कोंडागांव : मधुमक्खियों के छत्ते आपने पेड़ों में, बिल्डिंग पर, पानी की टंकियों में लगे जरूर देखें होंगे लेकिन जिले के एक किसान सत्यजीत राठौर ने अपने खेतों में खेती के अलावा शहद उत्पादन करने की ठानी और आज वो नाबार्ड, कृषि विश्वविद्यालय जगदलपुर और KVIC के सहयोग से इसमें सफल हो गया है.
ये मधुमक्खियां हैं कुछ खास
सत्यजीत बताते हैं की यह उनके लिए चुनौती भरा काम था. इस तरह मधुमक्खियों का पालन कर शहद निकालने का काम जिले में अपनी तरह की पहली योजना है. इसके लिए उन्होंने जगदलपुर कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. उन्हें अभी इस योजना के तहत 60 बॉक्स मिले हैं.
इन बॉक्सेस को हाइवस कहा जाता है.इन बॉक्सेस में यूरोपियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा है, जो बाकी मधुमक्खियों से ज्यादा मेहनती होती हैं और अधिक से अधिक शहद जुटाने का काम करती हैं. ये अपने बॉक्स से 3 किलोमीटर के रेडियस में ट्रेवल कर पराग कणों को जमा कर बॉक्सेस में लाती हैं.
गर्मी के दिनों में रखना होता है खास ख्याल
गर्मी के दिनों में इनका ज्यादा खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि यह मधुमक्खियां 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान नहीं सह पाती हैं और मरने लगती हैं इसलिए इन्हें पेड़ों की छांव या ठंडी जगहों में रखते हुए तापमान को उनके अनुकूल बनाए रखना पड़ता है. इन्हें हाइवस में अलग अलग फिल्म बनाकर रखा जाता है जिनमें ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियां शहद जमा करती हैं और उन्हें शील्ड कर देती हैं.
मधुमक्खियों से बनती है दवाएं
हर एक बॉक्स में 25 से 30 हजार मधुमक्खियां होती हैं, जिनमें एक रानी मधुमक्खी होती है और 90% वर्कर व 10% नर मधुमक्खियां होते हैं.
हर दिन रानी मधुमक्खी दो से तीन हजार अंडे देती है. सबसे खास बात ये है कि इन मधुमक्खियों के डंक मारने से कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इन मधुमक्खियों से गठिया वात की दवाएं भी विशेष तकनीक से बनाई जाती है.
खेती में मिलता है फायदा
मधुमक्खी पालन से कृषकों को दोगुना फायदा होगा इसका खेती के साथ-साथ बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन होता है, इससे खेती में फायदा मिलता है, जिससे उत्पादन भी ज्यादा होता है. मधुमक्खियां पॉलिनेशन से खेती के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करतीं हैं.
1 किलो शहद की कीमत 8 हजार रुपए तक
हर एक हायवस बॉक्स से 1 साल में लगभग 20 किलो तक शहद का उत्पादन होता है जिसकी कीमत 8 हजार रुपए तक होती है, जिससे किसानों की अच्छी आमदनी हो सकती है.