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SPECIAL: मधुमक्खी पालन से अपनी जिंदगी शहद जैसी 'मीठी' कर रहा है ये किसान

वैसे तो शहद सभी को पसंद होती है, लेकीन क्या आपने कभी शहद की खेती के बारे में सुना है ? यहां आपको मिलाते हैं एक ऐसे किसान से जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम भी कर रहा है.

मधुमक्खी पालन इकाई, कोंडागांव
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Published : Jul 25, 2019, 8:33 PM IST

कोंडागांव : मधुमक्खियों के छत्ते आपने पेड़ों में, बिल्डिंग पर, पानी की टंकियों में लगे जरूर देखें होंगे लेकिन जिले के एक किसान सत्यजीत राठौर ने अपने खेतों में खेती के अलावा शहद उत्पादन करने की ठानी और आज वो नाबार्ड, कृषि विश्वविद्यालय जगदलपुर और KVIC के सहयोग से इसमें सफल हो गया है.

सत्यजीत एक ऐसा किसान है, जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम भी कर रहा है.


ये मधुमक्खियां हैं कुछ खास
सत्यजीत बताते हैं की यह उनके लिए चुनौती भरा काम था. इस तरह मधुमक्खियों का पालन कर शहद निकालने का काम जिले में अपनी तरह की पहली योजना है. इसके लिए उन्होंने जगदलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. उन्हें अभी इस योजना के तहत 60 बॉक्स मिले हैं.

इन बॉक्सेस को हाइवस कहा जाता है.इन बॉक्सेस में यूरोपियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा है, जो बाकी मधुमक्खियों से ज्यादा मेहनती होती हैं और अधिक से अधिक शहद जुटाने का काम करती हैं. ये अपने बॉक्स से 3 किलोमीटर के रेडियस में ट्रेवल कर पराग कणों को जमा कर बॉक्सेस में लाती हैं.


गर्मी के दिनों में रखना होता है खास ख्याल
गर्मी के दिनों में इनका ज्यादा खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि यह मधुमक्खियां 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान नहीं सह पाती हैं और मरने लगती हैं इसलिए इन्हें पेड़ों की छांव या ठंडी जगहों में रखते हुए तापमान को उनके अनुकूल बनाए रखना पड़ता है. इन्हें हाइवस में अलग अलग फिल्म बनाकर रखा जाता है जिनमें ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियां शहद जमा करती हैं और उन्हें शील्ड कर देती हैं.


मधुमक्खियों से बनती है दवाएं
हर एक बॉक्स में 25 से 30 हजार मधुमक्खियां होती हैं, जिनमें एक रानी मधुमक्खी होती है और 90% वर्कर व 10% नर मधुमक्खियां होते हैं.
हर दिन रानी मधुमक्खी दो से तीन हजार अंडे देती है. सबसे खास बात ये है कि इन मधुमक्खियों के डंक मारने से कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इन मधुमक्खियों से गठिया वात की दवाएं भी विशेष तकनीक से बनाई जाती है.

खेती में मिलता है फायदा
मधुमक्खी पालन से कृषकों को दोगुना फायदा होगा इसका खेती के साथ-साथ बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन होता है, इससे खेती में फायदा मिलता है, जिससे उत्पादन भी ज्यादा होता है. मधुमक्खियां पॉलिनेशन से खेती के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करतीं हैं.

1 किलो शहद की कीमत 8 हजार रुपए तक
हर एक हायवस बॉक्स से 1 साल में लगभग 20 किलो तक शहद का उत्पादन होता है जिसकी कीमत 8 हजार रुपए तक होती है, जिससे किसानों की अच्छी आमदनी हो सकती है.

कोंडागांव : मधुमक्खियों के छत्ते आपने पेड़ों में, बिल्डिंग पर, पानी की टंकियों में लगे जरूर देखें होंगे लेकिन जिले के एक किसान सत्यजीत राठौर ने अपने खेतों में खेती के अलावा शहद उत्पादन करने की ठानी और आज वो नाबार्ड, कृषि विश्वविद्यालय जगदलपुर और KVIC के सहयोग से इसमें सफल हो गया है.

सत्यजीत एक ऐसा किसान है, जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम भी कर रहा है.


ये मधुमक्खियां हैं कुछ खास
सत्यजीत बताते हैं की यह उनके लिए चुनौती भरा काम था. इस तरह मधुमक्खियों का पालन कर शहद निकालने का काम जिले में अपनी तरह की पहली योजना है. इसके लिए उन्होंने जगदलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. उन्हें अभी इस योजना के तहत 60 बॉक्स मिले हैं.

इन बॉक्सेस को हाइवस कहा जाता है.इन बॉक्सेस में यूरोपियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा है, जो बाकी मधुमक्खियों से ज्यादा मेहनती होती हैं और अधिक से अधिक शहद जुटाने का काम करती हैं. ये अपने बॉक्स से 3 किलोमीटर के रेडियस में ट्रेवल कर पराग कणों को जमा कर बॉक्सेस में लाती हैं.


गर्मी के दिनों में रखना होता है खास ख्याल
गर्मी के दिनों में इनका ज्यादा खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि यह मधुमक्खियां 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान नहीं सह पाती हैं और मरने लगती हैं इसलिए इन्हें पेड़ों की छांव या ठंडी जगहों में रखते हुए तापमान को उनके अनुकूल बनाए रखना पड़ता है. इन्हें हाइवस में अलग अलग फिल्म बनाकर रखा जाता है जिनमें ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियां शहद जमा करती हैं और उन्हें शील्ड कर देती हैं.


मधुमक्खियों से बनती है दवाएं
हर एक बॉक्स में 25 से 30 हजार मधुमक्खियां होती हैं, जिनमें एक रानी मधुमक्खी होती है और 90% वर्कर व 10% नर मधुमक्खियां होते हैं.
हर दिन रानी मधुमक्खी दो से तीन हजार अंडे देती है. सबसे खास बात ये है कि इन मधुमक्खियों के डंक मारने से कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इन मधुमक्खियों से गठिया वात की दवाएं भी विशेष तकनीक से बनाई जाती है.

खेती में मिलता है फायदा
मधुमक्खी पालन से कृषकों को दोगुना फायदा होगा इसका खेती के साथ-साथ बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन होता है, इससे खेती में फायदा मिलता है, जिससे उत्पादन भी ज्यादा होता है. मधुमक्खियां पॉलिनेशन से खेती के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करतीं हैं.

1 किलो शहद की कीमत 8 हजार रुपए तक
हर एक हायवस बॉक्स से 1 साल में लगभग 20 किलो तक शहद का उत्पादन होता है जिसकी कीमत 8 हजार रुपए तक होती है, जिससे किसानों की अच्छी आमदनी हो सकती है.

Intro:


मधुमक्खियों से शहद निकालने के साथ-साथ यह किसान अपनी खेती का भी विस्तार कर रहा इन मधुमक्खियों के द्वारा....






Body:आपने शहद तो जरूर चखा होगा ,यहां आपको मिलाते हैं एक ऐसे किसान से जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम भी अपने खेत में कर रहा है।
यूं तो मधुमक्खियों से शहद निकालना व मधुमक्खियों के छत्ते आपने पेड़ों में, किसी बिल्डिंग में ,पानी की टंकियों में, लटका जरूर देखा होगा, पर यहां कोंडागांव में एक किसान सत्यजीत राठौर ने अपने खेतों में खेती के अलावा शहद उत्पादन करने की ठानी और आज वह नाबार्ड, कृषि विद्यालय जगदलपुर व केवीआईसी के सहयोग से इस कार्य योजना को मूर्त रूप दे पाए हैं ।

सत्यजीत बताते हैं की यह उनके लिए एक चुनौती भरा कार्य था। इस तरह मधुमक्खियों का पालन कर शहद निकालने का कार्य जिले में अपनी तरह की पहली योजना है।
इसके लिए उन्होंने जगदलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया, उन्हें अभी इस योजना के तहत 60 बॉक्स मिले हैं ,इन बॉक्सेस को हाइवस भी कहा जाता है।
मधुमक्खी पालन से कृषकों को दोगुना फायदा होगा इसका खेती के साथ-साथ बहुत अच्छा कांबिनेशन होता है, इससे खेती में फायदा मिलता है जिससे उत्पादन भी ज्यादा होता है ।मधुमक्खियां पॉलिनेशन के द्वारा खेती के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करतीं हैं।

सत्यजीत बताते हैं की अभी उन्हें 60 बॉक्सेस मधुमक्खी पालन के लिए दिए गए हैं ,इन बॉक्सेस में यूरोपियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा है जो बाकी मधुमक्खियों से ज्यादा मेहनती होती हैं और अधिक से अधिक शहद एकत्र करने का कार्य करती हैं यह अपने हायवस यानी बॉक्स से 3 किलोमीटर के रेडियस में ट्रेवल कर पराग कणों को एकत्र कर बॉक्सेस में लाती हैं ।
गर्मी के दिनों में इनका ज्यादा खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि यह मधुमक्खियां 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का का तापमान नहीं सह पाती हैं और मरने लगती है, इसलिए इन्हें पेड़ों की छांव या ठंडी जगहों में रखते हुए तापमान को उनके अनुकूल बनाए रखना पड़ता है।
इन्हें हाइवस में अलग अलग फिल्म बनाकर रखा जाता है जिनमें ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियां शहद एकत्र करती हैं और उन्हें शील्ड कर देती हैं ताकि आपने शहद तो जरूर चखा होगा ,यहां आपको मिलाते हैं एक ऐसे किसान से जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम भी अपने खेत में कर रहा है।
यूं तो मधुमक्खियों से शहद निकालना व मधुमक्खियों के छत्ते आपने पेड़ों में, किसी बिल्डिंग में ,पानी की टंकियों में, लटका जरूर देखा होगा, पर यहां कोंडागांव में एक किसान सत्यजीत राठौर ने अपने खेतों में खेती के अलावा शहद उत्पादन करने की ठानी और आज वह नाबार्ड, कृषि विद्यालय जगदलपुर व केवीआईसी के सहयोग से इस कार्य योजना को स्वरूप दे पाए हैं ।
सत्यजीत बताते हैं की यह उनके लिए एक चुनौती भरा कार्य था। इस तरह मधुमक्खियों का पालन कर शहद निकालने का कार्य जिले में अपनी तरह की पहली योजना है।
इसके लिए उन्होंने जगदलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया, उन्हें अभी इस योजना के तहत 60 बॉक्स मिले हैं ,इन बॉक्सेस को हाइवस भी कहा जाता है।
मधुमक्खी पालन से कृषकों को दोगुना फायदा होगा इसका खेती के साथ-साथ बहुत अच्छा कांबिनेशन होता है इससे खेती में फायदा मिलता है जिसे उत्पादन भी ज्यादा होता है मधुमक्खियां पॉलिनेशन के द्वारा खेती के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं।

सत्यजीत बताते हैं की अभी उन्हें 5 मधुमक्खी पालन के लिए दिए गए हैं इनबॉक्स इसमें यूरोपियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा है बाकी मधुमक्खियों से ज्यादा मेहनती होती हैं और अधिक से अधिक एकत्र करने का कार्य करती हैं यह अपने फाइबर यानी बॉक्स से 3 किलोमीटर के रेडियस में ट्रेवल कर पराग कणों को एकत्र कर बॉक्सेस में लाती हैं गर्मी के दिनों में इनका ज्यादा खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि यह मधुमक्खियां 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का का तापमान नहीं सह पाती हैं और मरने लगती है, इसलिए इन्हें पेड़ों की छांव या ठंडी जगहों में रखते हुए तापमान को उनके अनुकूल बनाए रखना पड़ता है।
इन्हें हायवस में अलग अलग फ्रेम बनाकर रखा जाता है जिनमें ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियां शहद एकत्र करती हैं और उन्हें शील्ड कर देती हैं ताकि बाहरी कीड़े मकोड़े उसमें ना घुस पाएं।



बाइट_धर्मपाल केरकेटा, कृषि विश्वविद्यालय जगदलपुर [फ्रेंच कट दाढ़ी व्हाइट शर्ट में]

बाइट_ सरोज कुमार जेना, नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक जगदलपुर

बाइट_ सत्यजीत राठौर, कृषक कोंडागांव
Conclusion:
हर एक बॉक्स में 25 से 30 हजार मधुमक्खियां होती हैं जिनमें एक रानी मधुमक्खी होती है और 90% वर्कर व 10% नर मधुमक्खियां होते हैं।
प्रतिदिन रानी मधुमक्खी दो से तीन हजार अंडे देती है ,सबसे खास बात यह है कि इन मधुमक्खियों के डंक मारने से कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इन मधुमक्खियों से गठिया वात की दवाएं भी विशेष तकनीक द्वारा बनाई जाती है।
प्रति हायवस बॉक्स से 1 साल में लगभग 20 किलो तक शहद का उत्पादन होता है जिसकी कीमत ₹8000 तक होती है जिससे कृषकों को एक अच्छी आमदनी इससे होगी ।






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