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कोरबा: सिंघाली खदान में हुए भूधसान की उच्चस्तरीय जांच की मांग

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Published : Aug 1, 2020, 12:46 PM IST

SECL कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली परियोजना में भूधसान की घटना की भू विस्थापित संगठन ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की और दोषी अफसरों पर कारर्वाई की मांग की.

singhali mine in korba
सिंघाली परियोजना

कोरबा: SECL कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली परियोजना में 26 जुलाई 2020 की रात को हुई भूधसान की घटना की भू विस्थापित संगठन ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की हैं. इसके साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की भी मांग की गई. दरअसल 26 जुलाई को खदान के पास एक बड़े कुएं के आकार में गड्ढा बन गया था. आवासीय क्षेत्र में बोर धंस गए थे. इसके साथ ही इसी खदान से प्रभावित ग्राम भेजीनारा में भी कई मकानों में लगभग 10 दिन पहले दरारें आ गई. भू विस्थापित संगठन ने इन सभी घटनाओं के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की हैं. इसके साथ ही दोषी अफसरों पर ठोस कार्रवाई की भी मांग की है.

singhali mine in korba
भूधसान की उच्चस्तरीय जांच की मांग

'डी-पिलरिंग के कारण बनी स्थिति'

ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय संयोजक गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि इन सभी घटनाओं में SECL द्वारा कोयला उत्खनन और उत्खनन के बाद फेस बंद करने के लिए डी-पिलरिंग के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है. इससे पहले भी साल 2000 से 2010 के बीच कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ही रजगामार, मानिकपुर, बलगी, बांकी परियोजना व ढेलवाडीह आदि भूमिगत खदानों के आसपास ऐसी ही भूधसान और मकानों और जमीन में दरार होने की घटना सामने आ चुकी है. जिसका कारण डी-पिलरिंग को बताया गया था. जबकि वहां पर हर साल बरसात का मौसम आते ही घटना की पुनरावृत्ति देखने को मिलती है. गजेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि डी-पिलरिंग करने से पहले खान सुरक्षा महानिदेशालय से विधिवत अनुमति एवं प्रभावित होने वाले क्षेत्र में आवश्यक सुरक्षा उपाय के साथ ही ग्रामीणों से सहमति लेना भी अनिवार्य होता है. लेकिन SECL के अधिकारी ज्यादा से ज्यादा कोयले का उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध उत्खनन करवाने के फेर में सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करते और कोयला खदान में काम करने वाले कर्मचारियों सहित आमजनों की जान खतरे डाल रहे है.

संगठन ने इन बिंदुओं पर जांच की मांग की

singhali mine in korba
सिंघाली परियोजना
  • घटना की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए. जांच में अगर SECL की तरफ से सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है तो आपराधिक मामला दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
  • प्रभावित क्षेत्र सहित कोयला उत्खनन और उत्खनन के पश्चात फेस बंद करने के लिए की गई डी-पिलरिंग एरिया को रेडजोन घोषित कर फेंसिंग कराया जाए.
  • भूधसान और मकानों में आई दरार के कारण ग्रामीणों और किसानों को हुए नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जाए.
  • अन्य भूमिगत खदानों के आसपास के क्षेत्र में हर वर्ष हो रही भूधसान और दरार का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए. आवश्यकता पड़ने पर गांव और प्रभावित क्षेत्र का अधिग्रहण कर मुआवजा, रोजगार और बसाहट प्रदान किया जाए.
  • ढेलवाडीह-सिंघाली-बगदेवा परियोजना अंतर्गत सभी गोदग्रामों में तत्काल सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाए.

कोरबा: SECL कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली परियोजना में 26 जुलाई 2020 की रात को हुई भूधसान की घटना की भू विस्थापित संगठन ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की हैं. इसके साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की भी मांग की गई. दरअसल 26 जुलाई को खदान के पास एक बड़े कुएं के आकार में गड्ढा बन गया था. आवासीय क्षेत्र में बोर धंस गए थे. इसके साथ ही इसी खदान से प्रभावित ग्राम भेजीनारा में भी कई मकानों में लगभग 10 दिन पहले दरारें आ गई. भू विस्थापित संगठन ने इन सभी घटनाओं के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की हैं. इसके साथ ही दोषी अफसरों पर ठोस कार्रवाई की भी मांग की है.

singhali mine in korba
भूधसान की उच्चस्तरीय जांच की मांग

'डी-पिलरिंग के कारण बनी स्थिति'

ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय संयोजक गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि इन सभी घटनाओं में SECL द्वारा कोयला उत्खनन और उत्खनन के बाद फेस बंद करने के लिए डी-पिलरिंग के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है. इससे पहले भी साल 2000 से 2010 के बीच कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ही रजगामार, मानिकपुर, बलगी, बांकी परियोजना व ढेलवाडीह आदि भूमिगत खदानों के आसपास ऐसी ही भूधसान और मकानों और जमीन में दरार होने की घटना सामने आ चुकी है. जिसका कारण डी-पिलरिंग को बताया गया था. जबकि वहां पर हर साल बरसात का मौसम आते ही घटना की पुनरावृत्ति देखने को मिलती है. गजेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि डी-पिलरिंग करने से पहले खान सुरक्षा महानिदेशालय से विधिवत अनुमति एवं प्रभावित होने वाले क्षेत्र में आवश्यक सुरक्षा उपाय के साथ ही ग्रामीणों से सहमति लेना भी अनिवार्य होता है. लेकिन SECL के अधिकारी ज्यादा से ज्यादा कोयले का उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध उत्खनन करवाने के फेर में सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करते और कोयला खदान में काम करने वाले कर्मचारियों सहित आमजनों की जान खतरे डाल रहे है.

संगठन ने इन बिंदुओं पर जांच की मांग की

singhali mine in korba
सिंघाली परियोजना
  • घटना की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए. जांच में अगर SECL की तरफ से सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है तो आपराधिक मामला दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
  • प्रभावित क्षेत्र सहित कोयला उत्खनन और उत्खनन के पश्चात फेस बंद करने के लिए की गई डी-पिलरिंग एरिया को रेडजोन घोषित कर फेंसिंग कराया जाए.
  • भूधसान और मकानों में आई दरार के कारण ग्रामीणों और किसानों को हुए नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जाए.
  • अन्य भूमिगत खदानों के आसपास के क्षेत्र में हर वर्ष हो रही भूधसान और दरार का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए. आवश्यकता पड़ने पर गांव और प्रभावित क्षेत्र का अधिग्रहण कर मुआवजा, रोजगार और बसाहट प्रदान किया जाए.
  • ढेलवाडीह-सिंघाली-बगदेवा परियोजना अंतर्गत सभी गोदग्रामों में तत्काल सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाए.
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