कांकेरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) में कृषि कानून (Agricultural law) के विरोध में राजनेताओं का पुतला दहन किया गया. इस पुतला दहन में खास बात ये रही कि पक्ष और विपक्ष दोनों के ही नेताओं का ग्रामीणों ने पुतला दहन किया. शुक्रवार को दशहरे पर देशभर में हर जगह रावण का पुतला जलाने की प्रथा है, लेकिन कांकेर के पखांजूर (Pakhanjoor) इलाके के संवेदनशील गांव सीताराम (Village Sitaram) में पीएम मोदी (Pm Modi) सहित केन्द्रीय और स्थानीय नेताओं का पुतला दहन किया गया. ग्रामीणों ने इन नेताओं पर किसान और आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया.
68 गांव के ग्रामीण हुए जमा
यहां दशहरा मनाने 68 गांव के ग्रामीण जमा हुए थे. इस बीच ग्रामीणों ने रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की. कार्यक्रम का आयोजन सर्व आदिवासी समाज ने किया. सर्वआदिवासी समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel), उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath), केंद्रीय मंत्री अमित शाह(Union Minister Amit Shah) के अलावा केदार कश्यप (Kedar Kashyap) और धरम लाल कौशिक (Dharam Lal Kaushik) का पुतला दहन किया गया.
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कई मुद्दों को लेकर ग्रामीण हैं आक्रोशित
यहां जमा हुए बैठिया सर्कल के ग्रामीणों ने कहा कि 'लखीमपुर में किसानों के साथ हुई घटना को लेकर प्रधानमंत्री व गृह मंत्री अब तक चुप है. वे मंत्री के बेटे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. यह दोनों किसान विरोधी है. वहीं ग्रामीणों ने सिलेगार को लेकर कहा कि यहां छत्तीसगढ़ सरकार (Bhupesh Government) ने गोली चलाने का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की है. हसदेव अरण्य को बचाने फतेहपुर से 300 किलोमीटर पैदल यात्रा कर रायपुर पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री ने मुलाकात तक नहीं की.
भूपेश बघेल सरकार से भी हैं नाराज
छत्तीसगढ़ में पांचवी अनुसूची व पेसा कानून को लेकर आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन आदिवासी विरोधी मानसिकता के कारण भूपेश सरकार इन मांगों को दरकिनार कर रही है. बताया जा रहा है कि वन अधिकार की जगह राजस्व पट्टा देने के लिए कई सालों से ग्रामीणों द्वारा मांग की जा रही है. लेकिन सरकार पट्टा देने से बच रही है. पुतला दहन के दौरान छोटे बैठिया सर्कल के सर्व आदिवासी समाज के सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे.