कोंडागांव : आपने इंसानों की अदालत लगते देखी होगी, उन्हें कोर्ट में सजा मिलते भी देखा होगा. लेकिन इन सबसे अलग कोंडागांव में देवी-देवताओं को भी उनके गुनाहों की सजा सुनाई जाती है. ये सजा भंगाराम देवी के मंदिर में लगने वाली अदालत में सुनाया जाता है. ये सजा लोगों की मन्नत पूरी नहीं होने पर सुनाई जाती है. लेकिन ये अदालत कोरोना के कारण इस साल नहीं लगेगी.
कोंडागांव जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर केशकाल घाटी में भंगाराम देवी का सदियों पुराना मंदिर है. भंगाराम देवी के मंदिर में लगने वाली अदालत में दोष सिद्ध होने पर देवी-देवताओं को भी बर्खास्तगी के साथ मौत तक की सजा सुनाई जाती है. इस साल कोरोना संकट के चलते यहां अदालत नहीं लग रही है. इससे दोषी देवी-देवता सजा से बच जाएंगे और सदियों से चल रहे इस परम्परा में इस बार बदलाव किया गया है. क्षेत्र के कुछ ही बड़े देवी-देवताओं से ही इस जात्रा की रस्म अदायगी की जाएगी.
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जात्रा मेला आयोजित किया जाता
देव समिति के सचिव ने बताया कि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष पर इस मंदिर प्रांगण में जात्रा मेला आयोजित किया जाता है. इसी में देवी देवताओं की अदालत लगती है. इस साल जात्रा मेला आठ अगस्त को पड़ रहा है, लेकिन कोरोना के चलते इस साल यह अदालत नहीं लग रही है. गिनती के पुजारी केवल पूजा करेंगे. कोरोना संक्रमण को देखते हुए, जिला प्रशासन ने इस बार भंगाराम माई जात्रा के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसमे कुछ लोग ही जात्रा में शामिल हो सकेंगे.
क्या है ये परंपरा
गांव में स्थापित देवी-देवताओं की ओर से गांव में होने वाली किसी प्रकार की व्याधि, परेशानी को दूर न कर पाने की स्थिति में देवी-देवताओं को ही दोष माना जाता है. विदाई स्वरूप देवी-देवताओं के नाम से चिन्हित बकरी, मुर्गी सोने चांदी आदि के साथ गांव के देवी देवता लाट, बैरंग, डोली आदि को लेकर ग्रामीण साल में एक बार लगने वाले भंगाराम जातरा में पहुंचते हैं.
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भंगाराम की उपस्थिति में गांव गांव से आए हुए देवी-देवताओं की एक एक कर शिनाख्त के पश्चात अंगा डोली लाड बैरंग आदि के साथ लाए चूजे, मुर्गी, बकरी, डांग, आदी को खाई घुमा गहरे गड्ढे किनारे फेंका जाता है, जिसे ग्रामीण कारागार कहते है. देवी देवताओं पूजा अर्चना के पश्चात मंदिर प्रांगण में अदालत लगती है. देवी-देवताओं पर लगने वाले आरोपों को गंभीरता से सुनवाई होती है.
बचाव पक्ष के वकील ने पेश की ये दलील
आरोपी पक्ष की ओर से दलील पेश करने सिरहा, पुजारी, गायता, माझी, पटेल आदि ग्राम प्रमुख उपस्थित होते हैं, जहां दोनों पक्ष की गंभीरता से सुनवाई के पश्चात आरोप सिद्घ होने पर फैसला सुनाया जाता है. मंदिर में देवी-देवताओं को खुश करने के लिए बलि देने व भेंट चढ़ाने का विधान है.