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SPECIAL: शिकायत का नहीं हो रहा है समाधान, हेल्प डेस्क लगाकर निभाई जा रही है औपचारिकता

कोरोना काल के पहले प्रशासन ने दूरदराज से आए लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सभी विभागों में हेल्प डेस्क बनाया था. दावा किया गया था कि ऐसे व्यक्ति जो आवेदन लिखने में सक्षम नहीं हैं, उनके आवेदन लिखने के लिए कर्मचारी तैनात रहेंगे, लेकिन अनलॉक के बाद भी यह हेल्पडेस्क सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है.

government Office of korba
नो हेल्पडेस्क
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Published : Dec 23, 2020, 6:28 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 6:53 PM IST

कोरबा: अनलॉक की प्रक्रिया के बाद भी जन शिकायत निवारण प्रणाली का बेहद बुरा हाल है. लोग दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों से जिला मुख्यालय तक का सफर पूरा करते हैं. वह इस उम्मीद में मुख्यालय पहुंचते हैं कि उनकी शिकायतों का निराकरण हो जाएगा. सरकारी अफसर भी मीटिंग करते हैं, हर हफ्ते समय सीमा की बैठक भी होती है. जिला स्तर के सभी 24 से ज्यादा विभागों ने जनता की शिकायतों के निराकरण के लिए हेल्प डेस्क भी बनाया है, लेकिन बात जब काम करने की आती है तो सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं. लोग आवेदन जमा करते रहते हैं और शिकायतों का पुलिंदा बढ़ता रहता है.

महज औपचारिकता के लिए लगाई गई है हेल्पडेस्क ?

आवेदन लिखने तक की सुविधा देने का था दावा

कोरोना काल के पहले प्रशासन ने दूरदराज से आए लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सभी विभागों में हेल्प डेस्क बनाया था. दावा किया गया था कि ऐसे व्यक्ति जो आवेदन लिखने में सक्षम नहीं है, उनके आवेदन लिखने के लिए कर्मचारी तैनात रहेंगे, इस तरह विभाग हर छोटी से छोटी शिकायत स्वीकार करेंगे और जल्द इन शिकायतों का निराकरण होगा.

पढ़ें-कटघोरा: बेजा कब्जा को लेकर दो पक्षों में जमकर बवाल, थाने पहुंचे मोहल्ले के लोग

कोरोना काल की वजह से यहीं व्यवस्था अब अधिकारियों के नियमित कार्यशैली में शामिल हो चुकी है. अनलॉक होने के बाद भी यह हेल्पडेस्क सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है. विभाग अपने-अपने कार्यालयों के सामने हेल्पडेस्क का एक पोस्टर चस्पा कर सिर्फ जिम्मेदारी पूरी कर रहा है.

आदिवासी बाहुल्य जिला होने की वजह से जिम्मेदारी ज्यादा

कोरबा जिला संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल ट्राइबल जिलों में शामिल है. यहां विशेष पिछड़ी जनजाति के आदिवासी भी निवास करते हैं. कई बार ऐसा होता है, जब वनांचल क्षेत्रों से लोग लंबा सफर तय कर मुख्यालय तक पहुंचते हैं, लेकिन उनकी शिकायतों का निराकरण करने में महीनों बीत जाते हैं. वह आवेदन लेकर दर-दर भटकते रहते हैं.

पढ़ें-SPECIAL: कोरबा के जिस खाद कारखाने की नींव इंदिरा गांधी ने रखी थी, उसे केंद्र सरकार ने किया नीलाम

राजस्व न्यायालयों में पेंडिंग केस की भरमार

सबसे ज्यादा शिकायती आवेदन राजस्व विभाग को प्राप्त होते हैं. जहां सीमांकन, बटांकन, जमीन संबंधी विवाद, जाति, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र सरीखे कई ऐसे काम होते हैं. जिनके लिए बड़ी तादाद में लोग आवेदन लगाते हैं. कोरोना काल में कलेक्टर से लेकर नायब तहसीलदार तक के न्यायालयों में पेंडिंग आवेदनों की संख्या बढ़ गई है. जिसकी वजह से लोग महत्वपूर्ण प्रमाण पत्रों के लिए भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

जिले के राजस्व अधिकारियों के पास लंबित आवेदनों की स्थिति-

अधिकारीकुल आवेदननिराकृतलंबित
कलेक्टर74439705
SDM कोरबा492109382
SDM कटघोरा1163086
SDM पोड़ी911378

कोरबा: अनलॉक की प्रक्रिया के बाद भी जन शिकायत निवारण प्रणाली का बेहद बुरा हाल है. लोग दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों से जिला मुख्यालय तक का सफर पूरा करते हैं. वह इस उम्मीद में मुख्यालय पहुंचते हैं कि उनकी शिकायतों का निराकरण हो जाएगा. सरकारी अफसर भी मीटिंग करते हैं, हर हफ्ते समय सीमा की बैठक भी होती है. जिला स्तर के सभी 24 से ज्यादा विभागों ने जनता की शिकायतों के निराकरण के लिए हेल्प डेस्क भी बनाया है, लेकिन बात जब काम करने की आती है तो सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं. लोग आवेदन जमा करते रहते हैं और शिकायतों का पुलिंदा बढ़ता रहता है.

महज औपचारिकता के लिए लगाई गई है हेल्पडेस्क ?

आवेदन लिखने तक की सुविधा देने का था दावा

कोरोना काल के पहले प्रशासन ने दूरदराज से आए लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सभी विभागों में हेल्प डेस्क बनाया था. दावा किया गया था कि ऐसे व्यक्ति जो आवेदन लिखने में सक्षम नहीं है, उनके आवेदन लिखने के लिए कर्मचारी तैनात रहेंगे, इस तरह विभाग हर छोटी से छोटी शिकायत स्वीकार करेंगे और जल्द इन शिकायतों का निराकरण होगा.

पढ़ें-कटघोरा: बेजा कब्जा को लेकर दो पक्षों में जमकर बवाल, थाने पहुंचे मोहल्ले के लोग

कोरोना काल की वजह से यहीं व्यवस्था अब अधिकारियों के नियमित कार्यशैली में शामिल हो चुकी है. अनलॉक होने के बाद भी यह हेल्पडेस्क सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है. विभाग अपने-अपने कार्यालयों के सामने हेल्पडेस्क का एक पोस्टर चस्पा कर सिर्फ जिम्मेदारी पूरी कर रहा है.

आदिवासी बाहुल्य जिला होने की वजह से जिम्मेदारी ज्यादा

कोरबा जिला संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल ट्राइबल जिलों में शामिल है. यहां विशेष पिछड़ी जनजाति के आदिवासी भी निवास करते हैं. कई बार ऐसा होता है, जब वनांचल क्षेत्रों से लोग लंबा सफर तय कर मुख्यालय तक पहुंचते हैं, लेकिन उनकी शिकायतों का निराकरण करने में महीनों बीत जाते हैं. वह आवेदन लेकर दर-दर भटकते रहते हैं.

पढ़ें-SPECIAL: कोरबा के जिस खाद कारखाने की नींव इंदिरा गांधी ने रखी थी, उसे केंद्र सरकार ने किया नीलाम

राजस्व न्यायालयों में पेंडिंग केस की भरमार

सबसे ज्यादा शिकायती आवेदन राजस्व विभाग को प्राप्त होते हैं. जहां सीमांकन, बटांकन, जमीन संबंधी विवाद, जाति, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र सरीखे कई ऐसे काम होते हैं. जिनके लिए बड़ी तादाद में लोग आवेदन लगाते हैं. कोरोना काल में कलेक्टर से लेकर नायब तहसीलदार तक के न्यायालयों में पेंडिंग आवेदनों की संख्या बढ़ गई है. जिसकी वजह से लोग महत्वपूर्ण प्रमाण पत्रों के लिए भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

जिले के राजस्व अधिकारियों के पास लंबित आवेदनों की स्थिति-

अधिकारीकुल आवेदननिराकृतलंबित
कलेक्टर74439705
SDM कोरबा492109382
SDM कटघोरा1163086
SDM पोड़ी911378
Last Updated : Dec 23, 2020, 6:53 PM IST
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