कोरबा: कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नियोजित जीवनदीप समिति के अधीन कार्यरत कर्मचारी मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों ने बीते वर्ष के दिसंबर महीने में भी अनिश्चितकालीन प्रदर्शन किया था. तब सिविल सर्जन के लिखित आश्वासन पर आंदोलन समाप्त हुआ था. उनकी मांगें अब भी पूरी नहीं हुई हैं. वहीं, कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है.
आलम यह है कि ओपीडी की पर्ची तक काटने के लिए कोई कर्मचारी काउंटर पर मौजूद नहीं है. डाटा एंट्री ऑपरेटर, वाहन चालक से लेकर सफाईकर्मियों तक के पदों पर जीवनदीप समिति के कर्मचारी काम करते हैं. जिनकी संख्या 76 है. यह सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में विगत कई वर्षों से कार्यरत हैं, लेकिन इन्हें नियमित नहीं किया गया है. इसके लिए कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं.
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उलझी हुई है व्यवस्था
दरअसल, जिला अस्पताल को हाल ही में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में परिवर्तित किया गया है. डीन की पदस्थापना भी हुई, लेकिन सामान्य तौर पर मेडिकल कॉलेज के लिए निर्धारित मानदंडों के तहत काम नहीं हुआ. जिला अस्पताल में पूर्व से ही जीवनदीप समिति प्रभावशील है. इसके सचिव सिविल सर्जन होते हैं, जबकि अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं.
नियमानुसार मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व में आते ही इस तरह की समस्त समिति एवं उसके फंड मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीन आने चाहिए. उलझी हुई व्यवस्था के कारण अभी भी यह तमाम समितियां मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीन नहीं हैं. जिससे मेडिकल कॉलेज को निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं है.
अब कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दूरदराज के खासतौर पर निचले तबके के लोग इलाज के लिए आते हैं. इलाज के लिए भर्ती भी वहीं होते हैं, इन सब में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज काफी परेशानी में हैं.
भर्ती में प्राथमिकता की मांग
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 545 विभिन्न पदों पर भर्ती प्रस्तावित है. जिसके बाद जीवनदीप समिति के कर्मचारियों को कार्यमुक्त भी किया जा सकता है. अब यह कर्मचारी नई भर्ती में भी प्राथमिकता मांग रहे हैं. जिसके लिए वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन वाईडी बड़गइया ने दिसंबर माह में जीवनदीप समिति के अधीन नियुक्त सभी कर्मचारियों की मांग के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा था.
डीन वाईडी बड़गइया ने कहा था कि कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं जो 5 हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन में 12 घंटे ड्यूटी देते हैं. वह अंशकालिक नहीं पूर्णकालिक हैं. उन्हें काफी पहले ही कम से कम कलेक्टर दर मिलना चाहिए था. लेकिन वह सभी जीवनदीप समिति के अधीन आते हैं और उनकी नियुक्ति सिविल सर्जन ने की थी. इसलिए कर्मचारियों के वेतन वृद्धि या अन्य मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार मुझे नहीं है. इसके लिए हमने कलेक्टर को पत्र लिखा है.