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सोमवार को पेश होगा कोरबा नगर निगम का बजट, पिछले बजट के कई वादे हैं अधूरे

कोरबा: केंद्र और प्रदेश सरकार के बजट के बाद अब नगर निगम के बजट पेश करने की बारी है. कोरबा नगर निगम का बजट 25 फरवरी को पेश होने जा रहा है. कांग्रेस की महापौर रेणु अग्रवाल के इस कार्यकाल का यह अंतिम बजट होगा. इस बार बजट मार्च के बजाय फरवरी में पेश किया जा रहा है.

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Published : Feb 24, 2019, 9:21 PM IST

कारण साफ है कि, मार्च में लोकसभा चुनाव की तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो जाएंगी, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस लोकलुभावन बजट पेश करना चाहेगी. महापौर के इस कार्यकाल का अंतिम बजट कैसा होगा यह तो 25 फरवरी को मालूम चल पाएगा, लेकिन पिछले बजट में और अब तक के कार्यकाल में निगम ने कितने वादे पूरे किए, कितने अधूरे रहे और कितने बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए, यह जानना बेहद जरूरी है.

वीडियो


अब तक के आंकड़े
वर्ष 2015-16 में महापौर ने अपना पहला बजट 639 करोड़ का पेश किया था. इसके बाद 2016-17 में 700 करोड़, 2017-18 में 739 करोड़ और पिछले बजट यानी 2018-19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया.
इन आंकड़ों से ऐसा लगता है कि, कोरबा नगर निगम में अच्छा खासा विकास हुआ होगा,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. हर बार 600 से 700 करोड़ का बजट पेश करने वाले कोरबा नगर निगम में विकासकारी योजनाओं में 50 फीसदी काम भी नहीं हो पाया है.


दर्जनों योजनाएं नहीं हुईं पूरी
ऐसी दर्जनों योजनाएं और वादे हैं जो बजट पत्र तक ही सिमट कर रह गए. वित्त वर्ष 2018-19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया था आइए आपको बताते हैं कि, इस बजट में पेश किए गए कितने वादे धरातल पर नहीं उतर पाए.


बजट पत्र में सिमट कर रह गई योजनाएं
•महापौर व्यायाम शाला योजना के लिए 30 लाख का आवंटन
• महापौर कन्यादान योजना के लिए 25 लाख का आवंटन
•नंदी स्वान योजना के लिए 50 लाख का आवंटन
•ई लाइब्रेरी के लिए 30 लाख का आवंटन
•बस स्टैंड, चौपाटी, अस्पताल, कॉलेजों में वाई-फाई की सुविधा के लिए 25 लाख का आवंटन
• बिजली बिल भुगतान पर खर्च लिए 4 करोड़ का आवंटन
•चौक चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए 3.5 करोड़ का आवंटन
•महापौर प्रोत्साहन निधि के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•निगम क्षेत्र में चौपाटी निर्माण के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•इनडोर स्टेडियम के लिए 1 करोड़ का आवंटन
•मैथमेटिकल पार्क के लिए 50 लाख का आवंटन
•रूम गड़ा ब्रिज के निर्माण के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•हाईटेक बाजार के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•हाईटेक बसस्टैंड के लिए 10 करोड़ का आवंटन
• म्यूजिकल फाउंटेन एवं लेजर शो के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•साइकल ट्रैक के लिए 50 लाख का आवंटन
•स्क्वायर कोर्ट के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•खेल मैदानों का विकास के लिए 50 लाख का आवंटन
•दर्री बांध से सर्वमंगला पुल के बीच विकास एवं सौंदर्यीकरण कार्य- 20 करोड़ का आवंटन
• मुड़ापार पार तालाब सुंदरीकरण के लिए 2.5 करोड़ का आवंटन

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वादें नहीं हुए पूरे
इन वादों को न तो पूरा किया गया और न ही चौक-चौराहे सुंदर हुए, न बसस्टैंड और बाजार हाईटेक हुए ना कोई मैथमेटिकल पार्क बना पाया, न कोई इनडोर स्टेडियम तैयार हुए. इसके साथ ही रूमगड़ा ब्रिज भी नहीं बना और न ही इंदिरा स्टेडियम में कोई साइकिल ट्रैक या स्क्वायर कोर्ट बन पाया. ना ही म्यूजिकल फाउंटेन देखने को मिला और ना किसी प्रकार का लेजर शो आयोजित हुआ.


कई वादे आज भी हैं अधूरे
ना ही तालाब का सौर्यकरण हुआ और ना चौपाटी का निर्माण हो पाया. अगर बिजली बिल की बात करें तो निगम के ऊपर 1 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है. एक बात समझ से परे है कि, निगम को सामान्य प्रशासन कार्यों में लगे वाहन के लिए 2 करोड़ और सफाई कार्य में लगे वाहन के लिए 1.5 करोड़ का बजट क्यों रखना पड़ा.
इसके अलावा पिछले बजट में एक ही कार्य के लिए 10 तरह की योजना तैयार की गई, जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि इतने पैसे की बर्बादी क्यों.
एक तरह की कई योजनाओं पर एक नजर
•पुष्प वाटिका योजना- 1 करोड़
•उद्यानों का विकास- 2 करोड़
•सर्वमंगला उद्यान का विकास- 4 करोड़
अब आप बताइए कि, उद्यानों का विकास और सर्वमंगला उद्यान का विकास भला दो अलग बातें कैसे हो सकती हैं.
कुछ काम ऐसे भी हैं जिन्हें नगर निगम ने पूरा कर लिया है.
•राता खार बायपास रोड के लिए 10 करोड़ का आवंटन
•गौ माता चौक के लिए 20 लाख का आवंटन
•मणि कंचन केंद्र के लिए 5 करोड़ का आवंटन
•अग्रसेन चौक के लिए 20 लाख आवंटन
•कर्मचारी आवास गृह योजना अभी चल रही है, इसके लिए एक 1 करोड़ रुपये आवंटित हैं. इसके अलावा आप पाइप लाइन के काम के लिए 500 रुपये आवंटित हुए थे जो अधूरा पड़ा है. इसके साथ ही मल्टी लेवल पार्किंग 16 करोड़ जिसमें से 10 करोड डीएमएफ से मिला है.

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निर्दलीय पार्षद ने लगाए आरोप
अप्पू गार्डन कैफिटेरिया के लिए 2 करोड़ और अधिवक्ता संघ भवन 1.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जिनका काम अधूरा है. विपक्ष के निर्दलीय पार्षद शिव अग्रवाल का कहना है कि, 'बजट पेश करना एक प्रथा है. इसलिए कुछ भी पीला-नीला करके 15 साल से इसी तरह बजट पेश किया जा रहा है, लेकिन काम 50 फ़ीसदी भी नहीं होता है'. उन्होंने कहा कि 'एक बार EOW की टीम यहां दबिश दें तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा'.


'हमने गली-मोहल्लों में सड़कें बनाई'
वहीं दूसरी ओर एमआईसी सदस्य और कांग्रेस पार्षद दिनेश सोनी का कहना है कि 'हमने गली-मोहल्लों में सड़क निर्माण किया है. चौक-चौराहों का भी खास ख्याल रखा गया है. उनसे जब पूछा गया कि 'क्यों इतने सारे काम लंबित पड़े हैं और बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए तो उनका कहना है कि 'केंद्र सरकार और प्रदेश की तत्कालीन सरकार से हमें कोई भी मदद नहीं मिली'.

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'बजट की कमी की वजह से काम रहे अधूरे'
उन्होंने कहा कि, 'बार-बार हमारी योजनाओं को लेकर पैसों की दिक्कत आई और इसके लिए प्रदेश की तात्कालीन और केंद्र जिम्मेदार हैं. अगर हमें पैसा मिलता तो हम बजट के वादे पूरे कर देते'. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले बजट में सारे वादे निभाए जाएंगे'.

कारण साफ है कि, मार्च में लोकसभा चुनाव की तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो जाएंगी, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस लोकलुभावन बजट पेश करना चाहेगी. महापौर के इस कार्यकाल का अंतिम बजट कैसा होगा यह तो 25 फरवरी को मालूम चल पाएगा, लेकिन पिछले बजट में और अब तक के कार्यकाल में निगम ने कितने वादे पूरे किए, कितने अधूरे रहे और कितने बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए, यह जानना बेहद जरूरी है.

वीडियो


अब तक के आंकड़े
वर्ष 2015-16 में महापौर ने अपना पहला बजट 639 करोड़ का पेश किया था. इसके बाद 2016-17 में 700 करोड़, 2017-18 में 739 करोड़ और पिछले बजट यानी 2018-19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया.
इन आंकड़ों से ऐसा लगता है कि, कोरबा नगर निगम में अच्छा खासा विकास हुआ होगा,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. हर बार 600 से 700 करोड़ का बजट पेश करने वाले कोरबा नगर निगम में विकासकारी योजनाओं में 50 फीसदी काम भी नहीं हो पाया है.


दर्जनों योजनाएं नहीं हुईं पूरी
ऐसी दर्जनों योजनाएं और वादे हैं जो बजट पत्र तक ही सिमट कर रह गए. वित्त वर्ष 2018-19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया था आइए आपको बताते हैं कि, इस बजट में पेश किए गए कितने वादे धरातल पर नहीं उतर पाए.


बजट पत्र में सिमट कर रह गई योजनाएं
•महापौर व्यायाम शाला योजना के लिए 30 लाख का आवंटन
• महापौर कन्यादान योजना के लिए 25 लाख का आवंटन
•नंदी स्वान योजना के लिए 50 लाख का आवंटन
•ई लाइब्रेरी के लिए 30 लाख का आवंटन
•बस स्टैंड, चौपाटी, अस्पताल, कॉलेजों में वाई-फाई की सुविधा के लिए 25 लाख का आवंटन
• बिजली बिल भुगतान पर खर्च लिए 4 करोड़ का आवंटन
•चौक चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए 3.5 करोड़ का आवंटन
•महापौर प्रोत्साहन निधि के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•निगम क्षेत्र में चौपाटी निर्माण के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•इनडोर स्टेडियम के लिए 1 करोड़ का आवंटन
•मैथमेटिकल पार्क के लिए 50 लाख का आवंटन
•रूम गड़ा ब्रिज के निर्माण के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•हाईटेक बाजार के लिए 3 करोड़ का आवंटन
•हाईटेक बसस्टैंड के लिए 10 करोड़ का आवंटन
• म्यूजिकल फाउंटेन एवं लेजर शो के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•साइकल ट्रैक के लिए 50 लाख का आवंटन
•स्क्वायर कोर्ट के लिए 2 करोड़ का आवंटन
•खेल मैदानों का विकास के लिए 50 लाख का आवंटन
•दर्री बांध से सर्वमंगला पुल के बीच विकास एवं सौंदर्यीकरण कार्य- 20 करोड़ का आवंटन
• मुड़ापार पार तालाब सुंदरीकरण के लिए 2.5 करोड़ का आवंटन

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वादें नहीं हुए पूरे
इन वादों को न तो पूरा किया गया और न ही चौक-चौराहे सुंदर हुए, न बसस्टैंड और बाजार हाईटेक हुए ना कोई मैथमेटिकल पार्क बना पाया, न कोई इनडोर स्टेडियम तैयार हुए. इसके साथ ही रूमगड़ा ब्रिज भी नहीं बना और न ही इंदिरा स्टेडियम में कोई साइकिल ट्रैक या स्क्वायर कोर्ट बन पाया. ना ही म्यूजिकल फाउंटेन देखने को मिला और ना किसी प्रकार का लेजर शो आयोजित हुआ.


कई वादे आज भी हैं अधूरे
ना ही तालाब का सौर्यकरण हुआ और ना चौपाटी का निर्माण हो पाया. अगर बिजली बिल की बात करें तो निगम के ऊपर 1 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है. एक बात समझ से परे है कि, निगम को सामान्य प्रशासन कार्यों में लगे वाहन के लिए 2 करोड़ और सफाई कार्य में लगे वाहन के लिए 1.5 करोड़ का बजट क्यों रखना पड़ा.
इसके अलावा पिछले बजट में एक ही कार्य के लिए 10 तरह की योजना तैयार की गई, जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि इतने पैसे की बर्बादी क्यों.
एक तरह की कई योजनाओं पर एक नजर
•पुष्प वाटिका योजना- 1 करोड़
•उद्यानों का विकास- 2 करोड़
•सर्वमंगला उद्यान का विकास- 4 करोड़
अब आप बताइए कि, उद्यानों का विकास और सर्वमंगला उद्यान का विकास भला दो अलग बातें कैसे हो सकती हैं.
कुछ काम ऐसे भी हैं जिन्हें नगर निगम ने पूरा कर लिया है.
•राता खार बायपास रोड के लिए 10 करोड़ का आवंटन
•गौ माता चौक के लिए 20 लाख का आवंटन
•मणि कंचन केंद्र के लिए 5 करोड़ का आवंटन
•अग्रसेन चौक के लिए 20 लाख आवंटन
•कर्मचारी आवास गृह योजना अभी चल रही है, इसके लिए एक 1 करोड़ रुपये आवंटित हैं. इसके अलावा आप पाइप लाइन के काम के लिए 500 रुपये आवंटित हुए थे जो अधूरा पड़ा है. इसके साथ ही मल्टी लेवल पार्किंग 16 करोड़ जिसमें से 10 करोड डीएमएफ से मिला है.

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निर्दलीय पार्षद ने लगाए आरोप
अप्पू गार्डन कैफिटेरिया के लिए 2 करोड़ और अधिवक्ता संघ भवन 1.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जिनका काम अधूरा है. विपक्ष के निर्दलीय पार्षद शिव अग्रवाल का कहना है कि, 'बजट पेश करना एक प्रथा है. इसलिए कुछ भी पीला-नीला करके 15 साल से इसी तरह बजट पेश किया जा रहा है, लेकिन काम 50 फ़ीसदी भी नहीं होता है'. उन्होंने कहा कि 'एक बार EOW की टीम यहां दबिश दें तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा'.


'हमने गली-मोहल्लों में सड़कें बनाई'
वहीं दूसरी ओर एमआईसी सदस्य और कांग्रेस पार्षद दिनेश सोनी का कहना है कि 'हमने गली-मोहल्लों में सड़क निर्माण किया है. चौक-चौराहों का भी खास ख्याल रखा गया है. उनसे जब पूछा गया कि 'क्यों इतने सारे काम लंबित पड़े हैं और बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए तो उनका कहना है कि 'केंद्र सरकार और प्रदेश की तत्कालीन सरकार से हमें कोई भी मदद नहीं मिली'.

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'बजट की कमी की वजह से काम रहे अधूरे'
उन्होंने कहा कि, 'बार-बार हमारी योजनाओं को लेकर पैसों की दिक्कत आई और इसके लिए प्रदेश की तात्कालीन और केंद्र जिम्मेदार हैं. अगर हमें पैसा मिलता तो हम बजट के वादे पूरे कर देते'. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले बजट में सारे वादे निभाए जाएंगे'.

Intro:केंद्र सरकार के बजट और प्रदेश सरकार के बजट के बाद अब नगर निगम के बजट पेश करने की बारी आ गई है। कोरबा नगर पालिका निगम का बजट 25 फरवरी को पेश होने जा रहा है। कांग्रेस की महापौर रेणु अग्रवाल के कार्यकाल का यह अंतिम बजट होगा। इस बार बजट मार्च के बजाय फरवरी में पेश किया जा रहा है। कारण स्पष्ट है कि मार्च में लोकसभा चुनाव की तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो जाएंगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस लोकलुभावन बजट पेश करना चाहेगी। ये अंतिम बजट कैसा होगा यह तो 25 फरवरी को मालूम चल जाएगा। लेकिन पिछले बजट में और अब तक के कार्यकाल में निगम ने कितने वादे पूरे किए, कितने अधूरे रहे और कितने बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए, यह जानना बेहद जरूरी है।


Body:आंकड़ों से शुरुआत करते हैं:
वर्ष 2015 16 में महापौर ने अपना पहला बजट 639 करोड़ का पेश किया था। इसके बाद 2016-17 में 700 करोड़, 2017-18 में 739 करोड़ और पिछले बजट यानी 2018-19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया था।
इन आंकड़ों से ऐसा लगता है कि कोरबा नगर निगम क्षेत्र काफी विकास कर चुका होगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। हर बार 600 से 700 करोड़ का बजट पेश करने वाली कोरबा नगर निगम 50 फ़ीसदी काम भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। ऐसी दर्जनों योजनाएं और वादे हैं जो बजट पत्र तक ही सिमट कर रह गए।
2018 19 में 673 करोड़ का बजट पेश किया गया था आइए आपको बताते हैं कि इस बजट में पेश किए गए कितने वादे बजट पत्र से बाहर धरातल पर नहीं उतर पाए:
•महापौर व्यायाम शाला योजना- 30 लाख
• महापौर कन्यादान योजना- 25 लाख
•नंदी स्वान योजना- 50 लाख
•ई लाइब्रेरी- 30 लाख
•बस स्टैंड चौपाटी अस्पताल कॉलेजों में वाई-फाई की सुविधा- 25 लाख
• बिजली बिल भुगतान पर खर्च- 4 करोड़
•चौक चौराहों का सौंदर्यीकरण- 3.5 करोड़
•महापौर प्रोत्साहन निधि- 3 करोड़
•निगम क्षेत्र में चौपाटी निर्माण- 3 करोड़
•इनडोर स्टेडियम- 1 करोड़
•मैथमेटिकल पार्क- 50 लाख
•रूम गड़ा ब्रिज निर्माण- 2 करोड़
•हाईटेक बाजार- 3 करोड़
•हाईटेक बस स्टैंड- 10 करोड़
• म्यूजिकल फाउंटेन एवं लेजर शो- 2 करोड़
•साइकल ट्रैक- 50 लाख
•स्क्वायर कोर्ट- 2 करोड़
•खेल मैदानों का विकास- 50 लाख
•दर्री बांध से सर्वमंगला पुल के बीच विकास एवं सौंदर्यीकरण कार्य- 20 करोड़
• मुड़ापार पार तालाब सुंदरीकरण- 2.5 करोड़

इन किए गए वादों में ना तो चौक-चौराहे सुंदर हुए, ना बस स्टैंड हाईटेक हुए और ना बाजार हाईटेक हुए। ना कोई मैथमेटिकल पार्क बना पाया, न कोई इनडोर स्टेडियम तैयार हुआ। ना रूमगड़ा ब्रिज बन पाया और न ही इंदिरा स्टेडियम में कोई साइकिल ट्रैक या स्क्वायर कोर्ट बन पाया। ना ही म्यूजिकल फाउंटेन देखने को मिला और ना किसी प्रकार का लेजर शो आयोजित हुआ। ना ही तालाब सुंदर हुई और ना चौपाटी का निर्माण हो पाया। जहां तक बिजली बिल की बात है तो निगम के ऊपर 1 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है।
एक बात समझ से परे है कि निगम को सामान्य प्रशासन कार्यों में लगे वाहन के लिए 2 करोड़ और सफाई कार्य में लगे वाहन के लिए 1.5 करोड़ का बजट क्यों रखना पड़ा इसके अलावा पिछली बजट में एक ही कार्य के लिए 10 तरह की योजना तैयार किया गया जो सोचने पर मजबूर करती हैं कि इतने पैसे की बर्बादी क्यों? जैसे:
•पुष्प वाटिका योजना- 1 करोड़
•उद्यानों का विकास- 2 करोड़
•सर्वमंगला उद्यान का विकास- 4 करोड़
अब आप बताइए कि उद्यानों का विकास और सर्वमंगला उद्यान का विकास भला दो अलग बातें कैसे हो सकती हैं।

कुछ कार्य है जो निगम द्वारा पूर्ण कर लिए गए
•राता खार बायपास रोड-10 करोड़
•गौ माता चौक- 20 लाख
•मणि कंचन केंद्र- 5 करोड़
•अग्रसेन चौक- 20 लाख
•कर्मचारी आवास गृह योजना अभी चल रही है- 1 करोड़
इसके अलावा आप पाइप लाइन का काम 500 करोड़ जो अधूरा पड़ा है। मल्टी लेवल पार्किंग 16 करोड़ जिसमें से 10 करोड डीएमएफ से मिला है।
अप्पू गार्डन कैफिटेरिया 2 करोड़ और अधिवक्ता संघ भवन 1.5 करोड़ भी अधूरा पड़ा है।
विपक्ष के निर्दलीय पार्षद शिव अग्रवाल का कहना है बजट पेश करना एक प्रथा है। इसलिए कुछ भी पीला नीला करके 15 साल से इसी तरह बजट पेश किया जा रहा है। लेकिन काम 50 फ़ीसदी भी नहीं होता है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि एक बार EOW वाले यहां अपनी दबिश दें तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

बाइट- शिव अग्रवाल,पार्षद, निर्दलीय

वहीं दूसरी ओर एमआईसी सदस्य और कांग्रेस पार्षद दिनेश सोनी का कहना है कि हमने गली मोहल्लों में सड़क निर्माण किया है। चौक चौराहों का भी खास ख्याल रखा गया है। उनसे जब पूछा गया कि क्यों इतने सारे काम लंबित पड़े हैं और बजट पत्र से बाहर नहीं आ पाए, दिनेश सोनी ने बताया कि केंद्र सरकार और प्रदेश की तत्कालीन सरकार से हमें कोई भी मदद नहीं मिली। बार-बार हमारी योजनाओं को लेकर पैसों की दिक्कत आई। जिसके लिए प्रदेश और केंद्र जिम्मेदार हैं। अगर हमें पैसा मिलता तो हम बजट के वादे पूरे कर देते। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले बजट में सारे वादे निभाए जाएंगे।

बाइट दिनेश सोनी, एमआईसी सदस्य और कांग्रेस पार्षद


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