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गोधन न्याय योजना: कोरबा में 2 दिन में 11 हजार किलो गोबर की खरीदी

कोरबा में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद दो दिनों में ही गौठान समितियों ने 11 हजार किलो गोबर की खरीदी की है. इससे किसानों/पशुपालकों को 21 हजार रुपये की आमदनी हुई है. जिससे किसान और पशुपालक उत्साहित दिख रहे हैं.

Dung purchase
गोबर की खरीदी
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Published : Jul 23, 2020, 4:18 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 4:41 PM IST

कोरबा: जिले में गोधन न्याय योजना की शुरुआत होते ही, पहले 2 दिनों में 11 हजार किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई है. योजना के तहत ग्रामीणों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है. जिससे किसानों और पशुपालकों में उत्साह दिख रहा है.

गौठानो में स्थित गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को गोबर पर्चेस कार्ड दिया गया है, जिसमें गोबर खरीदी की मात्रा, राशि रजिस्टर किया जा रहा है. प्रत्येक 15 दिनों में भुगतान हितग्राही के बैंक अकाउंट में किया जाएगा. गोबर बिक्री का पैसा सीधे खाता में आने से पशुपालक बढ़-चढ़कर इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.

कोरबा जनपद में सर्वाधिक गोबर की बिक्री
जिले में पशुपालकों को गोबर बेचने से 21 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई है. कोरबा जनपद में सर्वाधिक गोबर की बिक्री हुई है. कोरबा जनपद में 3 हजार 975 किलोग्राम गोबर बेचकर 7 हजार 950 रुपये, करतला जनपद में 1 हजार 817 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई, जिससे 3 हजार 634 रुपये, कटघोरा जनपद में 1 हजार 753 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई, जिससे 3 हजार 306 रुपये, पाली जनपद में 1 हजार 216 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई है, जिससे 2 हजार 433 रुपये, इसी प्रकार पोड़ी-उपरोड़ा जनपद में 2 हजार 130 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई, जिससे 4 हजार 260 रुपये की आमदनी पशुपालकों को हुई है.

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ

पाली के रैनखुर्द गांव की नंदनी यादव ने बताया कि उनके पास 7 मवेशी है. जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही हैं. वे बताती हैं कि पहले गोबर को बिना उपयोगी समझकर फेंक देते थे. अब गोबर के दो रुपये प्रति किलो बिकने से वे अधिक संख्या में मवेशी रखने के लिए सोच रही हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उनके पास अभी दो मवेशी है, जिनका 10 किलो गोबर गौठान में बेच रहा है.

पढ़ें:-वनांचल क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने की वाटर फिल्टर प्लांट की शुरुआत

महिलाओं ने बताया कि पहले गोबर से खाद बनाने में तीन-महीने लग जाते थे, जिससे गोबर खाद का उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था. अब गौठानों में 45 दिनों में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जायेगा और किसान अपनी सुविधाजनक समय में उपयोग कर सकेंगे. गोधन न्याय योजना से महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

गौठान में खरीदे गए गोबर से जैविक खाद बनाया जाएगा, जिसे पैकिंग करके आठ रुपये किलो की दर से सहकारी समितियों के माध्यम से बेचा जाएगा. ग्रामीणों ने बताया कि 'गोधन न्याय योजना' से खुले में मवेशी चराई पर रोक लगेगी. लोग अपने मवेशी को घर में रखकर गोबर उत्पादन को लेकर प्रोत्साहित होंगे. गोबर बेचकर आने वाले अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

कोरबा: जिले में गोधन न्याय योजना की शुरुआत होते ही, पहले 2 दिनों में 11 हजार किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई है. योजना के तहत ग्रामीणों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है. जिससे किसानों और पशुपालकों में उत्साह दिख रहा है.

गौठानो में स्थित गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को गोबर पर्चेस कार्ड दिया गया है, जिसमें गोबर खरीदी की मात्रा, राशि रजिस्टर किया जा रहा है. प्रत्येक 15 दिनों में भुगतान हितग्राही के बैंक अकाउंट में किया जाएगा. गोबर बिक्री का पैसा सीधे खाता में आने से पशुपालक बढ़-चढ़कर इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.

कोरबा जनपद में सर्वाधिक गोबर की बिक्री
जिले में पशुपालकों को गोबर बेचने से 21 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई है. कोरबा जनपद में सर्वाधिक गोबर की बिक्री हुई है. कोरबा जनपद में 3 हजार 975 किलोग्राम गोबर बेचकर 7 हजार 950 रुपये, करतला जनपद में 1 हजार 817 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई, जिससे 3 हजार 634 रुपये, कटघोरा जनपद में 1 हजार 753 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई, जिससे 3 हजार 306 रुपये, पाली जनपद में 1 हजार 216 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई है, जिससे 2 हजार 433 रुपये, इसी प्रकार पोड़ी-उपरोड़ा जनपद में 2 हजार 130 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई, जिससे 4 हजार 260 रुपये की आमदनी पशुपालकों को हुई है.

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ

पाली के रैनखुर्द गांव की नंदनी यादव ने बताया कि उनके पास 7 मवेशी है. जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही हैं. वे बताती हैं कि पहले गोबर को बिना उपयोगी समझकर फेंक देते थे. अब गोबर के दो रुपये प्रति किलो बिकने से वे अधिक संख्या में मवेशी रखने के लिए सोच रही हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उनके पास अभी दो मवेशी है, जिनका 10 किलो गोबर गौठान में बेच रहा है.

पढ़ें:-वनांचल क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने की वाटर फिल्टर प्लांट की शुरुआत

महिलाओं ने बताया कि पहले गोबर से खाद बनाने में तीन-महीने लग जाते थे, जिससे गोबर खाद का उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था. अब गौठानों में 45 दिनों में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जायेगा और किसान अपनी सुविधाजनक समय में उपयोग कर सकेंगे. गोधन न्याय योजना से महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

गौठान में खरीदे गए गोबर से जैविक खाद बनाया जाएगा, जिसे पैकिंग करके आठ रुपये किलो की दर से सहकारी समितियों के माध्यम से बेचा जाएगा. ग्रामीणों ने बताया कि 'गोधन न्याय योजना' से खुले में मवेशी चराई पर रोक लगेगी. लोग अपने मवेशी को घर में रखकर गोबर उत्पादन को लेकर प्रोत्साहित होंगे. गोबर बेचकर आने वाले अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

Last Updated : Jul 23, 2020, 4:41 PM IST
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