कोरबा: पावर प्लांट की चिमनी से निकलने वाली धुएं से जहां हवा में जहर घुल रहा है. वहीं राखड़ डैम से भी खुलेआम नदियों में राख बहाई जा रही है और तो और पर्यावरण संरक्षण मंडल को इस बात की खबर तक नहीं है.
कटघोरा विकासखंड के डिंडोलभाठा गांव में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (CSEB) का पश्चिम पावर प्लांट राखल डैम के पास स्थित है. डैम के पास ही हसदेव की सहायक नदी अहिरन बहती है. यहां बीते 1 महीने से अहिरान नदी में राख छोड़ा जा रहा है. नदी में 4 से 5 इंच मोटी राखड़ की परत जम चुकी है. जिससे जल स्त्रोत प्रदूषित हो रहा है.
आसपास के ग्रामीण निस्तारी के लिए पूरी तरह से इस नदी पर निर्भर हैं. नदी में राख बहने से ग्रामीणों के सामने निस्तारी की समस्या हो गई है.
प्लांट की राखड़ नदी में डंप
CSEB प्रबंधन ने 500 मेगावाट पावर प्लांट संयंत्र से उत्सर्जित होने वाली राख को डंप करने के लिए 5 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी. इसी जमीन पर राखड़ डैम का निर्माण किया गया है. पंडरीपानी, बिरवट, छिरहुट गांव की जमीन अधिग्रहीत की गई थी.
जमीन लेने के बाद यहां से विस्थापित हुए ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर का आश्वासन दिया गया था, लेकिन प्रबंधन की मनमानी ने ग्रामीणों का जीवन और भी मुश्किल बना दिया है.
राख छोड़ने से हसदेव नदी प्रदूषित
ग्रामीणों ने बताया कि CSEB प्रबंधन को कई बार इन परिस्थितियों से अवगत कराया गया है. लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है, न पावर प्लांट नदी में राख छोड़ना बंद कर रहा है.
नियमों का नहीं होता पालन
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जारी निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्रों को राखड़ बांध के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करना होता है, लेकिन इस नियम का पालन भी नहीं किया जा रहा है.