कोरबा: ईटीवी भारत की खबर का असर (Impect of News of ETV Bharat ) हुआ है. कोरबा में धान बेचने के लिए किसानों को उत्पादकता प्रमाण पत्र (Productivity Certificate) नहीं लेना पड़ेगा. जबकि इससे पहले किसानों को टोकन कटवाने के लिए उत्पादकता प्रमाण लेना पड़ता था. वहीं खबर के बाद हरकत में आये अफसर और प्रशासन ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया है.
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कलेक्टर रानू साहू (Collector Ranu Sahu) ने किसानों की सहूलियत के लिए राजस्व अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए है. अब किसानों को धान खरीदी के लिए टोकन कटाने से पहले पटवारी की ओर से जारी उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता नहीं रहेगी. अब किसान समितियों में सीधे जाकर अपने धान के बोयें गए रकबे की जानकारी देकर धान बेचने के लिए टोकन कटा सकेंगे.
कलेक्टर के इस संबंध में जरूरी निर्देश सभी राजस्व अधिकारियों को दे दिए हैं. अब किसानों को धान खरीदी के लिए टोकन कटाने से पहले पटवारी के द्वारा जारी उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता नहीं रहेगी. अब किसान समितियों में सीधे जाकर अपने धान के बोयें गए रकबे की जानकारी देकर धान बेचने के लिए टोकन कटा सकेंगे. पिछले साल धान खरीदी के दौरान जिले में किसानों से उत्पादकता प्रमाण पत्र के आधार पर धान खरीदी की व्यवस्था की गई थी. इस वर्ष ज़िले के किसानों को सहूलियत देते हुए आसानी से धान बेचने के लिए अब जिले में यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है.
पंजीयन के दौरान ही ले ले जाते हैं जानकारी
यह उलझी हुई व्यवस्था जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने लागू की थी. हैरानी वाली बात यह भी थी कि इस संबंध में किसी भी समिति प्रबंधक को कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया था.
यह व्यवस्था इस वर्ष भी इसी तरह लागू कर दी गई थी. जिसके बारे में कोई भी अधिकारी कुछ भी खुल कर कहने को तैयार नहीं थे. खबर प्रकाशित होते ही जिले में पदस्थ वर्तमान कलेक्टर रानू साहू ने इसे गंभीरता से लिया. ईटीवी भारत में पहले ही बता दिया था कि पंजीयन के समय किसानों का पूरा डाटा ऑनलाइन फीड कर दिया जाता है. दोबारा उत्पादकता प्रमाण पत्र लेने की कोई आवश्यकता ही नहीं होती, यही बात प्रशासन ने भी अपने निर्देश में जारी की है.
कलेक्टर ने बताया कि धान खरीदी शुरू होने के पहले ही जिले के राजस्व अधिकारियों, पटवारियों, तहसीलदारों ने धान फसल का गिरदावरी के दौरान सत्यापन कर लिया है. सभी किसानों के खेतों में बोये गए धान के रकबे की जानकारी इस दौरान इकट्ठी कर रिकॉर्ड की गई है. अब गिरदावरी रिकॉर्ड में दर्ज रकबे के हिसाब से धान की खरीदी होगी. कलेक्टर ने सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पटवारियों को धान खरीदी के लिए संबंधित अधिकारियों को सभी सहयोग करने के लिए भी निर्देश दिए हैं.