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पहले जादू देखने उमड़ती थी भीड़, लोगों के पास अब समय नहीं इससे घट रहा क्रेज : जादूगर सिकंदर

जादूगर सिकंदर इन दिनों कोरबा में मौजूद हैं. जिनका अगला पड़ाव अंबिकापुर होगा. जादूगर सिकंदर ने वर्तमान परिवेश में जादूगर व उनकी स्थिति को लेकर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किये.

जादूगर सिकंदर
जादूगर सिकंदर
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Published : Mar 28, 2022, 10:59 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 10:09 AM IST

कोरबा: जादूगर और जादूगरी अब वैसा वर्चस्व नहीं रहा, जैसा एक या दो दशक पहले हुआ करता था. जादूगर भी स्वयं या मानते हैं कि सोशल मीडिया के आ जाने से दर्शकों की संख्या में कुछ कमी जरूर आई है. इन सभी मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जादूगर सिकंदर से देश भर में 13, 000 से अधिक शो कर चुके हैं. जादूगर सिकंदर इन दिनों कोरबा में मौजूद हैं. जिनका अगला पड़ाव अंबिकापुर होगा. जादूगर सिकंदर ने वर्तमान परिवेश में जादूगर व उनकी स्थिति को लेकर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किये.

जादूगर सिकंदर से बातचीत
यह भी पढ़ें: CG विधानसभा चुनाव 2023 : जनता के फीडबैक पर टिकट बांटेंगे सीएम, मंत्री-विधायकों को कुर्सी की चिंता

सवाल: वर्तमान परिवेश में जादूगर कितने प्रासंगिक हैं, पहले जादू देखने लोगों की भीड़ उमड़ जाया करती थी. अब भी ऐसा है या दर्शकों की संख्या में गिरावट आई है?
जवाब: देखिए पहले मनोरंजन के नाम पर जादू ,सर्कस और सिनेमा यही तीन चीजें हुआ करते थे. लेकिन अब हर हाथ में मोबाइल है. अब जादू देखने सिर्फ वही लोग आते हैं जो जादू को समझते हैं. भारतीय संस्कृति रही है, बच्चे जब जिद करते हैं कि हमें जादू देखना है तब लोग उन्हें लेकर जादू देखने आ जाते हैं. जादूगर का क्रेज कुछ तो कम हुआ ही है. साथ ही साथ लोगों के पास समय का भी अभाव है.

सवाल: ऐसे में आप किस तरह से लोगों को बांध कर रखते हैं कौन से ट्रिक अपनाते हैं?
जवाब: जादू के पहले कई संगठन रहे हैं, तो उसके माध्यम से हम लोग प्रयास करते हैं. जादू एक कला है जिसे हम लोगों को दिखाते हैं. कोशिश करते हैं कि लोगों का मनोरंज हो नियमित तौर पर आम शो करते रहते हैं. अभी भी हमारा थिएटर शो कोरबा में चल रहा है. इसके बाद हम आगे भी शॉ करने जाएंगे. निरंतरता बनी रहती है और सोशल मीडिया के जमाने में हमें भी सोशल मीडिया पर आना पड़ा. हमारा भी जादूगर सिकंदर के नाम से एक पेज है. जादू की कला का हम लोग जीवित रखे हुए हैं और बेसिकली हम अपने शो के माध्यम से अंधविश्वास को दूर करने का भी काम करते हैं. कोई परेशानी में जब आ जाता है तो वह ढोंगी बाबाओं के चक्कर में फंस जाता है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.

सवाल: काला जादू या मायाजाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल जादूगर पहले किया करते थे, तो क्या वास्तव में ऐसा कुछ होता है?
जवाब: देखिए यह सब बातें भूमिका बनाने के लिए ठीक है. हम लोग भी इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, काला जादू या मायाजाल. लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ होता नहीं है. अगर हम सच में अपने हाथ से पैसे बना लेते तो, हम कोरबा क्यों आते? हम घर में बैठकर ही पैसे बना लेते. किसी का दुख कोई दूर नहीं कर सकता है. आदमी जब परेशान होता है तो इन सब बातों में आ जाता है.

सवाल: आपकी कोई सबसे फेमस ट्रिक? जिसमें सबसे ज्यादा लोगों का प्यार आपको मिला हो?
जवाब: हमारे पास इस तरह की कई ट्रिक है, मिरिकल ऑफ ग्लास हैं, अनारकली है। जिससे हमें जनता का बहुत प्यार मिलता है. जादू सीधे तौर पर दृष्टिभ्रम पर निर्भर करता है. मैं आपके सामने दो कार्ड रखूंगा और आपसे जो कार्ड दूर होगी वह आपको छोटी लगेगा. जबकि दोनों का आलार बराबर राहत है. तो यह पूरी तरह से दृष्टिभ्रम पर आधारित एक कला है.

सवाल: आपके पास जो जादू की कला है क्या अब आप उसको और भी अगले लेवल पर ले जाएंगे, अंतरराष्ट्रीय जादूगर और भारतीय जादूगरों में क्या अंतर होता है?
जवाब: इंटरनेशनल जादूगर और भारतीय जादूगरों में ज्यादा अंतर नहीं होता है. सभी मैजिक दिखाते हैं, लेकिन जो मूल अंतर है. वह यह है कि वहां की सरकारें और सोसाइटी जादूगरों को प्रोत्साहित करती है. उसे आर्ट समझा जाता है. जब आप क्रिकेट देखते हैं और कोई छक्का लगा देता है, तब आप यह नहीं कहते कि ऐसे तो मैं भी मार सकता हूं.

आप उसे एप्रिशिएट करते हैं. लेकिन ठीक इसी तरह जब कोई जादूगर अच्छा जादू दिखाता है तो लोग कहते हैं कि अरे इसने तो इस तरह से किया होगा. मैं भी ऐसा कर सकता हूं, फिर चाहे भले ही उसे सच्चाई का ज्ञान ना हो वह उसे समझ ना पाए. लोग टांग खींचने की कोशिश करते हैं. भारत में लोगों का दिमाग टांग खींचने पर ज्यादा काम करता है. इसके बजाय कला को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

सवाल: आपको लगता है कि नए लोगों को आना चाहिए इस क्षेत्र में, उन्हें किस तरह का प्रोत्साहन मिलना चाहिए?
जवाब: बिल्कुल हम चाहते हैं कि इस कला को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि नए लोग इस क्षेत्र में आ सकें और सरकार को भी थोड़ा सा नियमों को शिथिल करना चाहिए. जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं वहां हॉल बुक करते हैं, तो जो प्रशासनिक प्रक्रियाएं हैं थोड़ी सी रियायत मिलनी चाहिए, हमें परेशानी ना हो ताकि हम बढ़िया तरीके से अपना सेटअप लगाकर अपनी कला दिखा सकें.

सवाल: आपके साथ कितने लोगों की टीम है जो आपके साथ रहते हैं, कितने लोगों की आजीविका का प्रबंध आप करते हैं?
जवाब: प्रत्यक्ष रूप से मेरे साथ 30 लोगों की टीम मौजूद रहती है. आप देख रहे होंगे, इसके अलावा जो हमारे लिए पोस्टर बनाते हैं, सामान बेचते हैं और कई तरह की तैयारियां करनी होती हैं. इसके लिए लगभग 50 से 60 लोग हमारे साथ रहते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से कुल 50 लोगों के फैमिली के आजीविका का प्रबंध हमारे शो से होता है.

कोरबा: जादूगर और जादूगरी अब वैसा वर्चस्व नहीं रहा, जैसा एक या दो दशक पहले हुआ करता था. जादूगर भी स्वयं या मानते हैं कि सोशल मीडिया के आ जाने से दर्शकों की संख्या में कुछ कमी जरूर आई है. इन सभी मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जादूगर सिकंदर से देश भर में 13, 000 से अधिक शो कर चुके हैं. जादूगर सिकंदर इन दिनों कोरबा में मौजूद हैं. जिनका अगला पड़ाव अंबिकापुर होगा. जादूगर सिकंदर ने वर्तमान परिवेश में जादूगर व उनकी स्थिति को लेकर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किये.

जादूगर सिकंदर से बातचीत
यह भी पढ़ें: CG विधानसभा चुनाव 2023 : जनता के फीडबैक पर टिकट बांटेंगे सीएम, मंत्री-विधायकों को कुर्सी की चिंता

सवाल: वर्तमान परिवेश में जादूगर कितने प्रासंगिक हैं, पहले जादू देखने लोगों की भीड़ उमड़ जाया करती थी. अब भी ऐसा है या दर्शकों की संख्या में गिरावट आई है?
जवाब: देखिए पहले मनोरंजन के नाम पर जादू ,सर्कस और सिनेमा यही तीन चीजें हुआ करते थे. लेकिन अब हर हाथ में मोबाइल है. अब जादू देखने सिर्फ वही लोग आते हैं जो जादू को समझते हैं. भारतीय संस्कृति रही है, बच्चे जब जिद करते हैं कि हमें जादू देखना है तब लोग उन्हें लेकर जादू देखने आ जाते हैं. जादूगर का क्रेज कुछ तो कम हुआ ही है. साथ ही साथ लोगों के पास समय का भी अभाव है.

सवाल: ऐसे में आप किस तरह से लोगों को बांध कर रखते हैं कौन से ट्रिक अपनाते हैं?
जवाब: जादू के पहले कई संगठन रहे हैं, तो उसके माध्यम से हम लोग प्रयास करते हैं. जादू एक कला है जिसे हम लोगों को दिखाते हैं. कोशिश करते हैं कि लोगों का मनोरंज हो नियमित तौर पर आम शो करते रहते हैं. अभी भी हमारा थिएटर शो कोरबा में चल रहा है. इसके बाद हम आगे भी शॉ करने जाएंगे. निरंतरता बनी रहती है और सोशल मीडिया के जमाने में हमें भी सोशल मीडिया पर आना पड़ा. हमारा भी जादूगर सिकंदर के नाम से एक पेज है. जादू की कला का हम लोग जीवित रखे हुए हैं और बेसिकली हम अपने शो के माध्यम से अंधविश्वास को दूर करने का भी काम करते हैं. कोई परेशानी में जब आ जाता है तो वह ढोंगी बाबाओं के चक्कर में फंस जाता है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.

सवाल: काला जादू या मायाजाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल जादूगर पहले किया करते थे, तो क्या वास्तव में ऐसा कुछ होता है?
जवाब: देखिए यह सब बातें भूमिका बनाने के लिए ठीक है. हम लोग भी इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, काला जादू या मायाजाल. लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ होता नहीं है. अगर हम सच में अपने हाथ से पैसे बना लेते तो, हम कोरबा क्यों आते? हम घर में बैठकर ही पैसे बना लेते. किसी का दुख कोई दूर नहीं कर सकता है. आदमी जब परेशान होता है तो इन सब बातों में आ जाता है.

सवाल: आपकी कोई सबसे फेमस ट्रिक? जिसमें सबसे ज्यादा लोगों का प्यार आपको मिला हो?
जवाब: हमारे पास इस तरह की कई ट्रिक है, मिरिकल ऑफ ग्लास हैं, अनारकली है। जिससे हमें जनता का बहुत प्यार मिलता है. जादू सीधे तौर पर दृष्टिभ्रम पर निर्भर करता है. मैं आपके सामने दो कार्ड रखूंगा और आपसे जो कार्ड दूर होगी वह आपको छोटी लगेगा. जबकि दोनों का आलार बराबर राहत है. तो यह पूरी तरह से दृष्टिभ्रम पर आधारित एक कला है.

सवाल: आपके पास जो जादू की कला है क्या अब आप उसको और भी अगले लेवल पर ले जाएंगे, अंतरराष्ट्रीय जादूगर और भारतीय जादूगरों में क्या अंतर होता है?
जवाब: इंटरनेशनल जादूगर और भारतीय जादूगरों में ज्यादा अंतर नहीं होता है. सभी मैजिक दिखाते हैं, लेकिन जो मूल अंतर है. वह यह है कि वहां की सरकारें और सोसाइटी जादूगरों को प्रोत्साहित करती है. उसे आर्ट समझा जाता है. जब आप क्रिकेट देखते हैं और कोई छक्का लगा देता है, तब आप यह नहीं कहते कि ऐसे तो मैं भी मार सकता हूं.

आप उसे एप्रिशिएट करते हैं. लेकिन ठीक इसी तरह जब कोई जादूगर अच्छा जादू दिखाता है तो लोग कहते हैं कि अरे इसने तो इस तरह से किया होगा. मैं भी ऐसा कर सकता हूं, फिर चाहे भले ही उसे सच्चाई का ज्ञान ना हो वह उसे समझ ना पाए. लोग टांग खींचने की कोशिश करते हैं. भारत में लोगों का दिमाग टांग खींचने पर ज्यादा काम करता है. इसके बजाय कला को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

सवाल: आपको लगता है कि नए लोगों को आना चाहिए इस क्षेत्र में, उन्हें किस तरह का प्रोत्साहन मिलना चाहिए?
जवाब: बिल्कुल हम चाहते हैं कि इस कला को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि नए लोग इस क्षेत्र में आ सकें और सरकार को भी थोड़ा सा नियमों को शिथिल करना चाहिए. जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं वहां हॉल बुक करते हैं, तो जो प्रशासनिक प्रक्रियाएं हैं थोड़ी सी रियायत मिलनी चाहिए, हमें परेशानी ना हो ताकि हम बढ़िया तरीके से अपना सेटअप लगाकर अपनी कला दिखा सकें.

सवाल: आपके साथ कितने लोगों की टीम है जो आपके साथ रहते हैं, कितने लोगों की आजीविका का प्रबंध आप करते हैं?
जवाब: प्रत्यक्ष रूप से मेरे साथ 30 लोगों की टीम मौजूद रहती है. आप देख रहे होंगे, इसके अलावा जो हमारे लिए पोस्टर बनाते हैं, सामान बेचते हैं और कई तरह की तैयारियां करनी होती हैं. इसके लिए लगभग 50 से 60 लोग हमारे साथ रहते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से कुल 50 लोगों के फैमिली के आजीविका का प्रबंध हमारे शो से होता है.

Last Updated : Mar 29, 2022, 10:09 AM IST
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