बस्तर संभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां ग्रामीण कई प्रथाओं, परंपराओं और संस्कृतियों को सदियों से निभाते आ रहे हैं. इन्हीं परंपराओं में से एक है 'मुर्गा लड़ाई' का खेल. यहां अधिकतर साप्ताहिक बाजारों और मेलों में मुर्गा लड़ाई खेल आदिवासी खेलते हैं. इसमें दो पक्षों के लोग अपने-अपने मुर्गा को लड़ने के लिए आमने-सामने छोड़ देते हैं और दर्शक दीर्घा में बैठे लोग इस "मुर्गा लड़ाई" का आनंद लेते हैं.
सट्टा-जुआ और शराब का सजता है बाजार
लेकिन अब इस पारंपरिक खेल की आड़ में सट्टा और जुए का खेल भी चलता है. इतना ही नहीं यहां खुलेआम शराब बेची और परोसी भी जाती है.
अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद कर रहे ग्रामीण
इस बाजार में भोले-भाले ग्रामीण अपनी मेहनत की कमाई लुटा रहे हैं. वहीं बाजार में आने वाली महिलाओं और बच्चों पर भी इसका असर पड़ता है. लेकिन शासन-प्रशासन इस मामले में खामोश हैं.