कोरबा: जरूरत के समय में बारिश नहीं होने से जिले के किसान चिंतित हैं. मानसून की शुरुआत में जब किसानी शुरू हो रही थी तब जिले में झमाझम बारिश हुई. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में सर्वाधिक बारिश कोरबा में (rain in korba) हुई है. IMD (India Meteorological Department) ने अब तक 542 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की है. जो पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है. लेकिन ये बारिश तब हुई जब खेती-किसानी की शुरुआत हुई थी. बारिश के पानी की असली जरूरत रोपा लगाने के समय होती है. इस दौरान बीते लगभग 15 दिनों से बरसात ने मुंह मोड़ लिया है. जिससे किसान चिंतित हैं. बुवाई के बाद रोपा का काम अब तक पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन रोपा लगाने के समय बरसात नहीं होने के कारण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.
जिले के ज्यादातर किसान बारिश के पानी पर आश्रित
मौसम विभाग से जुड़े आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में पर्याप्त बारिश हो चुकी है. लेकिन यह बारिश जरूरत के समय में नहीं हुई. जिसके कारण पहले हुई बरसात का पानी बहकर नदी में समाहित हो चुका है. अब भी जिले के ज्यादातर किसान खेतों की सिंचाई के लिए बरसात के पानी पर ही निर्भर है. सिंचाई के वैकल्पिक साधन मौजूद नहीं होने के कारण बरसात कम होने या फिर अव्यवस्थित और अनियमित बरसात होने पर किसानों की चिंता बढ़ जाती है.
42 फीसदी रकबा ही सिंचित
जिले में खरीफ फसल के तौर पर 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाई जाती है. इसमें से महज 42 फीसदी रकबा ही सिंचित है. यह सिंचित खेत भी इरीगेशन के माइनर प्रोजेक्ट के नहर और जलाशयों पर आश्रित है. जबकि हसदेव नदी पर बने मेजर प्रोजेक्ट बांगो और दर्री डैम का पानी जिले के किसानों के काम नहीं आ पाता. जिसके कारण जिले में सिंचाई का रकबा बेहद सीमित है.
हसदेव नदी से सिर्फ 1400 हेक्टेयर सिंचाई
जीवनदायिनी हसदेव नदी का सर्वाधिक फैलाव कोरबा जिले में होने के बावजूद जिले के किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाता. हसदेव नदी से कोरबा के 5 में से केवल 1 ब्लॉक करतला के 1400 हेक्टेयर खेतों को ही पानी मिल पाता है. जबकि ज्यादातर पानी से जांजगीर जिले के खेतों की प्यास बुझती है. मेजर प्रोजेक्ट से जिले के खेतों को पानी नहीं मिल पाने के कारण ही जिले के ज्यादातर किसान बारिश के पानी पर ही आश्रित हैं.
Monsoon in Chhattisgarh: प्रदेश में अब तक 409.7 मिमी औसत वर्षा दर्ज
यही हाल रहा तो उठाना पड़ेगा नुकसान
कोरबा के छुरी के किसान नवल देवांगन का कहना है कि 'जब खेती की शुरुआत नहीं हुई थी. तब जमकर बारिश हुई. लेकिन अब जरूरत के समय बारिश नहीं हो रही है. मेरे खुद के 5 में से केवल 1 एकड़ खेत में पानी मौजूद है. जबकि 4 एकड़ खेत सूखे पड़े हैं. अगर बरसात नहीं हुई तो जितनी लागत खेती में अब तक लगाई है उसे वसूल पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा'.
छुरी के ही पार्षद और किसान रामशरण साहू कहते हैं कि हमारे गांव और आसपास के ज्यादातर किसान बारिश के पानी पर ही सिंचाई के लिए निर्भर हैं. अब ठीक समय पर बारिश नहीं हुई तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके अलावा उनके पास और कोई विकल्प मौजूद नहीं है. गांव में सिंचाई विभाग का एक माइनर जलाशय मौजूद है, लेकिन वह भी जर्जर है. उससे बेहद कम किसानों के खेत सिंचित होते हैं. बारिश नहीं हुई तो हमारी मुश्किल बढ़ जाएगी.
बेहतर बारिश के हैं पूर्वानुमान
कृषि मौसम वैज्ञानिक संजय भेलावे ने बताया कि आंकड़ों पर जाएंगे तो बारिश बहुत अच्छी हुई है. जिले में आवश्यक बारिश से 25 फीसदी से ज्यादा बारिश हुई है. 'हम मानसून के आंकड़े 1 जून से 30 सितंबर तक लेते हैं, लेकिन वर्तमान समय में एक ड्राई स्पेल(सूखा) आ गया है. पिछले 10 दिनों से बारिश नहीं हुई है. इसके कारण किसान परेशान हैं. जब उन्हें रोपा लगाना है, तब इन 10 दिनों में बरसात नहीं हुई है. हुई भी है तो बेहद का कम, लेकिन यह ड्राई स्पेल किसानों पर भारी पड़ रहा है. आने वाले समय में अच्छी बारिश के पूर्वानुमान हैं. अच्छी खासी बारिश होगी, किसानों को यही सलाह देना चाहेंगे कि जो भी बारिश का पानी आए, उसे सहेज कर रखें. मेढ़ को अच्छे से बना कर रखें. अधिक से अधिक पानी का संचय करके रखें और बारिश आते ही तत्काल रोपा का काम पूरा कर लें.