कोंडागांव: जिले में एक अधिकारी की ओर से जानकारी छिपाने का मामला सामने आया है. कोंडागांव वनमंडल में उप वनमंडलाधिकारी के पद पर पदस्थ मोना माहेश्वरी के पिता 18 मई की रात को पश्चिम बंगाल से केशकाल पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने न तो किसी विभाग को इसकी सूचना दी और न ही अपनी जांच करवाई.
जानकारी के मुताबिक, अधिकारी मोना माहेश्वरी के पिता डगनलाल माहेश्वरी पश्चिम बंगाल से केशकाल पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने शासन के किसी भी नियम का पालन नहीं किया. उन्होंने अपना स्वास्थ्य परीक्षण तक नहीं कराया और न ही खुद को आइसोलाइट करना जरूरी समझा. वे सीधे अपनी अधिकारी बेटी के सरकारी निवास पहुंच गए, जबकि नियम के मुताबिक उन्हें कम से कम 14 दिनों तक शहर के बाहर बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहना चाहिए था.
शहर के एक स्कूल में किया गया क्वॉरेंटाइन
एसडीएम डीडी मंडावी ने बताया कि उप वनमंडलाधिकारी मोना माहेश्वरी ने मौखिक जानकारी दी थी कि उनके पिता पश्चिम बंगाल से आने वाले हैं, लेकिन वह कब केशकाल पहुंचे हैं, उसकी जानकारी नहीं मिली. वहीं केशकाल बीएमओ डॉ. डीके बिसेन ने बताया कि डगनलाल माहेश्वरी के खलेमुरवेंड पहुंचने पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था, जिसमें रेपिड टेस्ट में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. उन्होंने कहा कि पहले वे सीधे अपनी बेटी के घर चले गए थे. दूसरे दिन जब स्वास्थ्य विभाग की टीम डगनलाल माहेश्वरी के घर पहुंची, तो उन्हें क्वॉरेंटाइन करने के लिए सुरडोंगर स्कूल भेजा गया.
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एसडीएम को दी थी जानकारी
इधर उप वनमंडलाधिकारी मोना माहेश्वरी ने बताया कि उनके पिताजी पश्चिम बंगाल से जनवरी में ही आ चुके थे और परिवार के साथ दुर्ग में थे. मोना माहेश्वरी ने बताया कि उन्होंने एसडीएम को अपने पिताजी के दुर्ग आने की जानकारी दी थी, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें एक स्कूल में आइसोलेट किया गया है. जबकि जानकारी के मुताबिक, एसडीओ के पिता जनवरी में नहीं बल्कि 18 मई की रात पश्चिम बंगाल से केशकाल आए हैं. बता दें कि उप वनमंडलाधिकारी खुद एक गांव में आइसोलेशन सेक्टर प्रभारी भी हैं.