ETV Bharat / state

कोरबा: हवा के साथ ही ऊर्जाधानी के जल स्त्रोत भी हो रहे प्रदूषित

कोरबा के राखड़ डैम से निकलने वाली राख खुलेआम नदियों में बहाई जा रही है. इससे ग्रामीणों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

कोरबा के नदी में राखड़ डेम की राख
author img

By

Published : Nov 16, 2019, 3:26 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 3:58 PM IST

कोरबा: पावर प्लांट की चिमनी से निकलने वाली धुएं से जहां हवा में जहर घुल रहा है. वहीं राखड़ डैम से भी खुलेआम नदियों में राख बहाई जा रही है और तो और पर्यावरण संरक्षण मंडल को इस बात की खबर तक नहीं है.

कोरबा के नदी में राखड़ डेम की राख

कटघोरा विकासखंड के डिंडोलभाठा गांव में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (CSEB) का पश्चिम पावर प्लांट राखल डैम के पास स्थित है. डैम के पास ही हसदेव की सहायक नदी अहिरन बहती है. यहां बीते 1 महीने से अहिरान नदी में राख छोड़ा जा रहा है. नदी में 4 से 5 इंच मोटी राखड़ की परत जम चुकी है. जिससे जल स्त्रोत प्रदूषित हो रहा है.

आसपास के ग्रामीण निस्तारी के लिए पूरी तरह से इस नदी पर निर्भर हैं. नदी में राख बहने से ग्रामीणों के सामने निस्तारी की समस्या हो गई है.

प्लांट की राखड़ नदी में डंप
CSEB प्रबंधन ने 500 मेगावाट पावर प्लांट संयंत्र से उत्सर्जित होने वाली राख को डंप करने के लिए 5 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी. इसी जमीन पर राखड़ डैम का निर्माण किया गया है. पंडरीपानी, बिरवट, छिरहुट गांव की जमीन अधिग्रहीत की गई थी.

जमीन लेने के बाद यहां से विस्थापित हुए ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर का आश्वासन दिया गया था, लेकिन प्रबंधन की मनमानी ने ग्रामीणों का जीवन और भी मुश्किल बना दिया है.

राख छोड़ने से हसदेव नदी प्रदूषित
ग्रामीणों ने बताया कि CSEB प्रबंधन को कई बार इन परिस्थितियों से अवगत कराया गया है. लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है, न पावर प्लांट नदी में राख छोड़ना बंद कर रहा है.

नियमों का नहीं होता पालन
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जारी निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्रों को राखड़ बांध के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करना होता है, लेकिन इस नियम का पालन भी नहीं किया जा रहा है.

कोरबा: पावर प्लांट की चिमनी से निकलने वाली धुएं से जहां हवा में जहर घुल रहा है. वहीं राखड़ डैम से भी खुलेआम नदियों में राख बहाई जा रही है और तो और पर्यावरण संरक्षण मंडल को इस बात की खबर तक नहीं है.

कोरबा के नदी में राखड़ डेम की राख

कटघोरा विकासखंड के डिंडोलभाठा गांव में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (CSEB) का पश्चिम पावर प्लांट राखल डैम के पास स्थित है. डैम के पास ही हसदेव की सहायक नदी अहिरन बहती है. यहां बीते 1 महीने से अहिरान नदी में राख छोड़ा जा रहा है. नदी में 4 से 5 इंच मोटी राखड़ की परत जम चुकी है. जिससे जल स्त्रोत प्रदूषित हो रहा है.

आसपास के ग्रामीण निस्तारी के लिए पूरी तरह से इस नदी पर निर्भर हैं. नदी में राख बहने से ग्रामीणों के सामने निस्तारी की समस्या हो गई है.

प्लांट की राखड़ नदी में डंप
CSEB प्रबंधन ने 500 मेगावाट पावर प्लांट संयंत्र से उत्सर्जित होने वाली राख को डंप करने के लिए 5 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी. इसी जमीन पर राखड़ डैम का निर्माण किया गया है. पंडरीपानी, बिरवट, छिरहुट गांव की जमीन अधिग्रहीत की गई थी.

जमीन लेने के बाद यहां से विस्थापित हुए ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर का आश्वासन दिया गया था, लेकिन प्रबंधन की मनमानी ने ग्रामीणों का जीवन और भी मुश्किल बना दिया है.

राख छोड़ने से हसदेव नदी प्रदूषित
ग्रामीणों ने बताया कि CSEB प्रबंधन को कई बार इन परिस्थितियों से अवगत कराया गया है. लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है, न पावर प्लांट नदी में राख छोड़ना बंद कर रहा है.

नियमों का नहीं होता पालन
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जारी निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्रों को राखड़ बांध के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करना होता है, लेकिन इस नियम का पालन भी नहीं किया जा रहा है.

Intro:कोरबा। हवा के साथ ही उर्जा धानी के जलस्त्रोत भी प्रदूषण की चपेट में हैं। पावर प्लांट की चिमनी से निकलने वाले धुएं से जहां हवा में जहर घुल रहा है, वहीं राखड़ डेम से भी खुलेआम नदियों में राख बहाया जा रहा है। हैरानी वाली बात यह भी है कि पर्यावरण संरक्षण मंडल को इस बात की खबर ही नहीं है।
जिले के कटघोरा विकासखंड के ग्राम डिंडोलभाठा में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल(CSEB) पश्चिम पावर प्लांट कर राखल डेम स्थापित है। डेम के करीब से ही हसदेव की सहायक नदी अहिरन बहती है। यहां पिछले लगभग 1 महीने से अहिरान नदी में राख छोड़ा जा रहा है। नदी में 4 से 5 इंच मोटी राखड की परत जम चुकी है। जल स्त्रोत भीषण प्रदूषण के चपेट में है।
बता दें कि आसपास के ग्रामीण निस्तारी के लिए पूरी तरह से इसी नदी पर निर्भर हैं। नदी में राख बहने से ग्रामीणों के समक्ष निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो गयी है


Body:CSEB प्रबंधन में 500 मेगावाट पावर प्लांट संयंत्र से उत्सर्जित होने वाले राख का डंप करने के लिए 5 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी। इसी जमीन पर राखड़ डेम का निर्माण किया गया हैं। पंडरीपानी, बिरवट, छिरहुट आदि गांव की जमीन अदिग्रहीत की गई थी।
जमीन लेने के बाद यहां से विस्थापित हुए ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराना प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है। लेकिन इसके विपरीत प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों का जीवन और भी मुश्किल बना दिया गया है। डिंडोलभाठा राखड़ डेम से अक्सर इस तरह की शिकायत बनी रहती है।


Conclusion:ग्रामीणों ने बताया कि CSEB प्रबंधन को कई बार इन परिस्थितियों से अवगत कराया गया है ल। लेकिन इसका कोई असर नहीं होता। ना पावर प्लांट नदी में राख छोड़ना बंद करता है। ना ही जिम्मेदार अफसर कार्रवाई करते हैं। अहिरन हसदेव की सहायक नदी है। इसलिए यदि आहिरन नदी में राख छोड़ा जा रहा है, तो इसके जरिए हसदेव नदी को भी प्रदूषित होने से नहीं बचाया जा सकेगा।

नियमों का कभी नहीं होता पालन
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जारी निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्रों को राखड़ बांध के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करना होता है। लेकिन इस नियम का पालन भी नहीं किया जाता। राखड़ बांध के किनारे कभी भी पौधरोपण नहीं किया जाता। डेम के लिए इस तरह के कई नियम हैं। जिनका पालन करवाने में पर्यावरण संरक्षण मंडल में फेल साबित होता रहा है। इसके कारण ही पावर प्लांट लगातार मनमानी करते हैं। जिससे प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है।

बाइट। ग्रामीण
प्रकाश दास मानिकपुरी चेक शर्ट में
सुरेश कुमार यादव बनियान पहने हुए

बाइट
राजेंद्र वासुदेव वैज्ञानिक, पर्यावरण समरक्षण, मंडल कोरबा
Last Updated : Nov 16, 2019, 3:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.