कोरबा: एसईसीएल कोयला उत्खनन में पिछड़ गया है. कोयला कंपनी, कोयला उत्खनन का टारगेट हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है. ऐसे में एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान गेवरा के विस्तार को एक भू विस्थापित ने अकेले ही बंद करा दिया है. गेवरा खदान से लगे विस्थापित गांव रलिया निवासी प्रदीप राठौर की माने तो उनकी 3 एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण 2004 और 2009 में एसईसीएल द्वारा गेवरा खदान विस्तार के लिए किया गया था. लेकिन निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नौकरी और मुआवजा देने में आनाकानी की जा रही है. जिसके कारण वह एसईसीएल के खिलाफ धरना दे रहे हैं. वहीं प्रदीप का कहना है कि, जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी तबतक खदान का विस्तार नहीं होने देंगे.
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ये है पूरा मामला
एसईसीएल, गेवरा खदान न सिर्फ भारत बल्कि एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान है. जहां से सालाना 47.6 मिलियन टन कोयले के उत्पादन का टारगेट इस साल निर्धारित किया गया है. 31 जनवरी तक की स्थिति में 38 मिलियन का उत्पादन हो चुका है. साल भर रुक-रुक कर हुई बारिश के बाद लक्ष्य से पिछड़ने पर आज के दौर में उत्खनन तेजी से किया जा रहा है. ऐसे में एसईसीएल खासतौर पर गेवरा जैसी मेगा परियोजना में किसी भी तरह का आंदोलन झेलने की स्थिति में नहीं है. इसी दौरान शुक्रवार को गेवरा के समीप खदान के अधीन आने वाले विस्थापित गांव में रलिया निवासी प्रदीप राठौर ने आंदोलन शुरू कर दिया है.
एसईसीएल प्रबंधन से अकेले मोर्चा लेते हुए प्रदीप राठौर तेज धूप में झाड़ी के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं. उनका आरोप है कि, एसईसीएल ने पहली बार उनकी जमीन 2004 में अधिग्रहित की थी. कुल रकबा 3 एकड़ 8 डिसमिल है, जिसमें नियमानुसार 3 लोगों को नौकरी दी जानी चाहिए. अधिग्रहण के वक्त प्रकरण का निराकरण नहीं किया गया. हाल ही में कुछ महीने पहले मुआवजा संबंधी प्रक्रिया को शुरू किया गया है, जिससे वह असंतुष्ट हैं. प्रदीप नियमानुसार, 3 लोगों को नौकरी दिए जाने की मांग कर रहे हैं. जमीन अधिग्रहण से जुड़े अन्य नियमों के पालन की भी मांग कर रहे हैं.
प्रदीप का आरोप है कि, एसईसीएल प्रबंधन का रवैया भू विस्थापितों के साथ हमेशा ही दोयम दर्जे का रहा है. जिससे सभी भू विस्थापित आक्रोशित हैं. शुक्रवार को मिट्टी खुदाई करने पहुंचे सावेल मशीन व अन्य गाड़ियों को प्रदीप ने रोक दिया और वहीं धरने पर बैठ गए. मौके पर कोई भी सक्षम अधिकारी नहीं पहुंचे हैं. प्रदीप का कहना है कि, मांग पूरी नहीं होने तक धरने पर बैठे रहेंगे.
'परीक्षण के बाद कुछ कह सकेंगे'
इस संबंध में एसईसीएल जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्र का कहना है कि, प्रदीप राठौर के प्रकरण में जब तक दस्तावेजों का परीक्षण न कर लिया जाए. पात्रता संबंधी नियमों की जांच ना हो कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी. एसईसीएल द्वारा सभी विस्थापितों की अधिग्रहित जमीन के एवज में नियमानुसार कार्रवाई पूरी की जाती है.