कोरबा: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के 2 साल पूरे हो गए हैं. कोरबा जिले के प्रभारी और राज्य के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने ETV भारत से खास बातचीत में कई मुद्दों पर बेबाक बातचीत की. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर भी चर्चा की. टेकाम ने कहा कि सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच कोई परेशानी नहीं है.
सवाल- 1
मंत्री के तौर पर इन 2 वर्षों में व्यक्तिगत तौर पर आपकी और आपके विभाग की क्या उपलब्धियां रहीं?
जवाब- भूपेश सरकार ने पिछले 2 वर्षों में सरकार गठन के बाद कई काम किए हैं, जिसकी गूंज न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देशभर में है. हमने कई वादे पूरे किए हैं. देश में अन्य राज्य के मंत्री भी छत्तीसगढ़ की तरफ देख रहे हैं. हम जल्द ही 14 हजार 580 नियमित शिक्षकों की भर्ती करने जा रहे हैं. अब हमारे विभाग में कोई भी कर्मी नहीं रहेगा. 2 साल की सेवा पूरी करने वालों का भी हमने संविलियन कर लिया है. अब सभी शिक्षक कहलाएंगे.
अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूल खोले जा रहे हैं. जिसके माध्यम से निचले तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी. प्रदेश में टैलेंट की कमी नहीं है. बच्चों में टैलेंट तो है, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलता. जब अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत हुई, तब बड़ी तादाद में आवेदन मिलने लगे. सीएम से चर्चा की गई. अब इसे ब्लॉक स्तर पर भी खोले जाने की योजना है. बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए लोग शहर में अपना ट्रांसफर कराना चाहते हैं, लेकिन जब ब्लॉक में ही बेहतर शिक्षा मिलेगी. तब ऐसे कर्मचारी भी ट्रांसफर नहीं कराएंगे. जहां हैं, वहीं काम करेंगे.
सवाल-2
कोरोना काल में शिक्षा की एक बड़ी खाई पैदा हुई है. ऑनलाइन शिक्षा ग्रामीण अंचलों तक नहीं पहुंच पा रही?
जवाब- कोरोनाकाल शुरू होते ही सबसे पहले स्कूल और कॉलेज बंद हो गए. हमने सीएम से बात किया कि बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी बड़ा संकट था. तब सीएम और हमने मिलकर पढ़ई तुंहर दुआर योजना की शुरुआत की. 7 अप्रैल को योजना शुरू हुई और पंजीयन शुरू हुआ. अबतक 22 लाख बच्चे पंजीयन करा चुके हैं. जबकि 2 लाख शिक्षकों ने भी अपना पंजीयन कराया है. कोशिश यही है कि बच्चों तक शिक्षा पहुंचे.
जहां नेटवर्क नहीं है, वहां ग्रामीण अंचलों में पढ़ई तुंहर पारा, बुलठू के बोल जैसी योजनाएं शुरू की गई. कई तरह के और भी नवाचार हुए हैं. किसी ने साइकिल से पढ़ाई शुरू की तो किसी ने एक वैन को ही क्लास में परिवर्तित कर दिया. इस तरह से शिक्षा को सुचारू रुप से बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है.
सवाल-3
छत्तीसगढ़ के ज्यादातर इलाके आदिवासी क्षेत्र हैं, या पिछड़े हुए हैं. ऐसे में उन बच्चों तक पढ़ाई पहुंचाने के लिए कौन से बड़े प्रयास किए गए?
जवाब- छत्तीसगढ़ में ट्राइबल क्षेत्र हैं. कई इलाके पिछड़े भी हैं. इसलिए हमने कई स्कूल खोले हैं. स्कूलों को अपग्रेड भी किया गया है. जरूरत के अनुसार और भी काम किए जा रहे हैं. अंग्रेजी माध्यम स्कूल एक बड़ा प्रयास है. ऐसे कई विभाग हैं, जहां थ्रू आउट अंग्रेजी में काम किए जाते हैं. फिर चाहे वह विज्ञान हो, पर्यावरण हो या लॉ का क्षेत्र. अंग्रेजी की जानकारी तो हमारे बच्चों को होती है, लेकिन वह धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल पाते. इसलिए वह पिछड़ जाते हैं. अंग्रेजी माध्यम स्कूल इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे और पिछड़ापन मिटाएंगे.
सवाल-4
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पालक संघ काफी मुखर रहा है. सीधा आरोप है कि शिक्षा विभाग निजी स्कूल के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है?
जवाब- इस तरह की शिकायतें लगातार बनी हुईं हैं. ज्यादातर शिकायतें फीस बढ़ोतरी को लेकर होती हैं. अबतक फीस नियंत्रण के लिए कोई कानून नहीं था. सीएम के साथ चर्चा कर हमने एक कानून बनाया है. विधानसभा में कानून पारित किया गया है. इससे निजी स्कूल के द्वारा बढ़ी हुई फीस पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा. विधायक हों, जनप्रतिनिधि हों या सामान्य पालक सभी शिकायत करते हैं कि फीस बहुत ज्यादा है. फीस माफ करवा दीजिए. इस कानून से परिस्थितियां सुधरेंगी. एक समिति होगी, जो स्कूलों का संचालन करेंगी. जिसमें स्कूल प्रबंधन के लोग होंगे. , पालक होंगे और सरकार के लोग रहेंगे. कलेक्टर द्वारा नामित सदस्य भी शामिल होंगे. सभी मिलजुल कर फीस तय करेंगे. स्कूल में मिल रही सुविधाओं के अनुरूप ही इसका खाका तैयार होगा. समिति फीस का निर्धारण करेगी.
सवाल-5
क्या आने वाले समय में ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि आप निजी स्कूलों की लगाम खींच कर रखेंगे?
जवाब- देखिए शिकायत कौन करता है. शिकायत पालक लेकर आते हैं. जब पालक ही स्कूल संचालन करने वाली समिति में शामिल होंगे तब शिकायतों का आना कम हो जाएगा. सभी मिलजुलकर फीस तय करेंगे कि किस स्कूल की कितनी फीस होनी चाहिए. यदि कोई स्कूल फीस बढ़ाना भी चाहती है तो वह जिला स्तर की समिति के समक्ष प्रस्ताव रखेगी. समिति निर्णय लेगी कि वास्तव में फीस बढ़ोतरी की जाए या फिर नहीं.
सवाल- 6
जिले की बात करें तो शिक्षा विभाग और वन विभाग की लगातार शिकायतें हैं. अफसरों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. जिसके कारण anti-incumbency सरकार के खिलाफ बन रही है?
जवाब- शिक्षा विभाग का अमला बेहद बड़ा है. स्वाभाविक बात है कि एक ही स्थान पर कई लोग जाना चाहते होंगे. ऐसे में ट्रांसफर कई बार संभव नहीं हो पाते. फिलहाल तो ट्रांसफर बंद हैं. लेकिन जब भी ट्रांसफर होते हैं, एक तय अनुपात में होता है. शिक्षा विभाग की अन्य शिकायतें हैं. किसी अधिकारी की कोई शिकायत है, तो उसकी जांच की जाएगी. जांच में अगर सही पाया जाता है तो कार्रवाई भी करेंगे.
सवाल-7
सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच शीत युद्ध की चर्चाएं हैं. ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला प्रदेश में गरमाया हुआ है. आप क्या सोचते हैं?
जवाब- देखिए यह सब चर्चा आई कहां से, यह चर्चा करता कौन है. कल सीएम और स्वास्थ्य मंत्री दोनों साथ में ही थे. बलरामपुर हो या सूरजपुर सभी स्थानों पर साथ-साथ गए थे. मिलकर खाना भी खाया. कहीं भी कोई परेशानी वाली बात नहीं है. सब कुछ सामान्य है.
सवाल- 8
ढाई-ढाई साल के सीएम के फार्मूले की चर्चा शुरु कहां से हो रही है. आप मंत्रिमंडल में हैं, आपको किस तरह की जानकारी है?
जवाब- मुझे नहीं पता कि यह चर्चा शुरु कहां से हो रही है, ऊपर क्या चर्चा हुई है या किसी को भी नहीं पता. अब इसमें सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि यह मीडिया द्वारा प्रचारित बातें हैं. बात जहां से शुरू हुई और जिसने कहा, उससे पूछना चाहिए कि यह बात कहां से शुरू हो रही है.
सवाल-9
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी हो रही है. एक आंदोलन दिल्ली में भी चल रहा है. किसानों के समर्थन में कांग्रेस आंदोलन में उस तरह से शामिल नहीं है, जैसा कि विरोध होना चाहिए?
जवाब- किसानों को छत्तीसगढ़ में उनके ऊपज से अधिक कीमत मिल रही है. समर्थन मूल्य के अलावा भी हम किसानों को और ज्यादा पैसे दे रहे हैं. इसलिए प्रदेश के किसान आंदोलित नहीं हैं. ट्राइबल क्षेत्र है. किसानों को यहां ज्यादा जरूरत है. बीजेपी कहती है कि उन्होंने किसानों के हित में यह बिल लाया है. अगर हित में है बिल तो फिर किसान आंदोलित क्यों है?
MSP को लेकर यह लड़ाई है. बीजेपी कहती है 'एक देश, एक बाजार' ठीक है. अच्छी बात है. लेकिन फिर एक कीमत की व्यवस्था भी लागू होनी चाहिए. छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य के अलावा भी हम 2500 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को दे रहे हैं. यह व्यवस्था देश के हर राज्य में लागू होनी चाहिए. अगर यह व्यवस्था लागू हो गई तो किसान आंदोलन ही नहीं करेंगे. जहां किसानों को उनकी उपज का दाम नहीं मिल रहा आंदोलन वहां हो रहे हैं.
सवाल- 10
प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने आरोप लगाया है कि अपने कैरियर में उन्होंने इतनी भ्रष्ट सरकार कभी नहीं देखी?
जवाब- जब ननकीराम गृह मंत्री थे तब मैं भी विधानसभा का सदस्य था. एक सवाल के जवाब में विधानसभा में ही उन्होंने खुद कहा था कि टीआई बिना घूस लिए कोई काम नहीं करता. एक मंत्री के तौर पर उन्होंने यह बयान दिया था. इसलिए अब उनके बातों के विषय में मैं इससे ज्यादा क्या कहूं.
सवाल-11
राम वन गमन पथ कांग्रेस सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. बस्तर के आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं, क्या कारण है?
जवाब- राम का चरित्र बेहद व्यापक है. छत्तीसगढ़ में वह अपने वनवास के दौरान सर्वाधिक समय तक रहे थे. राम का व्यक्तित्व लोगों के मानस पटल पर स्थाई रूप से रहे इसलिए हमने राम वनगमन पथ की योजना बनाई है. यह महत्वकांक्षी योजना है. बस्तर के वर्तमान हालात कि मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन राम का व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि वह सभी की संस्कृति में रचे-बसे हैं. यहां के लोगों के दिन की शुरुआत भी राम-राम से होती है. जब एक व्यापारी सामान तौलता है, तब भी वह राम का ही नाम लेता है. इस बारे में कोई विरोधाभास नहीं होना चाहिए.
सवाल- 12
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कहते हैं कि राम वन गमन पथ की योजना केंद्र सरकार की थी, जिसे प्रदेश सरकार ने अडॉप्ट किया है?
जवाब- रमन सिंह जी मुख्यमंत्री थे, तब केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी. तब उन्हें यह ख्याल नहीं आया. अब जब कांग्रेस इस योजना पर काम कर रही है, तब वह कह रहे हैं कि यह केंद्र की योजना है. यह लोग राम के नाम पर सिर्फ राजनीति करते हैं और कोई काम नहीं करते. चुनाव जीतना, चंदा एकत्र करना ही इन्होंने किया है. छत्तीसगढ़ में राम शबरी के भी हैं, वनवासी के भी हैं. कौशल्या माता मंदिर भी बनेगा साउथ से लेकर नॉर्थ तक राम का नाम देश को एक सूत्र में पिरोता है. कोरिया से यात्रा भी शुरू हो रही है.
सवाल-13
2 साल आपकी सरकार ने पूरे कर लिए हैं. आने वाले 3 वर्षों में आपके पास विकास का क्या रोडमैप है?
जवाब- छत्तीसगढ़ में विकास का जो रोडमैप है. वह सभी को दिख रहा है. आने वाले वर्षों में भी हम किसानों की बेहतरी, बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का काम करेंगे.आप देख रहे हैं कि कोरोनाकाल में देश में मंदी का माहौल है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसका असर नहीं है. फिर चाहे वह गोधन न्याय योजना हो राजीव न्याय योजना हो या किसानों की धान खरीदी हो. तेंदू पत्ते का अधिक दाम मिलना हो. यहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है. आर्थिक तौर पर लोग मजबूत हुए हैं. इनका पैसा जेब से निकलकर मार्केट में जा रहा है. बाजारों में रौनक बनी हुई है. भूपेश सरकार के डेवलपमेंट का मॉडल मशहूर हो रहा है. भूपेश बघेल का सपना है कि छत्तीसगढ़ को मॉडल के रूप में डेवलप किया जाए. आने वाले वर्षों में इसी दिशा में काम किया जाएगा.