कोंडागांव: एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार वनों के संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर वन सुरक्षा समितियां बना रही है. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण सीमा विवाद के कारण वन्य भूमि में लगे हरे-भरे पेड़ों को काट रहे हैं. ताजा मामला केशकाल के आश्रित ग्राम कोयलीबेड़ा में सामने आया है. यहां लगभग 10 एकड़ की वन्य भूमि में लगे हरे-भरे पेड़ों की अवैध रूप से कटाई कर दी गयी है. वन विभाग के अधिकारी मामले की जांच में जुट गए हैं. वनमण्डलाधिकारी का कहना है कि अवैध कटाई में संलिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सरपंच का आरोप- सूचना देने के बाद भी नही हुई कार्रवाई
कोयलीबेड़ा और सालेभाट गांव के सीमा विवाद के चलते पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है. ऐसे मामलों पर वन विभाग भी अलर्ट नजर नहीं आ रहा है. सलेभाट के सरपंच जगदीश मरकाम ने बताया कि वनों की सुरक्षा के लिए वन सुरक्षा समितियों का गठन किया गया है. इन्हीं समितियों द्वारा वनों की देख-रेख की जा रही थी. इसी बीच 12 दिसंबर को ग्रामीणों ने जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई की जानकारी सरपंच को दी. सरपंच ने बताया कि उसी वक्त उन्होंने वन विभाग को इस बात की जानकारी दी, लेकिन वन विभाग के सुस्त रवैये की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाई और लगातार पेड़ों की कटाई होती गई.
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दो गांव में जंगल सीमा को लेकर हुआ था समझौता
इस घटना के बाद गांव में ग्राम सभा का आयोजन कर सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. कोलियाबेड़ा के ग्रामीणों द्वारा कटाई की गई लकड़ियों को जब्त किया गया. इस मामले में कोलियाबेड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि दोनों गांव के बीच जंगल सीमा को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन सालेभाट के ग्रामीणों द्वारा जबरन हमारे क्षेत्र में आकर पेड़ों की कटाई की जा रही थी.
संलिप्त लोगों पर होगी कड़ी कार्रवाई
केशकाल वनमंडलाधिकारी बीएस ठाकुर ने बताया कि मामले की शिकायत मिलते ही उपमंडल अधिकारी मोना महेश्वरी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम कोयलीबेड़ा गांव पहुंची. मौके पर पहुंचकर कोलियाबेड़ा के ग्रामीण के घर से कटाई की गई लकड़ियों को जब्त किया गया. डीएफओ ने कहा कि मामले की जांच जारी है. इसमें संलिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.