को बताया जरूरी : नाबालिगों के द्वारा हो रहे अपराध को लेकर रायपुर जिले के एसएसपी लाल उमेद सिंह का मानना है कि किसी कार्यक्रम के बहाने हायर सेकंडरी और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों से मुलाकात करते रहना चाहिए. ताकि उन बच्चों को बदलते सामाजिक परिवेश को लेकर जागरूक किया जाए. इन बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सही गलत उपयोग के परिणाम को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है. वर्तमान समय में फाइनेंशियल फ्रॉड, साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी से बचने को लेकर भी जागरूक करना जरूरी है. ताकि भविष्य में इस प्रकार के अपराध से नाबालिग बच सकें.

कुछ तात्कालिक घटनाएं हुई हैं, जिसमें नाबालिगों ने घटनाओं को अंजाम दिया है. यूथ का लगाव नशा के प्रति है. ऐसे में इसे कैसे रोका जाए और लोगों को कैसे जागरूक किया जाए, इस दिशा में पुलिस काम कर रही है. जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं : लाल उमेद सिंह, एएसपी, रायपुर

रायपुर जिले के आपराधिक आंकड़े : रायपुर जिले में फरवरी से नवंबर तक 2024 में 7970 अपराध दर्ज हुए हैं. पिछले साल 2023 में फरवरी से नवंबर तक की तुलना में अपराधों में 3 प्रतिशत की कमी आई है. जिला रायपुर में माह फरवरी से नवंबर तक आईपीसी/बीएनएस के तहत 7970 अपराध दर्ज किए गए हैं. पिछले साल इसी अवधि में 8224 अपराध दर्ज हुए थे. इस तुलनात्मक अवधि में अपराधों में 3 प्रतिशत की कमी हुई है. पिछले साल चाकूबाजी की 171 की जगह 102 घटनाएं और हत्या के 54 के बजाय 58 घटनाएं हुई हैं. चाकूबाजी में 40 फीसदी की कमी, हत्या में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. छेड़छाड़/यौन हिंसा में 28 फीसदी, बलात्कार में 8 फीसदी, चोरी में 9 और मारपीट में 3 प्रतिशत की कमी आई है.

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Last Updated : Dec 26, 2024, 9:19 PM IST
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