कांकेर: धुर नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा क्षेत्र के ग्रामीणों को बैंक की मनमानी के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक निजी बैंक ने आमाबेड़ा क्षेत्र को गोदग्राम के रूप में चयन किया था. जिसके बाद सभी ग्रामीणों का अपने बैंक में खाते खोल लिए और इसके बाद सभी तरह का भुगतान इसी बैंक के माध्यम से किया जा रहा था, लेकिन अचानक बैंक की ओर से भुगतान करना ही बंद कर दिया गया है. ऐसे में अब ग्रामीण तेंदूपत्ता के भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि तेंदूपत्ता फड़ मुंशी जब भुगतान करने के लिए 21 जुलाई को 11 लाख का चेक जमा करने पहुंचे, तो उन्हें यह बताकर लौटा दिया गया कि संग्राहकों का खाता नंबर गलत है. ग्रामीणों का कहना है कि उसी खाता नंबर से उन्हें पहले भी भुगतान किया जाता रहा है, लेकिन बैंक की मनमर्जी से खेती के समय में ग्रामीणों को पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे लोग खासा परेशान हैं.
तेंदूपत्ता का अभी तक नहीं मिला भुगतान
ग्रामीणों ने बताया कि बैंक की मनमानी से परेशान होकर ग्रामीण जिला प्रशासन से शिकायत करने के साथ ही तेंदूपत्ता की राशि का भुगतान करवाने की मांग की है, ताकि ग्रामीणों को खेती के लिए खाद-बीज को लेकर कोई परेशानी न हो. हितग्राही महिला ने कहा कि हर साल तेंदूपत्ता तोड़ाई के रुपयों से खेती के लिए खाद-बीज आदि की खरीदी करते हैं. इस साल अब तक राशि नहीं मिलने से परेशानी हो रही है. बैंक की ओर से की जा रही मनमानी से ग्रामीण खेती कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं.
कोरोना के कारण पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे ग्रामीण
बता दें कि कोरोना के कारण ग्रामीण पहले ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. ग्रामीण अंचल में न तो बाजार लग रहे और न ही ग्रामीणों को कहीं अन्य जगहों पर कार्य मिल रहा है. ऐसे में तेंदूपत्ता के भुगतान से ही ग्रामीणों को खेती की आस है, लेकिन अब तक ग्रामीणों को भुगतान नहीं किया गया है. इस बैंक में 1हजार से अधिक ग्रामीणों का खाता है, जिन्हें तेंदूपत्ता की राशि का भुगतान होना है, लेकिन बैंक प्रबंधक की मनमर्ज़ी के कारण ग्रामीणों को अब तक भुगतान नहीं हो सका है.